Waiter Who Became An IAS Officer: IAS अफ़सर बनना भारत में लाखों युवाओं का सपना होता है. लाखों युवा हर साल UPSC का एग्ज़ाम भी देते हैं. युवा इस परीक्षा को पास करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं. अपना सबकुछ दांव पर लगा देते हैं. बार-बार की असफलता के बाद भी हार नहीं मानते. आईएएस के. जयगणेश इस बात का उदाहरण हैं, जिन्होंने तमाम कठिनाइयों और असफलताओं के बावजूद यूपीएससी का एग्ज़ाम पास किया. (IAS K Jaiganesh UPSC Success Story)
कौन हैं IAS K Jayaganesh?
UPSC Success Story: जयगणेश का जन्म तमिलनाडु के उत्तरीय अम्बर के पास एक छोटे से गांव के गरीब परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा अपने गांव के एक स्कूल से की और 10वीं और 12वीं का एग्ज़ाम देने के बाद नौकरी पाने की उम्मीद में एक पॉलिटेक्निक कॉलेज में दाखिला लिया.
फिर वो मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के लिए तांथी पेरियार इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में चले गए. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें एक कंपनी में नौकरी भी मिल गई, जहां उन्हें 2,500 रुपये महीने की सैलरी मिलती थी.
वेटर से बने IAS अफ़सर
बीटेक के बाद उन्होंने कुछ समय जॉब किया. मगर जल्द ही उन्हें रियलाइज़ हुआ कि वो एक आईएएस अधिकारी बनना चाहते हैं. अपने सपने को हासिल करने के लिए उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की लेकिन छह बार वो असफल रहे.
जयगणेश को एक तरफ बार-बार असफलता मिली और दूसरी ओर परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण उन पर कमाने का दबाव भी था. ऐसे में उन्होंने छोटी-मोटी जॉब करना शुरू किया, ताकि वो अपना खर्चा निकाल सकें. ऐसे में वो एक होटल में वेटर का काम करने लगे. साथ ही, अपने लक्ष्य पर डटे रहे. होटल से लौटकर आने के बाद जितना समय मिला जय गणेश ने पूरी ईमानदारी से पढ़ाई की.
इसी दौरान उनका चयन इंटेलिजेंस ब्यूरो में हो गया. मगर उनके सामने दुविधा थी कि वो नौकरी ज्वॉइन करें या फिर सातवीं बार यूपीएससी की तैयारी करें. जयगणेश ने यूपीएससी को चुना और फिर से जुट गए तैयारी में.
आखिरकार, जिस सफलता का उन्हें इंतज़ार था, वो उन्हें 2008 में मिली. उन्होंने सातवीं बार सिविल सेवा की परीक्षा दी और इस बार परीक्षा में 156वीं रैंक हासिल की.
जयगणेश कहते हैं, ‘जब परिणाम आए तो मुझे खुद पर विश्वास नहीं हुआ. मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने कई वर्षों से चल रहा कोई युद्ध जीत लिया हो.’
वाक़ई, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती और जयगणेश मिसाल हैं उन लोगों के लिए जो हार से निराश होकर प्रयास करना छोड़ देते हैं.
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