कोरोना संकट के दौरान पूर्व भारतीय क्रिकेटर इरफ़ान पठान ग़रीबों और ज़रूरतमंदों की मदद में लगे हुए हैं. इस बीच इरफ़ान एक ऐसे शख़्स की मदद के लिए आगे आए हैं जो पिछले 27 सालों से भारतीय क्रिकेटरों के जूते सिलने का काम कर रहे हैं, लेकिन इन दिनों आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.
With very little about humanity & acts of kindness to cheer you up these days, @IrfanPathan redeems some hope. pic.twitter.com/0PyPKtmhjC
— Raunak Kapoor (@RaunakRK) June 15, 2020
दरअसल, हाल में इरफ़ान को एक क्रिकेट मैगज़ीन में छपी रिपोर्ट से पता चला कि ‘चेन्नई सुपर किंग्स’ के लिए आधिकारिक तौर पर जूते सिलने का काम करने वाले आर. भास्करन कोरोना संकट के चलते आर्थिक तंगी से परेशान हैं. इसके बाद इरफ़ान ने 25 हज़ार रुपये देकर भास्करन की मदद की. इसकी जानकारी ख़ुद मैगज़ीन ने दी है.
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रिपोर्ट के मुताबिक़, साल 1993 के बाद से चेन्नई में जितने भी अंतरराष्ट्रीय मैच खेले गए भास्करन इसके गवाह रहे हैं. पिछले 12 सालों से वो ‘चेन्नई सुपर किंग्स’ के लिए आधिकारिक जूते सिलने का काम कर रहे हैं. फ़िलहाल वो चिदंबरम स्टेडियम के बाहर वल्लाजाह रोड की फ़ुटपाथ पर बैठकर जूते सिलने का काम करते हैं.
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रिपोर्ट में बताया गया है कि, चेन्नई में होने वाले मैचों के दौरान भास्करन खिलाड़ियों व मैच अधिकारियों के आस-पास ही एक छोटे से कमरे में बैठ जाते हैं. आईपीएल अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने और कोरोना वायरस के कारण भास्करन को परिवार चलाने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
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असोसिएशन से मिलते थे 1000 रुपये
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सचिन के पैड व जूते भी किए थे ठीक
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‘मैंने महेंद्र सिंह धोनी को पहली बार साल 2005 से देखा था, जब वो मैच खेलने चेपॉक आए थे. इस दौरान उन्होंने मेरे साथ चाय भी पी थी. वो मुझसे कहते कि मैं उनसे तमिल में बात करूं, धोनी मुझे ‘माछी’ बुलाते हैं, जिसका मतलब भाई होता है. हम दोस्त की तरह बात करते हैं’.
Special stuff @IrfanPathan . Well done and to many more such small deeds of generosity from everyone. Sweet of you @RaunakRK to bring up to light such positive stuff as well during these grim times https://t.co/YFq1KJliIL
— DK (@DineshKarthik) June 15, 2020
The silent heroes are what we need ! Way to go @IrfanPathan https://t.co/0JHgjG3ciE
— Gauahar Khan (@GAUAHAR_KHAN) June 15, 2020
ये इरफ़ान पठान की दरियादिली ही है कि, वो सकंट की इस घड़ी में भास्करन की मदद के लिए आगे आये हैं.