Caught Out Documentary Highlights : देश-विदेश में क्रिकेट के चाहने वाले लाखों-करोड़ों में हैं. भारत में अगर ये कह लें कि लोग क्रिकेटर्स को भगवान की तरह पूजते हैं, तो बिल्कुल भी ग़लत नहीं होगा. हालांकि, एक वक़्त ऐसा भी आया, जब क्रिकेट के इस खेल पर मैच फ़िक्सिंग का दाग लगा और खिलाड़ियों की साख पर बट्टा. नेटफ्लिक्स पर आई लेटेस्ट डॉक्युमेंट्री ‘कॉट आउट- क्राइम, करप्शन(Caught Out- Crime and Corruption), क्रिकेट घटनाओं के इसी सिलसिले का दस्तावेज है. इसमें कई पत्रकार और सीबीआई ऑफ़िशियल्स, जिन्होंने फ़िक्सिंग की बारीक़ रूप से जांच की थी, उन्होंने इस कंट्रोवर्सी पर डॉक्युमेंट्री में प्रकाश डाला है.

Caught Out Documentary Highlights
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आइए आपको कुछ पॉइंट्स में इस डॉक्युमेंट्री की हाइलाइट्स के बारे में बता देते हैं. साथ ही हम आपको वो हैरान करने वाली जानकारी भी देंगे, जो इस डॉक्युमेंट्री से हमें हासिल हुई हैं.

1- भारत के सबसे बड़े क्रिकेट घोटाले की जांच अचानक हुई ख़ोज के माध्यम से हुई थी

डॉक्युमेंट्री में पुलिस के पूर्व जॉइंट कमिश्नर के के पॉल ने बताया कि साल 2000 में किसी जेंटलमैन ने शिकायत की थी कि उसे धमकी भरे कॉल्स आ रहे हैं और लोग उससे पैसे लेने की कोशिश कर रहे हैं. तब पुलिस की टीम ने उनके टेलीफ़ोन को मॉनिटर करना शुरू किया. तब उन्होंने सुना कि कोई विवाद चल रहा है. वो कुछ क्रिकेट के बारे में बातचीत कर रहे थे, तभी उन्होंने किसी को कहते हुए सुना, ‘हाई हैंसी’. उस दौरान हैंसी क्रोंजे साउथ अफ़्रीकी नेशनल क्रिकेट टीम के कप्तान थे और उनकी काफ़ी जयादा फैन फॉलोइंग थी. तो जब दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने उन्हें भारत बनाम साउथ अफ्रीका का वन डे मैच फ़िक्स करने के आरोप में गिरफ्तार किया था, तो फैन्स के लिए ये काफ़ी शॉकिंग था. पहले उन्होंने इससे इंकार किया. हालांकि, जब बाद में जानकारी पब्लिक की तब उन्होंने अपना गुनाह क़ुबूल कर लिया.  

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2- जब पहली बार आउटलुक इंडिया ने 1997 में मैच फ़िक्सिंग की कहानी छापी थी, तो किसी ने यकीन नहीं किया था

जब इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट अनिरुद्ध बहल को पता चला कि भारत के फ़ेवरेट स्पोर्ट क्रिकेट की एक डार्क साइड भी है, जो सबसे छुपी हुई है. तब वो इसकी जांच में जुट गए. उनकी रिसर्च में उन्होंने बुकीज़ की जांच करनी शुरू की और मनोज प्रभाकर की भी जांच की, जिनके पास बताने के लिए सीक्रेट कहानियां थीं. जब उन्होंने मैगज़ीन में ‘India’s Worst Kept Secret in Outlook Magazine’ इस टाइटल से स्टोरी छापी, तो लोगों को यकीन नहीं हुआ और वो उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाने लगे. कोई ये नहीं यकीन नहीं करना चाहता था कि क्रिकेट में भी धोखाधड़ी हो सकती है. उन्होंने बताया कि वो ऑफिशियल्स जो गेम को चलाते थे, उनका एटीट्यूड शुरुआत से ही काफ़ी ज़्यादा था.

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3- क्रिकेट की दुनिया के नामी लोगों ने जब किए हैरान कर देने वाले ख़ुलासे

जब ‘Fallen Heroes: The Inside Story of A Nation Betrayed’ नाम की डॉक्युमेंट्री की शूटिंग चल रही थी, तब अनिरुद्ध बहल और मिंटी तेजपाल को क्रिकेट की दुनिया से शॉक कर देने वाले बयान पता चले. उन्होंने बताया कि सभी हैंसी क्रोंजे के रुपए लेने के बारे में बता रहे थे. उन सभी लोगों ने बताया कि पूरा वर्ल्ड कप फ़िक्स था. अनिरुद्ध और तेजपाल टॉप क्रिकेटर्स और टॉप प्रशासकों को मैच फ़िक्सिंग के बारे में काफ़ी कैजुअल तरीक़े से बात करते हुए देख रहे थे.

