हॉकी के महान खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर का सोमवार को मोहाली के एक अस्पताल में निधन हो गया. वो 96 वर्ष के थे और लंबे अरसे से स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों से जूझ रहे थे. उन्होंने भारत को लगातार तीन बार हॉकी में ओलंपिक स्वर्ण पदक दिलवाया था.  

बलबीर सिंह देश के महानतम एथलीट्स में से एक थे. उन्हें अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा चुने गए आधुनिक ओलंपिक इतिहास के 16 महानतम ओलम्पियन्स में शामिल किया गया था. बलबीर सिंह ने लंदन (1948), हेलसिंकी (1952) और मेलबर्न (1956) ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीते थे.

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हेलसिंकी ओलंपिक के फ़ाइनल में उन्होंने नीदरलैंड के ख़िलाफ 5 गोल किए थे, ये रिकॉर्ड आज भी कायम है. 1957 में बलबीर सिंह सीनियर को पद्मश्री से नवाजा गया था. वो 1975 में विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के मैनेजर भी थे. खेल के प्रति उनका जज़्बा कमाल का था. 1956 के ओलंपिक फ़ाइनल में वो उंगली में फ़्रैक्चर के बावजूद खेले थे. इस मैच में खेलने के लिए उन्होंने दर्द निवारक इंजेक्शन लिया था. 

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बलबीर सिंह ने भारत के लिए 61 मैच में 246 गोल किए थे. बलबीर सिंह को गोल स्कोरिंग मशीन कहा जाता था. ये हाल तब था जब हॉकी घास के मैदानों में खेली जाती थी. उनके पिता एक स्वतंत्रता सेनानी थे. बचपन से ही उन्हे हॉकी खेलने का शौक था. वो ऐसी हॉकी खेलते थे कि लोग देखते रह जाते थे.

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अंग्रेज़ी पुलिस अफ़सर John Bennettt ने उनके खेल के क़िस्से सुने थे और उन्हें खेलते हुए भी देखा था. उनके खेल से प्रभावित हो कर ही Bennettt को खेलने के लिए बुलाया, मगर सिपाहियों को देख वो अपने गांव से भाग कर दिल्ली आ गए. यहां CPWD में काम करने लगे. किसी तरह Bennettt ने उनका पता लगाया और वापस पंजाब लेकर आए. 

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यहां Bennettt ने उनके सामने दो रास्ते रखे या तो वो जेल चले जाएं या उनकी टीम को जॉइन कर लें. उन्होंने हॉकी को चुन लिया और इस तरह दुनिया को एक महान खिलाड़ी मिल गया. 1948 के ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने फ़ाइनल में ब्रिटेन को हराकर गोल्ड मेडल जीता था. इस मैच में बलबीर सिंह ने 2 गोल किए थे. साल 2018 में इस पर फ़िल्म ‘गोल्ड’ बनी थी. जिसमें अक्षय कुमार भारतीय टीम के मैनेजर तपन दास के किरदार में नज़र आए थे.

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बलबीर सिंह की तुलना हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद से की जाती थी. हालांकि, दोनों कभी साथ नहीं खेले. 2015 में बलबीर को उनकी शानदार उपलब्धियों के लिए मेजर ध्यानचंद लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. बलबीर सिंह जी भले ही ध्यानचंद जितने देश के घर-घर में मशहूर नहीं थे, पर उन्हें हॉकी में भारत को दिलाए गए सम्मान के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा. 

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