पिछले एक दशक से पाकिस्तान में क्रिकेट बुरे दौर से गुज़र रहा है. दुनिया की कोई भी बड़ी टीम पाक दौरे पर जाने को राज़ी नहीं है. पाकिस्तान को घरेलू सीरीज़ भी शारजाह में खेलनी पड़ती है. नेशनल टीम के साथ ही पाकिस्तान की घरेलू क्रिकेट भी बुरे दौर से गुज़र रहा है.
हमेशा से ही विवादों में रहने वाले पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड से जुड़ी एक ख़बर ने अब उनकी घरेलू क्रिकेट के ढांचे की पोल खोल दी है. पीसीबी की ग़लत नीतियों के चलते पाकिस्तान के कई युवा क्रिकेटरों का भविष्य अन्धकार में है. हालात ये हो गए हैं कि उनके कई होनहार घरेलू क्रिकेटरों को जीवन-यापन के लिए दिहाड़ी मज़दूरी करनी पड़ रही है.
दरअसल, हाल ही में पीसीबी ने पाकिस्तानी क्रिकेट को नए सिरे से खड़ा करने के लिए अपने विभागीय क्रिकेट को भंग करने का फ़ैसला किया था. बोर्ड के इस फ़ैसले की चौतरफ़ा आलोचनाएं हुईं थीं. आर्थिक संकट से भी जूझ रहे पीसीबी के पास अपने ख़र्च निकालने तक के भी पैसे नहीं हैं. ऐसे में मैदान के रखरखाव और स्टाफ़ का वेतन निकाल पाना बोर्ड के लिए बेहद मुश्किल हो रहा है.
महीनों तक सैलरी नहीं मिलने से कई विभागीय क्रिकेटर अब इस खेल से ही दूर हो रहे हैं. प्रथम श्रेणी क्रिकेटर में शानदार प्रदर्शन करने वाले फ़ज़ल सुभान उन्हीं बदकिस्मत खिलाडियों में से एक है. परिवार का पेट पलने के लिए फ़जल इन दिनों टेंपो चलाने को मज़बूर है.
SAD STORY OF 🇵🇰 🏏
— Shoaib Jatt (@Shoaib_Jatt) October 11, 2019
Fazal Subhan was the player of HBL, he has played U19 & A side cricket for Pakistan, he was contender of Pak Test team,
After closing of Departmental cricket he is driving drive
“BHARE KE SUZUKI”
His salary was 1 lac & now earning is less then 40k
😭 😭 😭 pic.twitter.com/nq22vPY55v
फ़ज़ल प्रथम श्रेणी क्रिकेट के साथ-साथ पाकिस्तान की अंडर-19 टीम और पाकिस्तान ‘ए’ टीम के अहम खिलाड़ी रह चुके हैं. एक वक़्त था जब फ़ज़ल उन शीर्ष खिलाड़ियों में शूमार थे, जो पाकिस्तान की राष्ट्रीय टीम में चुने जाने के बेहद करीब थे. लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया.
हाल ही शोएब जट्ट नाम के एक फ़ैन ने फ़ज़ल को टेंपो चलाते हुए देख लिया था. इसके बाद शोएब ने फ़ज़ल की कहानी सोशल मीडिया पर भी शेयर की.
इस दौरान फ़ज़ल कहना था कि परिवार का पेट-पालने के लिए उन्हें क्रिकेट छोड़नी पड़ी. फ़ज़ल की माने तो वो विभागीय क्रिकेट में 1 लाख रुपये वेतन पाते थे, पर पीसीबी द्वारा उसे बंद करने के बाद वो पिकअप वाहन चलाने को मज़बूर हैं. जिससे वो 30 से 35 हज़ार रुपये ही कमा पाते हैं. कभी-कभी तो खाली हाथ घर लौटना पड़ता है.
40 प्रथम श्रेणी मैच में 32.87 की औसत से 2301 रन बनाने वाले फ़ज़ल सुभान ने 5 शतक और 11 अर्द्धशतक भी लगाए हैं.
So sad Really , Like him & Many others r suffering, New system wil look after 200 players but 1000s of crickters & management staff r Unemployed bcos of this new model , I dont know who wil take the responsibility of this unemployment of cricket fraternity, 🤲🏼 for all the victims https://t.co/SaQfAKVFU2
— Mohammad Hafeez (@MHafeez22) October 12, 2019
Naya Pakistan Mein Tabdeeli..
— NaumAn Younus (@YounusNauman) October 14, 2019
isey kehtey hain tabdeeli
dekha kaise ek cricketer ko driver banadiya
ab ye gari bhi chala sakta hai wow
lanat hai bhi aisey nizaam n aisi tabdeeli par jo logo k rozgaar cheenley.. 😡
Shameful, they dedicate their entire young age to the game and end up being ignored. I hope the boards teach them other skills too which can give them better options if onevfails in cricket
— BirjuPatel Prankster (@Patelville) October 15, 2019
Problem isn’t just the departmental cricket. He would have ended up doing this post first class anyways. There needs to better plans for cricketers who retire.
— Fawád 🇦🇺 (@f_a_w_a_d) October 12, 2019
As for the new system, it’s just like any other workplace. The structure changes and many are made redundant.
Really sad news, as audience we love all cricketers, none is less then anyone, So sad can’t express how I am feeling right now, if that is the destination of cricket then who will choose cricket as profession 😫😫😫😫
— MANZ⭕⭕R (@Manzoorjak) October 13, 2019
Utmost shame for those who cast their vote in favour of new cricketing structure.Subhan is just one story, by doing this so called justice to crkt thr r number of cricketers who’ve lost their source of bread & r on roads. Talent is badly humiliated by the way. Sad day fr cricket.
— Mian Abbas لايق (@Mian_Abbas92) October 11, 2019
This is our level of thinking that cricket is being used for livelihood because of this our cricket was pushing backward every season.There were no competition b/w department. We are in fully support of this new structure of domestic cricket. Pak cricket will improve day by day.
— M Qureshi PTI 🇵🇰 (@MQureshi1997) October 12, 2019