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4- जब शुरुआत में अनिरुद्ध और तेजपाल को स्टिंग ऑपरेशन करना पड़ा, क्योंकि कोई भी बोलने को तैयार नहीं था

हैन्सी क्रोंजे द्वारा किया हुआ घोटाला पूरी मीडिया में छा गया था. उस दौरान मैच फ़िक्सिंग हॉट टॉपिक बन गया था. लेकिन क्रिकेटर्स और प्रशासक जिनको इस बारे में पता था, वो इस बारे में बोलने से कतरा रहे थे. इसके बाद अनिरुद्ध बहल और मिंटी तेजपाल ने ‘तहलका’ का गठन किया था, ताकि स्टिंग ऑपरेशन के ज़रिए डार्क रियलिटी का पता चल सके.

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5- जब पता चला दाउद इब्राहिम का मैच फ़िक्सिंग से लिंक

इस दौरान क्रिकेट में भ्रष्टाचार और पैसे के जुए की कहानी सुर्ख़ियों में थी. हालांकि, जब इस पूरे मामले में मोस्ट वांटेड आतंकी दाउद इब्राहिम का लिंक पता चला, तब इस पूरे केस ने और भयानक मोड़ ले लिया. के के पॉल ने बताया था कि जांच के मुताबिक एक अज्ञात आवाज़ भारत में पूरे बुकीज़ को सेम टाइम पर रेट्स बताती थी. जब सीबीआई की जांच हुई, तब उसमें पता चला कि मैच फ़िक्सिंग में अपराधियों के साथ दाउद इब्राहिम भी शामिल था. उन्हें पता चला कि एक डब्बा सिस्टम था. इनको दुबई और शारजाह में बैठे अपराधी कंट्रोल करते थे.

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6- मनोज प्रभाकर ने दावा किया कि कपिल देव ने उन्हें 25 लाख रुपए की रिश्वत दी थी ताकि वो पाकिस्तान के ख़िलाफ़ मैच में अंडर परफॉर्म कर दें.

मनोज प्रभाकर ने काफ़ी सालों पहले हिंट दिया था कि उन्हें गेम को ख़राब करने के लिए एक प्लेयर ने रिश्वत दी थी. इसके कुछ सालों बाद प्रभाकर ने दावा किया कि वो ख़िलाड़ी कपिल देव थे, जिन्हें भारत को वर्ल्ड कप जिताने के पीछे का हीरो माना जाता है. हालांकि, उनका दावा जितना शॉकिंग था, उसके पीछे की थ्योरी को प्रूव करने के लिए कोई भी मैटेरियल नहीं मिला. कपिल देव ने इसके बारे में एक स्टेटमेंट भी दिया था, “कौन हैं प्रभाकर? फेस करने के लिए रेडी हैं? क्या उनके पास मेरा सामना करने की हिम्मत है? प्रभाकर क्या चीज़ है? क्या है प्रभाकर? क्या क्रिकेट खेली है उसने? क्या अच्छा काम किया है उसने?”

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7- मोहम्मद अज़हरुद्दीन ने कभी भी पब्लिकली मैच फ़िक्सिंग से किसी भी तरह का संबंध स्वीकार किया

सीबीआई की रिपोर्ट के आधार पर, बीसीसीआई ने मोहम्मद अजहरुद्दीन पर बोर्ड या आईसीसी द्वारा अधिकृत कोई भी क्रिकेट मैच खेलने से आजीवन प्रतिबंध लगा दिया. सीबीआई के सामने कथित तौर पर कबूल करने के बावजूद, भारत की क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान ने कभी भी सार्वजनिक रूप से किसी भी संलिप्तता को स्वीकार नहीं किया. इसके बाद साल 2012 में आंध्र हाई कोर्ट ने उन पर लगा प्रतिबन्ध हटा दिया गया था. उस दौरान वो 49 साल के थे.  

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8- हैंसी क्रोंजे का कबूलनामा, जिसने सीबीआई अधिकारियों को पूरी हार के पीछे बुनी कहानी के बारे में बताया

दिल्ली में रहने वाले एमके गुप्ता नाम के एक हीरा व्यापारी का नाम इस  भ्रष्टाचार के पीछे उजागर हुआ था, जिसने क्रिकेट की दुनिया को जकड़ लिया था. इस डिस्कवरी के बाद, उनके ख़िलाफ़ कोई भी चार्ज नहीं लगाया गया. हैंसी ने बताया था कि “मैं मोरल और प्रोफ़ेशनल ड्यूटीज़ में फ़ेल हो गया था. मैं ईमानदार नहीं था और मैं इसके लिए माफ़ी मांगता हूं. एमके गुप्ता ने मुझे दूसरे प्लेयर्स से बात करने के लिए कहा और इसके बदले में मुझे 30 हज़ार यूएस डॉलर उन्होंने दिए.”

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आप इस डाक्यूमेंट्री को यहां देख सकते हैं.