Kent RO Success Story : पैसा कमाने के लिए नज़र होनी चाहिए. आजकल लोग बिज़नेस के नए-नए आइडियाज़ सामने ला रहे हैं और उनसे करोड़ों कमा रहे हैं. यहां तक हवा, पानी बेचकर भी लोग पैसा बना रहे हैं.
आज हम आपको एक ऐसे ही बिज़नेसमैन की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने अपने एक बेसिक आइडिया से अपने व्यवसाय की शुरुआत की और आज उनका करोड़ों का साम्राज्य है. इनकी कहानी काफ़ी इंस्पायरिंग है.
बेहद संघर्ष भरा रहा नौकरी के बाद का सफ़र
हम यहां बात कर रहे हैं महेश गुप्ता (Mahesh Gupta) की, जिन्होंने IIT कानपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. इसके बाद उनकी नौकरी सरकारी कंपनी इंडियन ऑइल में लग गई. हालांकि, वो किसी के अंडर काम ना करके ख़ुद का बिज़नेस शुरू करना चाहते थे. लेकिन उन्हें ये नहीं समझ आ रहा था कि वो कहां से शुरुआत करें. नौकरी करने के दौरान ही उनके सामने एक ऐसी समस्या आ खड़ी हो गई कि उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी. उनके बेटे बीमार पड़ गए. बेटों की बीमारी के साथ उन्हें ऐसी समस्या दिखी कि वो इसका हल खोजने में जुट गए, और यहीं से हुई Kent RO की शुरुआत.
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बेहद सामान्य परिवार से रखते हैं ताल्लुक
महेश का जन्म 24 सितंबर 1954 को दिल्ली में हुआ था. वो सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते थे. उनके पिता वित्त मंत्रालय में सेक्शन अफ़सर थे. घर में उनके अलावा पांच भाई-बहन और थे. वो अपने पूरे परिवार के साथ एक छोटे से घर में रहते थे. उन्होंने अपनी स्कूलिंग लोधी रोड से पूरी की. उनका पढ़ाई में काफ़ी मन लगता था, जिसके चलते उनका एडमिशन IIT कानपुर में हो गया. यहां से उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ पेट्रोलियम (Indian Institute Of Petroleum) से मास्टर्स की. इसके बाद उनकी इंडियन ऑइल में ही नौकरी लग गई.
बेटों की बीमारी के दौरान आया केंट RO का आइडिया
महेश के पास एक अच्छी खासी नौकरी थी. लेकिन उन्हें कुछ अपना करना था. काफ़ी सोच-विचार के बाद उन्होंने 1988 में अपनी नौकरी छोड़ दी. उन्होंने ऑइल मीटर का बिज़नेस शुरू करके नोएडा में इसका प्लांट लगाया. इस बीच उनके बच्चे बीमार रहने लगे. उनको बार-बार पीलिया हो रहा था. डॉक्टर के पास जाने पर उन्होंने बताया कि इसकी वजह गंदा पानी है. अब वो गंदे पानी की समस्या का निवारण खोजने में लग गए. यही वो टाइम था, जब उन्हें Kent RO शुरू करने की प्रेरणा मिली.
बाज़ार के वाटर प्यूरीफ़ायर से नहीं थे संतुष्ट
बाज़ार में वाटर प्यूरिफ़ायर थे, जिनको महेश लेकर भी आए पर उन्हें इससे संतुष्टि नहीं मिली. उन्होंने देखा जो बाज़ार में वाटर प्यूरीफ़ायर मिल रहे थे वो RO UV टेक्नोलॉजी पर आधारित थे. इस वजह से वो पूरा पानी साफ़ नहीं कर पाते थे. अब महेश का ठहरा इंजीनियरिंग दिमाग. उन्होंने कुछ अलग करने का सोचा. उन्होंने ख़ुद के रिवर्स ऑस्मोसिस पर आधारित एक प्यूरिफ़ायर बनाने का आइडिया दिया. ये आइडिया चल पड़ा. इसके बाद 1998 में ख़ुद की कंपनी शुरू की, जिसका नाम उन्होंने रखा Kent RO.
ऐसे खड़ा किया करोड़ों का क़ारोबार
महेश गुप्ता ने उस दौरान मात्र 5 हज़ार रुपए से अपनी कंपनी शुरू की थी. उन्होंने अपने RO का प्राइस 20,000 रुपए रखा था. उस दौरान ये बाज़ार के बाकी RO से महंगा था. इसके बावजूद लोगों ने इसकी फैसिलिटी देखकर उस पर भरोसा किया. उन्होंने इसकी मार्केटिंग पर पैसा ख़र्च किया और हेमा मालिनी को ब्रांड एंबेसडर बनाया. इसके अलावा उन्होंने आईपीएल की भी स्पॉसरशिप की. धीरे-धीरे मार्केटिंग बढ़ने पर लोग कंपनी को पहचानने लगे. आज उन्होंने 1100 करोड़ रुपए का साम्राज्य खड़ा कर लिया है.
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