आज जब कप्तान विराट कोहली विजय रथ पर सवार हैं, सब भारतीय टीम को मिलती जीत देख कर ख़ुश हैं. इसका श्रेय कुछ लोग पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को भी देते हैं, उनका मानना है कि धोनी ने एक ऐसी टीम तैयार की थी जिसे जीतना आता था.
लेकिन जो भारतीय क्रिकेट को नज़दीक से जानते हैं, उन्हें पता है कि इसका सिलसिला सौरव गांगुली से शुरू होता है. पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने भारतीय टीम के भीतर जीत की भूख डाली थी, उसे लड़ना सिखाया था.
दादा के नाम से चर्चित सौरव गांगुली के क्रिकेट सफ़र को सबने देखा है. दादा के करियर का अंत बहुत ही फ़िल्मी तरीके से हुआ और इसकी शुरुआत की कहानी भी कुछ ऐसी ही थी.
पश्चिम बंगाल क्रिकेट के लिए नहीं, फ़ुटबॉल के लिए जाना जाता है. ऊपर से सौरव गांगुली का परिवार खेल प्रेमी भी नहीं था. हालांकि, बड़े भाई ज़रूर क्रिकेट खेलते थे इसिलए सौरव की राह आसान हो गई. बड़े भाई की छत्र-छाया में उन्होंने क्रिकेट का ककहरा सीखा.
साल 1989 में सौरव गांगुली को बंगाल की रणजी टीम में जगह दी गई, दुखद यह है कि उसी साल गांगुली के बड़े भाई को टीम से निकाला गया था.
लगातार अच्छा खेलने से उन्होंने चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा और साल 1992 में गांगुली को ब्रिसबेन के गाबा में वेस्टइंडिज़ के ख़िलाफ़ एकदिवसिए मैच में 6वें डाउन पर उतारा गया. उस मैच में गांगुली ने महज़ 3 रन बनाए थे.
एक मैच के बाद ही उन्हें टीम से निकाल दिया, उनके ऊपर आरोप था कि उन्होंने टीम मैनेजमेंट के साथ अच्छे से बर्ताव नहीं किया गया था. कहानी ये है कि सौरव गांगुली 12वें प्लेयर के तौर पर टीम में थे और उन्हें साथी खिलाड़ी के लिए पानी लेकर जाने को कहा गया था, जिसे दादा ने ये कह कर मना कर दिया कि ये उनका काम नहीं है. हालांकि, सौरव गांगुली इस आरोप से इंकार करते हैं.
दाएं हाथ के वो युवा बल्लेबाज़ घरेलू मैचों में लगातार रन बना कर वापस से टीम में लौटा. भारतीय टीम इंग्लैंड के टूर पर थी, गांगुली को वनडे में एक मैच खिला कर टेस्ट स्क्वॉड से भी हटा दिया गया.
नवजोत सिंह सिद्धु ने कप्तान मुहम्मद अजहरुद्दीन से अनबन होने की वजह से टीम छोड़ दी थी, उनकी जगह गांगुली को मौक़ा दिया गया. गांगुली ने टेस्ट का सबसे बेहतरीन पर्दापण किया.
दूसरे टेस्ट में मिले मौके को सौरव गांगुली ने अच्छे से भुनाया, लन्दन के लॉर्ड्स मैदान में सौरव ने 131 रन बनाए, इस पारी में उन्हें 95 रन बनाने वाले राहुल द्रविड का साथ मिला. कमाल की बात ये है कि दोनों का यह पहला टेस्ट मैच था.
चूंकि गांगुली ने शतक बनाया था इसिलए उनकी पारी यादगार हो गई. इसके बाद अगले ही टेस्ट मैच में सौरव ने फिर से शतक जड़ दिया. वो शुरुआत के दो लगातार मैचों में शतक जड़ने वाले तीसरे बल्लेबाज़ बने.
इसके बाद सौरव क्रिकेट के हर क्षेत्र में सफ़ल रहे, बल्लेबाज़ के तौर उनके छक्कों की मिसाल दी जाती है, कप्तान के तौर पर उनसे सीख मिलती है. वर्तमान में वो BCCI के अध्यक्ष हैं और क्रिकेट जगत को उनसे काफ़ी उम्मीदें हैं.