अगर कुछ कर गुज़रने की चाह हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है. क्या कोई हाथों के बिना क्रिकेट खेलने की कल्पना कर सकता है? नहीं न. लेकिन आज हम आपकी मुलाक़ात ऐसे ही एक शख़्स से कराने वाले हैं जो बिना हाथों के न सिर्फ़ क्रिकेट खेलते हैं, बल्कि ख़ूब चौके-छक्के भी उड़ाते हैं. हम बात कर रहे हैं जम्मू-कश्मीर के रहने वाले आमिर हुसैन लोन की. आमिर को बचपन से ही क्रिकेट से बेहद प्यार है, लेकिन उनके इसी प्यार ने उनसे उनके दोनों हाथ छीन लिए. 

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दरअसल, साल 1997 में जब आमिर मात्र 8 साल के थे, उस वक़्त क्रिकेट बैट बनाने वाली एक मशीन में उनके दोनों हाथ फंस गए थे जिस कारण उनके दोनों हाथ काटने पड़े. बचपन में ही इतनी बड़ी दुर्घटना होने के बावजूद आमिर का क्रिकेट से नाता नहीं टूटा. हाथ न होने के बावजूद उन्होंने गर्दन से बैट पकड़ कर क्रिकेट खेलना शुरू किया. आज आमिर न सिर्फ क्रिकेट खेल रहे हैं, बल्कि वो जम्मू-कश्मीर की पैरा-क्रिकेट टीम के कप्तान भी हैं.

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श्रीनगर से 42 किमी दूर वैघामा गांव के रहने वाले आमिर के पिता बशीर अहमद लोन क्रिकेट के बल्ले बनाने का काम करते थे, लेकिन आमिर के इलाज का ख़र्च उठाने के लिए उन्होंने अपना बैट बनाने का कारोबार भी बेच दिया था. जैसे-तैसे उन्होंने अपने पांच बच्चों का पालन पोषण किया. भले ही आमिर की ज़िंदगी बचाने में चिकित्सकों और सेना ने अहम भूमिका निभाई हो, लेकिन वो इसका श्रेय अपने पिता बशीर अहमद को देते हैं.

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दरअसल, उस हादसे के बाद आमिर को तीन साल अस्पताल में ही बिताने पड़े. जब घर लौटे तो आस-पड़ोस के बच्चों को क्रिकेट खेलता देख उनका भी क्रिकेट खेलने का मन करता. क्रिकेट से प्यार भी था और क्रिकेट खेलना भी था तो ऐसे में उन्होंने अपनी गर्दन में बैट फंसाकर क्रिकेट खेलना शुरू किया. धीरे-धीरे आमिर अपने पैरों से शानदार बॉलिंग और कैच पकड़ने में भी माहिर हो गए. कुछ साल की कड़ी मेहनत के बाद आमिर इतना अच्छा क्रिकेट खेलने लगे कि हर जगह उनके खेल की तारीफ़ होने लगी.

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हाथ नहीं होने के बावजूद आमिर चौके-छक्के लगाने में माहिर हैं. वैसे भी जब ज़िद लक्ष्य पाने की हो, तो परेशानियों का बहाना बनाना एक खिलाड़ी को शोभा नहीं देता. आमिर भी कुछ ऐसे ही हैं उन्होंने अपनी इस परेशानी को कभी भी अपनी कमज़ोरी नहीं बनने दिया.

देखिए इस वीडियो में…

आमिर हुसैन की असाधारण प्रतिभा के कारण साल 2013 में उन्हें जम्मू-कश्मीर की पैरा क्रिकेट टीम में जगह मिली. आमिर एक ऑलराउंडर के तौर पर टीम के अहम खिलाड़ी माने जाते हैं. वो जितनी अच्छी बैटिंग करते हैं उतनी ही अच्छी बॉलिंग और फ़ील्डिंग भी करते हैं.

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आमिर क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर को अपना आदर्श मानते हैं. बाएं कंधे और सिर के बीच में बल्ला रखकर खेलने वाले आमिर को स्क्वायर लेग पर फ़्लिक शॉट मरना बेहद पसंद है. क्योंकि सचिन भी इस शॉट को बड़ी अच्छी तरह से खेलते थे. अगर बात गेंदबाज़ी की करें तो वो गेंद पर ग्रिप बनाने के लिए अपने दाएं पांव का उपयोग करते हैं और लेग स्पिन गेंदबाज़ी करते हैं. उनकी लेग स्पिन देखकर हर कोई हैरान रह जाता है.

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आमिर ने बताया कि ‘जब मैं बुरी तरह से घायल हो गया था, उस वक़्त सेना के जवान अपनी गाड़ी में उन्हें अस्पताल ले गए. उस समय हमें बेहद मुश्किल दौर से गुज़रना पड़ा था. तीन साल बाद जब मैं वापस अपने घर आया तो अधिकतर लोगों ने कहा कि मेरे जीने का अब कोई मतलब नहीं है. लोगों ने तो यहां तक कह दिया था कि मुझ पर पैसा ख़र्च करना बर्बादी होगी’.

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आमिर का कहना है कि ‘मैंने अपनी ज़िंदगी में काफ़ी संघर्ष किए, लेकिन कभी भी हार नहीं मानी. मुझे बचपन से ही क्रिकेट से प्यार था. जब भी टीवी पर मैच देखता था तो सोचता था कि मैं भी एक दिन क्रिकेटर बनूंगा, लेकिन एक अच्छी बात ये है कि उस हादसे ने मुझे अंदर से बेहद मज़बूत बनाया है.

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आमिर अपना हर काम पैरों से ही करते हैं. पैरों से वो न सिर्फ़ क्रिकेट खेलते हैं बल्कि लिखना, नहाना, दाढ़ी बनाना और यहां तक कि कपड़े पहनना भी पैरों से ही करते हैं.

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आमिर के पिता बशीर अहमद लोन ने कहा कि आमिर उस हादसे के कुछ साल बाद से ही आत्म निर्भर है. वो पिछले कई सालों से सारा काम खुद ही कर रहा है. 

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