भारत में हिंदू-मुस्लिम एकता महज़ किताबी चैप्टर नहीं है, जिसे बच्चों को रटाया जाता है. बल्क़ि, ये भारतीय संस्कृति की वो हक़ीक़त है, जो आपको देश के गली-कूचों, त्योहारों में पलती और निखरती नज़र आती है. उत्तर प्रदेश के मथुरा में रहने वाले जफ़र अली की कहानी इसका सबसे ख़ूबसूरत उदाहरण है. 62 वर्षीय जफ़र अली की पांच पीढ़ियां भगवान राम की अनोखे ढंग से सेवा करती आ रही हैं.
दरअसल, भगवान श्री राम में गहरी आस्था रखने वाले जफ़र अली पिछले कई वर्षों से आगरा की ऐतिहासिक रामलीला में रावण, कुंभकरण, मेघनाद और शूर्पणखा के पुतले बना रहे हैं. उनसे पहले ये काम उनके पिता करते थे. पिछली पांच पीढ़ियों से उनका परिवार भगवान श्री राम के कार्य के लिए लगा हुआ है. जफ़र अली ने बताया कि उनका धर्म कभी भी उनके काम के बीच नहीं आया.
दशहरे के लिए बनाया अनोखा रावण
श्री राम आराध्य मानने वाले जफ़र ने इस बार आगरा की ऐतिहासिक रामलीला के लिए अनोखा रावण का पुतला तैयार किया है. जो 110 फुट का होगा और मुंह खोलने के साथ साथ पलकें भी झपकाएगा. इतना ही नहीं, उनका रावण मुंह से आग उगलेगा. प्रदूषण ना हो इसके लिए ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल किया गया है. 24 अक्टूबर को दशहरे के दिन भगवान श्री राम अपने तीर से दशानन का वध करेंगे.
जफ़र अली ख़ान ने बताया कि वे अपने पिताजी के साथ रामलीला में रावण, कुंभकरण, मेघनाद के पुतले बनाने आगरा आया करते थे. अब वे खुद इस काम को आगे बढ़ा रहे हैं. इस काम की वजह से ही भगवान श्रीराम में उनकी गहरी आस्था है.
सौभाग्य मानते हैं
जफ़र अली अपने इस काम को बेहद शिद्दत के साथ करते हैं. जब तक वो रामलीला के काम से आगरा में रहते हैं, तब तक पूरी तरह शाकाहारी रहते हैं. वो कहते है कि उनका सौभाग्य है कि वे इस रामलीला का हिस्सा हैं.
जफ़र का इस बात पर पूरा विश्वास है कि कर्म ही पूजा है. साथ ही, भगवान राम की सेवा करने का जो मौक़ा उन्हें मिला है, उससे बढ़िया कोई दूसरी बात नहीं हो सकती है. अब इस काम को करने के लिए उनकी अगली पीढ़ी भी तैयार है.
बता दें, जफ़र को रावण, कुंभकरण और मेघनाद का पुतला बनाने में एक से डेढ़ महीने की मेहनत लगती है. 6 से 7 लोग अपनी पूरी मेहनत लगा कर इस काम को पूरा करते हैं.
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