India’s Chess Player Praggnanandhaa Supported Him: World’s Chess Federation 2023 में भारत के रमेशबाबू प्रज्ञानंदा का दुनिया के सबसे बेहतरीन चेस चैंपियन कार्लसन के साथ मुकाबला हो रहा है. लाइव रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभी प्रज्ञानंदा और कार्लसन के बीच ड्रॉ हो गया है. लेकिन 18 साल की इतनी छोटी उम्र में प्रज्ञानंदा ने देश का नाम रौशन कर दिया है. कहते हैं मां बिना सब कुछ बेकार होता है. आज अगर प्रज्ञानंदा इतने बड़े मुक़ाम पर है, वो अपनी मां की वजह से हैं. आइए बताते हैं प्रज्ञानंदा को उनकी मां कैसे मोटीवेट रखती हैं.
ये भी पढ़ें: चेस और कामसूत्र में समानताएं हमें तो नहीं पता, लेकिन ‘World Chess’ का नया Logo बहुत कुछ कह रहा है
आइए बताते हैं कैसे प्रज्ञानंदा की मां ने उनकी इस सफ़र में उनकी मदद की-
भारत के इस युवा चैंपियन प्रज्ञानंदा के लिए पुरा देश प्रार्थना कर रहा है. सब इस बच्चे के जीतने की कामना कर रहे हैं. वहीं प्रज्ञानंदा Candidates Tournament के लिए क्वालीफाई करने वाले बॉबी फिशर और कार्लसन के बाद तीसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही प्रज्ञानंदा की मां भी उनका मैच देखने पहुंची थी और ये पहली बार नहीं है. प्रज्ञानंदा की मां नागलक्ष्मी उनके हर मैच में उनके साथ होती हैं. प्रज्ञानंदा बताते हैं कि उनकी मां उनके और उनकी बहन की बहुत बड़ी सपोर्ट सिस्टम हैं. उन्होंने बताया-
“मेरी मां न केवल मेरे लिए बल्कि मेरी बहन के लिए भी बहुत बड़ा सहारा रही हैं.“
प्रज्ञानंदा का जन्म 10 अगस्त 2005 को चेन्नई में हुआ था. उनकी बहन का नाम वैशाली है और उनकी मां होममेकर हैं. प्रज्ञानंदा सिर्फ़ 18 साल के हैं और उन्होंने शतरंज खेलना अपनी बड़ी बहन से सीखा था. प्रज्ञानंदा ने 10 साल की उम्र से ही शतरंज खेलना शुरू कर दिया था और सिर्फ़ इतनी सी उम्र में इंटरनेशनल खिलाड़ी बन गए थे. इसी वजह से उन्हें ‘Chess Prodigy’ का टाइटल मिल गया था.
ये भी पढ़ें: बॉलीवुड Celebs में Acting के अलावा भी हैं कई हुनर, कोई स्केच बनाने में, तो कोई चेस में है माहिर