महेंद्र सिंह धोनी ये नाम सुनते ही सबके मन में एक ऐसे शांत स्वभाव के शख़्स की छवि बनती है, जो मैदान पर अपने तेज़ दिमाग़ के लिए जाना जाता है. एक तेज़ दिमाग़ कप्तान, चतुर विकेटकीपर, शानदार खिलाड़ी, एक इमोशनल पिता और हर पल पत्नी का साथ निभाने वाला पति, यही है महेंद्र सिंह धोनी की असली पहचान. चाहे टीम इंडिया का खिलाड़ी हो या फिर इंडियन आर्मी का एक जवान, धोनी अपना हर एक पल इस देश के लिए जीते हैं. 2007 टी-20 वर्ल्ड कप की जीत हो या फिर 2011 वर्ल्ड कप की जीत, हर बार धोनी ने देश का नाम रौशन किया है.

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भारत के सबसे सफ़ल कप्तान धोनी ने कई मौकों पर देशवाशियों के ग़म को ख़ुशियों में बदला है. संकट में फंसी टीम को जीत दिलाना कोई धोनी से सीखे. धोनी के अंदर आज भी जीत की वही भूख नज़र आती है, जैसे 10 साल पहले दिखती थी. मैच की आख़िरी गेंद तक लड़ने का ये जज़्बा सिर्फ़ धोनी जैसे खिलाड़ियों के अंदर ही होता है. आख़िरी बॉल पर छक्का मारकर टीम को जिताना धोनी का सिग्नेचर स्टेप बन चुका है.

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टीम इंडिया में धोनी के हालिया प्रदर्शन के चलते कई पूर्व खिलाड़ियों ने तो धोनी के करियर को लेकर भविष्यवाणियां तक कर डाली थीं कि धोनी में अब पहले वाली बात नहीं रही. वो शायद वो 2019 वर्ल्ड कप भी ना खेल पाए, अब किसी यंग क्रिकेटर को मौका देना चाहिए… फलाना… फलाना… लेकिन 36 साल के धोनी ने दिखा दिया कि उनमें अब भी मैच का पासा पलटने की क्षमता है. धोनी आज भी मैदान पर यंग क्रिकेटरों को हर मामले ने मात देते नज़र आते हैं.

1. जो अनहोनी को होनी कर दे वो हैं महेंद्र सिंह धोनी.

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बुधवार को रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के ख़िलाफ़ खेले गए एक मैच के दौरान धोनी का दम एक बार फिर देखने को मिला. सीएसके को आख़िरी ओवर में 16 रन चाहिए थे. ब्रावो ने शुरू की तीन गेंदों में 11 रन बना लिए थे. अब टीम को 3 गेंदों में 5 रन चाहिए थे और हमेशा की तरह धोनी ने इस बार भी छक्का मारकर चेन्नई को मैच जीता दिया. इस मैच में धोनी ने 34 बॉल में 7 छक्के और एक मात्र चौके के दम पर 70 रनों की शानदार पारी खेली. धोनी के इस आख़िरी छक्के ने 2011 वर्ल्ड कप की याद ताज़ा कर दी.

2. ऐसे नज़ारे क्रिकेट में देखने को मिलते हैं.

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इस मैच में एक और नायब दृश्य देखने को मिला. रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की पारी के दौरान जब बल्लेबाज़ ने हवा में एक ऊंचा शॉट खेला, जो कि उड़ता हुआ थर्डमैन की ओर जा रहा था और धोनी उस कैच को लपकने के चक्कर में बाउंड्री तक जा पहुंचे. बल्लेबाज़ की किस्मत अच्छी थी कि बॉल धोनी से काफ़ी दूर जाकर गिरी, लेकिन धोनी ने तेज़ी दिखाते हुए बॉल को बॉउंड्री पार जाने से रोक लिया.

3. 23 मार्च, 2016 बेंगलुरु में टी-20 वर्ल्डकप सेमीफ़ाइनल.

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भारत ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 146 रन बनाये. 147 का टार्गेट चेज़ करने उतरी बांग्लादेश की टीम को अंतिम ओवर में जीतने के लिये 11 रन चाहिए थे. इस मैच में बांग्लादेश की जीत पक्की लग रही थी. जीत के लिए एक गेंद पर दो रन चाहिए थे. हार्दिक पंड्या ने जैसे ही बॉल डाली बल्लेबाज़ बॉल छुए बिना ही रन के लिए निकल गया. बॉल थी विकेट से काफ़ी दूर खड़े धोनी के पास. उधर से मुस्तफ़िज़ुर रहमान दौड़ते हुए आ रहे थे और इधर से धोनी गेंद थ्रो करने के बजाए अपने गल्ब्ज़ में लिए दौड़ रहे थे. दौड़ने के मामले में भला धोनी को कौन टक्कर दे सकता है. मुस्तफ़िज़ुर रन पूरा करते उससे पहले ही धोने ने बॉल स्टंप पर दे मारी और भारत ने एक रन से मैच जीत लिया.

क्रिकेट मैदान पर ऐसे कई बड़े मौके आये हैं, जब धोनी ने अकेले दम पर टीम को मैच जिताए हैं.