भारतीय क्रिकेट में दादा के नाम से मशहूर सौरव गांगुली का क्रिकेट की दुनिया में नाम ही काफ़ी है. दादा ने कप्तानी की बागडोर ऐसे वक़्त में संभाली थी, जब भारतीय क्रिकेट बुरे दौर से गुज़र रहा था. इसके बाद गांगुली ने नए खिलाडियों को लेकर एक मज़बूत टीम बनाई, जिसने हमें विदेशी धरती पर जीतना सिखाया. 13 जुलाई, 2002 लॉर्ड्स का ऐतिहासिक मैदान और भारत की इंग्लैंड पर शानदार जीत. इंग्लैंड के 326 रनों का पीछा करते हुए भारत ने इंग्लैंड को उसी की धरती पर पटखनी दी. जीत के बाद कप्तान सौरव गांगुली का बालकनी से T-Shirt उतारकर जीत का जश्न मनाना किसको याद नहीं होगा. लॉर्ड्स के इस ऐतिहासिक मैदान को क्रिकेट का मक्का भी कहते हैं. इस मैदान पर इस तरीके से जश्न मनाने पर तमाम क्रिकेट जानकारों ने उस वक़्त गांगुली को काफ़ी क्रिटिसाइज़ किया था, लेकिन क्रिकेट प्रेमी आज भी उनके जश्न मनाने के इस तरीके को सही बताते हैं.

हालांकि इतने साल बाद ख़ुद गांगुली मानते हैं कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था. गांगुली ने हाल ही में अपनी किताब ‘A Century Is Not Enough’ लॉन्च की है. इस क़िताब में उन्होंने अपने क्रिकेट करियर से जुड़ी हर कंट्रोवर्सी, सफलता और विफलता के बारे में लिखा है.
“I regret taking my shirt off & waving it at Lord’s” @SGanguly99 tells me about his most iconic definitive image: “I am from a conservative, shy, Bengali Family; I could have found a better way to celebrate” #ACenturyIsNotEnough preview of my intvw for @TheWeekLive @themojo_in pic.twitter.com/kZqxWuVIi9
— barkha dutt (@BDUTT) February 25, 2018
पत्रकार बरखा दत्त को दिए इंटरव्यू में गांगुली ने कहा कि, ‘मैं एक कंज़र्वेटिव बंगाली परिवार से हूं, मुझे लगता है कि ख़ुशी मनाने का ये तरीका सही नहीं था. मेरा ऐसा करना मेरी बेटी को भी अच्छा नहीं लगा था. मैं दोबारा कभी भी ऐसा नहीं करना चाहूंगा. अब मुझे लगता है कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था.’
हालांकि आप किसी भी क्रिकेट के दीवाने से पूछेंगे, तो गांगुली का शर्ट उतारना, उनके सबसे ख़ास लम्हों में से एक है. मेरे भी!