Labourer Son Passed and Became a Scientist In ISRO: अगर कुछ कर गुज़रने की चाह हो तो, रास्ते अपने आप बनने लग जाते हैं. वैसे ही उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले केनिवासी बौद्धमणि ने भी गांव से इसरो तक के सफ़र को मुमकिन बना लिया. घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के बावजूद सरकारी स्कूल से पढ़कर वो वैज्ञानिक बने. उनकी इस उपलब्धि से उनके माता-पिता और गांव भी काफ़ी ज़्यादा ख़ुश है. चलिए आपको बौद्धमणि की इसरो यात्रा की प्रेरणादायक कहानी के बारे में बताते हैं.
ये भी पढ़ें: सेना का ये जवान 14 साल से छुट्टी लेकर आता है रामलीला करने, रावण का रोल लोगों को आता है पसंद
तराई क्षेत्र स्थित भकरही गांव के रहने वाले बौद्धमणि बहुत ही गरीब परिवार से आते हैं. उनके पिता राजगीर मिस्त्री और माता मनरेगा में मजदूर का काम करके घर संभालती हैं. बौद्धमणि को बचपन से ये ज्ञात था कि उन्हें बड़े होकर कुछ अच्छा कर दिखाना है. अपने माता-पिता का नाम ऊंचा करना है. जिसके लिए बौद्धमणि ने गांव के श्रीराम सुमेर सिंह कृषक इंटर कॉलेज से अपनी शिक्षा पूरी की. क्योंकि उनके पास प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने के लिए पैसे नहीं थे.
शिक्षा पूरी होने के बाद बौद्धमणि ग़ाज़ियाबाद ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग मै डिप्लोमा किया और बांदा से अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. इसके बाद बौद्धमणि इसरो की परीक्षा की तैयारी में जुट गए. 2019 में उन्होंने परीक्षा का फ़ॉर्म भरा और ऑनलाइन एग्ज़ाम देकर सेलेक्ट हो गए. जिसके बाद वो दूसरे कई छात्रों के प्रेरणा का स्रोत बन गए. उन्होंने अपने इंटरव्यू में बताया कि परीक्षा का केंद्र उनके घर के बहुत समीप था, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वो वहां तक पहुंच नहीं पाते थे.
वो आज जिस मुक़ाम पर हैं, इसका पूरा श्रेय वो अपने माता-पिता को देते हैं. क्योंकि उन्होंने मेहनत करके उन्हें पढ़ाया था. आज बौद्धमणि का पूरा परिवार बहुत खुश हैं.
ये भी पढ़ें: सास-ससुर ने दिया साथ और पति-पत्नी ने एक साथ BPSC की परीक्षा की पास, जानिए इनकी प्रेरणादायक Story