धैर्य के प्रतीक और ‘दीवार’ कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ को लेकर इंटरनेट पर धमाल मचा हुआ है. कारण है CRED के Ad में सामने आया उनका नया अवतार. सोशल मीडिया पर लोगों ने इसपर जम कर मीम बनाए हैं.

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विज्ञापन का उद्देश्य कुछ ऐसा दिखाना था, जिस पर कोई विश्वास नहीं कर सकता है. और इसके लिए विज्ञापन के निर्माताओं ने राहुल द्रविड़ को गुस्से से आग बबूला होते हुए दिखाया है.

वीडियो में गुस्से से तिलमिलाते द्रविड़ ये भी चिल्लाते हुए दिखते हैं कि “इंदिरा नगर का गुंडा हूं मैं”. हमेशा शांत रह कर क्रिकेट खेलने के लिए पहचाने जाने वाले राहुल द्रविड़ को भी कभी-कभी बहुत ग़ुस्सा आया है. यहां हम उन मौक़ों का ज़िक्र कर रहें हैं जब द्रविड़ अपने गुस्से को संभाल नहीं पाए थे:

1. द्रविड़ ने अपनी टोपी तब उतार फेंकी थी जब 2014 में मुंबई इंडियन्स ने पहले स्कोर बराबर किया और फिर रोमांचक मैच में राजस्थान रॉयल्स को हरा दिया था.

सच कहें तो द्रविड़ का रिएक्शन बेमतलब नहीं था. मुंबई इंडियंस को 14.3 ओवर में 190 रन बनाने की ज़रूरत थी. पहले उन्होंने स्कोर बराबर किया और फ़िर एक बॉउंड्री मार कर नेट रन-रेट के आधार पर प्ले-ऑफ़ पा लिया. राजस्थान रॉयल्स को हारता देख द्रविड़ ने गस्से से अपनी टोपी ज़मीन पर फेंक दी थी.

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2. जब उन्होंने 2006 में इंग्लैंड से टेस्ट मैच हारने के बाद गुस्से में कुर्सी फेंक दी थी. बाद में अपने व्यवहार पर अफ़सोस जताते हुए उन्होंने अपनी पत्नी विजेता से कहा कि उन्हें “ऐसा नहीं करना चाहिए था”.

एक लेख में विजेता ने बताया कि:

सिर्फ़ एक बार मुझे याद है कि वो टेस्ट मैच से वापस आए और कहा, “मुझे आज थोड़ा ग़ुस्सा आया गया था. मैंने अपना आपा खो दिया था. मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था.” इससे ज़्यादा उन्होंने कुछ नहीं बोला. कई महीनों बाद वीरू ने मुझे बताया कि दरअसल मुंबई में इंग्लैंड से हार के बाद द्रविड़ ने कुर्सी फेंक दी थी. वीरू ने बताया कि उन्होंने कुर्सी इसलिए नहीं फेंकी थी कि टीम हार गई थी, बल्कि इसलिए कि वे बहुत बुरी तरह से हार गए थे.

ग़ौरतलब है कि यहां 2006 में इंग्लैंड के भारत दौरे के तीसरे टेस्ट मैच के बारे में बात हो रही है. इंग्लैंड ने घरेलू मैदान पर 212 रनों से जीत दर्ज की थी और श्रृंखला 1-1 से बराबर कर लिया था.

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3. जब वो फिरोज शाह कोटला, दिल्ली में चल रहे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़ कर चले गए थे, क्योंकि मामला थोड़ा बिगड़ गया था.

अगर 2006 की रिपोर्ट्स पर विश्वास किया जाए तो एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान फ़ोटोग्राफ़र्स और टेलीविज़न कैमरामैन के बीच बहस हाथ से निकल गई थी और मामला बिगड़ गया था. ऐसे में राहुल द्रविड़ ग़ुस्सा होकर कमरे से बाहर चले गए थे. तब ये एक बड़ी बात थी.

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4. जब 2004 की चैंपियंस ट्रॉफ़ी के दौरान पाकिस्तान के शोएब अख्तर के साथ हो गयी थी उनकी कहा-सुनी. 

अख़्तर अपनी गेंदबाजी से बल्लेबाज़ों के धैर्य की परीक्षा के लिए कुख्यात थे, लेकिन कभी-कभी जब वह ऐसा करने में क़ामयाब नहीं होते थे तो वह अन्य तरीकों का सहारा लेते थे जैसे कि पिच पर बल्लेबाज़ों के लिए रुकावट बनना.

अख़्तर ने चैंपियंस ट्रॉफी, 2004 के दौरान राहुल द्रविड़ के साथ यही किया, जिससे द्रविड़ गुस्से से लाल हो गए. परिणामस्वरूप, दोनों के बीच कहा-सुनी हुई, और इंज़माम-उल-हक़ के बीच-बचाव के लिए आना पड़ा.

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ग़ुस्सा सबको आता है, थोड़ा या ज़्यादा!

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