90 का दौर था, भारतीय महिला क्रिकेट का भविष्य अंधेरे में था. उस दौर में शायद ही ऐसा कोई क्रिकेट प्रेमी होगा, जिसे भारतीय महिला क्रिकेट टीम के किसी खिलाड़ी का नाम मालूम हो. फ़ैंस सिर्फ़ पुरुष क्रिकेट के बारे में ही जानते थे.
17 साल की उम्र में 12 फ़रवरी 1995 को न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ बांए हाथ की एक ख़ूबसूरत लड़की ने अपना वनडे डेब्यू किया. नाम था अंजुम चोपड़ा. उस वक़्त किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि आगे चलकर यही खिलाड़ी भारतीय महिला क्रिकेट की पहचान बन जाएगी.
वो अंजुम चोपड़ा ही हैं जिन्होंने भारतीय महिला क्रिकेट को एक नईं क्रांति दी. अंजुम ने अपनी शानदार बल्लेबाज़ी से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट जगत को दिखाया कि भारत में सिर्फ़ पुरुष ही नहीं बल्कि महिला क्रिकेटर भी बल्लेबाज़ी के जीनियस होती हैं.
कौन हैं अंजुम चोपड़ा?
दिल्ली की रहने वाली अंजुम चोपड़ा भारतीय महिला क्रिकेट की कप्तान और शानदार बल्लेबाज़ रह चुकी हैं. अंजुम ने 9 साल की उम्र से ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. पिता गोल्फ़र थे तो भाई दिल्ली के लिए अंडर 19 क्रिकेट खेल चुके हैं. वहीं उनके नाना वेद प्रकाश साहनी भी भारतीय एथलीट रह चुके हैं.
कैसा रहा अंतर्राष्ट्रीय करियर
अंजुम ने भारत के लिए 12 टेस्ट मैचों में 548 रन बनाये. वहीं 127 वनडे मैचों में उन्होंने 1 शतक के साथ कुल 2856 रन और 9 विकेट चटकाए, जबकि 18 टी-20 मैचों में अंजुम ने 241 रन बनाये.
अंजुम चोपड़ा के अनोखे रिकॉर्ड
1- अंजुम भारत के लिए महिला वनडे क्रिकेट में शतक लगाने वाली पहली क्रिकेटर हैं.
कुल 6 विश्व कप (चार वनडे विश्व कप और दो टी 20) खेल चुकी अंजुम को भारत सरकार साल 2006 में अर्जुन पुरस्कार जबकि साल 2014 में पद्म श्री से सम्मानित कर चुकी है.
अंजुम चोपड़ा को आज भी महिला क्रिकेट में कप्तानी और शानदार बल्लेबाज़ी के लिए याद किया जाता है.