Bihar Marcha Dhan got GI Tag : बिहार के किसानों के लिए एक बेहद अच्छी ख़बर है. दरअसल, बिहार की अब एक और उपज को अब अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में पहचान मिलेगी. जी हां, आपने सही सुना. हाल ही में, बिहार (Bihar) के पश्चिम चंपारण में उपजने वाले मर्चा धान (Marcha Rice) को केंद्र सरकार ने जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) का टैग दिया है.
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सरकार के इस क़दम से किसानों को अब काफ़ी फ़ायदा मिलने की संभावना है. ये भी बताया जा रहा है कि अब GI टैग मिलने से किसानों को मर्चा धान की बेहतर क़ीमत मिल पाएगी. आइए आपको इस धान के बारे में बता देते हैं.
क्या है मर्चा धान की खासियतें?
मर्चा धान (Marcha Dhan) की खासियतें एक नहीं, बल्कि अनेक हैं. इसका आकार काली मिर्च की तरह होता है. इसलिए ही इसका नाम मिर्चा या मर्चा धान है. इस धान से निकलने वाले चावन के दाने और इसके गुच्छे से आने वाली एक ख़ास सुगंध इसे बाकी सभी फ़सलों से अलग बनाती है. इसे स्थानीय स्तर पर मिर्चा, मचया, मारीची आदि नामों से भी जाना जाता है. ज़्यादातर बिहार में ये पश्चिमी चंपारण जिले के चनपटिया, मैनाटांड़, गौनाहा, नरकटियागंज, रामनगर एवं लौरिया में उगाया जाता है.
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बिहार के 5 एग्री प्रोडक्ट्स को मिल चुका है GI टैग
हालांकि, मर्चा धान बिहार की ऐसी पहली फ़सल नहीं है, जिसे GI टैग मिला हो. इससे पहले मुजफ्फरपुर की लीची, भागलपुर के जर्दालु आम, कतरनी चावल, मिथिला के मखाना को भी GI Tag मिल चुका है. केंद्र सरकार के जीआई रजिस्ट्रार, चेन्नई की ओर से जारी प्रमाण पत्र को हाल ही में समाहरणालय के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में मर्चा धान उत्पादक सहयोग समिति के अधिकारियों एवं सदस्यों को प्रदान किया गया. भारत में अब जीआई टैग प्रोडक्ट्स की कुल संख्या 442 हो गई है.
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क्या होता है GI टैग?
वर्ल्ड इंटलैक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइजेशन (WIPO) के मुताबिक़, Geographical Indications Tag एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी प्रोडक्ट को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है. ख़ासकर ऐसा प्रोडक्ट जिसकी विशेषता या फिर प्रतिष्ठा मुख्य रूप से प्रकृति और मानवीय कारकों पर निर्भर करती हो. इसका मक़सद किसी ख़ास भौगोलिक परिस्थिति में पाई जाने वाली या तैयार की जाने वाली वस्तु को दूसरे स्थानों पर ग़ैर-क़ानूनी प्रयोग को रोकना है. भारत में किसी भी प्रोडक्ट को GI Tag देने से पहले उसकी गुणवत्ता, क्वालिटी और पैदावार की अच्छे से जांच की जाती है. इस दौरान ये तय किया जाता है कि उस ख़ास वस्तु की सबसे अधिक और प्रामाणिक पैदावार उसी राज्य की है. इसके अलावा भौगोलिक स्थिति का उस वस्तु के उत्पादन में कितना योगदान है, ये देखा जाता है.
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