बीसीसीआई दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है. बोर्ड अपनी कुल कमाई का मात्र 8 से 10 फ़ीसदी पैसा खिलाड़ियों की सैलरी पर ख़र्च करता है. इसी बात को लेकर कुछ समय पहले टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री ने खिलाड़ियों के पैसे बढ़ाये जाने की मांग की थी.
बीसीसीआई ने साल 2017-2018 के लिए नए कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम की घोषणा की है. इस बार खिलाड़ियों को चार ग्रेड A+, A, B और C में बांटा गया है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और स्पिनर आर.अश्विन को टॉप ग्रेड यानी A+ में जगह नहीं दी गई है. जबकि पत्नी से विवाद में फंसे मोहम्मद शमी को बीसीसीआई झटका देते हुए उनको नए कॉन्ट्रेक्ट से बाहर कर दिया गया है. बीसीसीआई ने साथ ही महिला क्रिकेट और घरेलु क्रिकेट के लिए भी नए कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम की घोषणा की है. महिला क्रिकेटरों को 3 ग्रेड A, B और C में रखा गया है.
किस ग्रेड वाले पुरुष खिलाड़ी को कितना पैसा मिलेगा?
A+ कैटेगरी वाले सभी प्लेयर्स को सालाना 7 करोड़, A कैटेगरी वाले प्लेयर को 5 करोड़, B कैटेगरी वाले प्लेयर को 3 करोड़ सालाना जबकि C कैटेगरी वाले प्लेयर को 1 करोड़ रुपये सालाना फीस दी जाएगी.
किस ग्रेड वाली महिला खिलाड़ी को कितना पैसा मिलेगा?
A कैटेगरी वाले प्लेयर को सालाना 50 लाख़, B कैटेगरी वाले प्लेयर को 30 लाख़ जबकि C कैटेगरी वाले प्लेयर को 10 लाख़ रुपये सालाना फीस दी जाएगी.
लेकिन बीसीसीआई के इस नए कॉन्ट्रैक्ट को लेकर अभी से ही सवाल उठने शुरू हो गए हैं.
Dear @BCCI please show your appreciation for women’s cricket by reducing this appalling pay gap. And please negotiate contracts for telecast of their matches. We have an excellent team that a lot of us fans regret not being able to watch perform regularly. pic.twitter.com/rlPMmuTtcU
— Nikhil Mehra (@TweetinderKaul) March 7, 2018
Source: twitter
किसी यूज़र ने ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए कहा कि ‘बीसीसीआई पुरुष क्रिकेटरों के मुक़ाबले महिला क्रिकेटरों को इतना कम पैसा क्यों दे रहा है? दोनों की सैलरी में इतना भारी अंतर क्यों है? हमारे देश की महिला क्रिकेट टीम इस समय दुनिया की बेहतरीन टीम में से एक है, फिर भी इनके मैच टेलिकास्ट नहीं किये जाते हैं.’ इसके पीछे कारण जो भी हो, लेकिन अब लोगों की सोच बदल रही है, लोग महिला क्रिकेट को देखना चाहते हैं. पिछले कुछ सालों में महिला क्रिकेट को जो भी पहचान मिली है, वो सिर्फ़ उनके अच्छे खेल की बदौलत मिली है. इसलिए महिला क्रिकेट मैचों को ज़्यादा से ज़्यादा टेलिकास्ट किया जाना चाहिए. जबकि बीसीसीआई की सबसे ज़्यादा कमाई विज्ञापनों से होती है. ऐसे में बोर्ड को लगता है कि महिला क्रिकेट को उतने विज्ञापन नहीं मिलेंगे, जितने कि पुरुषों क्रिकेट को मिलते हैं. यही एक बड़ा कारण है कि महिला क्रिकेट को कम प्रसारण मिलता है.
आज महिलाएं किसी भी काम में पुरुषों से कम नहीं हैं, फ़िर भी हमारे देश में महिलाओं और पुरुषों में इसी तरह का भेद किया जाता है. इस अंतर को मिटाने की सख़्त ज़रूरत है.