खशाबा दादासाहेब जाधव यानि के.डी. जाधव (K. D. Jadhav) ओलंपिक (Olympic) में आज़ाद भारत को पहला व्यक्तिगत मेडल दिलाने वाले एथलीट के तौर पर जाने जाते हैं. रेसलर के.डी. जाधव ने 1952 के ‘हेलसिंकी ओलंपिक’ के दौरान फ़्रीस्टाइल रेसलिंग के 57 किग्रा भार वर्ग में भारत को ‘ब्रोंज़ मेडल’ दिलाया था. हालांकि, जाधव से पहले भारत केवल ‘हॉकी’ में ही ‘गोल्ड मेडल’ जीत पाया था. आज़ाद भारत का पहला ओलंपिक पदक विजेता होने के बावजूद जाधव को ‘पद्म पुरस्कार’ तक नहीं मिला. भारत सरकार ने के.डी. जाधव को कोई और सम्मान तो नहीं, लेकिन कुश्ती में उनके योगदान के लिए साल 2000 में उन्हें मरणोपरांत ‘अर्जुन पुरस्कार’ से ज़रूर सम्मानित किया.
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हेलसिंकी ओलंपिक में मेडल जीतने के बाद महाराष्ट्र पुलिस ने के.डी. जाधव (K. D. Jadhav) को सब-इंस्पेक्टर की नौकरी दी थी. वो नौकरी में इतना व्यस्त हो गये कि 1956 के ओलंपिक में भाग लेना चाहते थे, लेकिन घुटने की गंभीर चोट ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. इस बीच उन्होंने पुलिस विभाग में आयोजित मुक़ाबलों में जीत जारी रखी. सन 1983 में जाधव जब महाराष्ट्र पुलिस में ‘असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर’ के रूप में सेवानिवृत्त हुए तो उन्हें अंतिम वेतन के रूप में क़रीब 2,200 रुपये मिले थे. इन पैसों से उन्होंने अपने घर का नाम ‘ओलंपिक निवास’ रखने का सपना देखा. ऐसे में उन्होंने रिटायरमेंट पर मिले 75,000 रुपये का इस्तेमाल किया और घर बनाने के लिए पैसे जुटाने के लिए अपनी पत्नी के गहने तक बेच दिए.
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के.डी. जाधव (K. D. Jadhav) का जन्म 15 जनवरी 1926 को महाराष्ट्र के सतारा में हुआ था. वो बेहद शातिर रेसलर माने जाते थे. वो अपने पैरों की फुर्ती के लिए मशहूर थे. पैरों की इसी फुर्ती के कारण वो चंद सेकंड में विपक्षी पहलवान को धराशाही कर देते थे. जाधव की यही ख़ासियत उन्हें अपने समय के अन्य पहलवानों से अलग भी बनाती थी. ब्रिटिश कोच रीस गार्डनर ने ही पहली बार उनके इस गुण को पहचाना था और 1948 के ‘ओलंपिक खेलों’ से पहले उन्हें प्रशिक्षित भी किया था.
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चलिए आज आप भी आज़ाद भारत के इस पहले ओलंपिक पदक वीर की रेसलिंग के दौर की तस्वीरें देख लीजिए-
1- 1952 के ‘हेलसिंकी ओलंपिक’ में भाग लेने जाते हुये.
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2- ‘हेलसिंकी ओलंपिक’ के एक मुक़ाबले के दौरान.
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3- ‘हेलसिंकी ओलंपिक’ के दौरान ‘ब्रोंज़ मेडल’ के बाद पोडियम पर खड़े जाधव.
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4- विपक्षी पहलवान को अपने दांवपेच दिखते हुए के.डी. जाधव.
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5- के.डी. जाधव ने 15 साल की उम्र से ही हरेस्लिंग शुरू कर दी थी.
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6- के.डी. जाधव प्रैक्टिस के दौरान.
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7- के.डी. जाधव महाराष्ट्र पुलिस में ‘असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर के पद से रिटायर हुये थे.
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8- पुलिस की नौकरी के दौरान युवाओं को ट्रेनिंग देते हुए जाधव.
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9- 20 साल की उम्र में टूर्नामेंट जीतने के बाद के.डी. जाधव.
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10- ‘हेलसिंकी ओलंपिक’ के बाद की तस्वीर.
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11- के.डी. जाधव द्वारा ‘हेलसिंकी ओलंपिक’ में जीता गया ब्रोंज़ मेडल.
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12- के.डी. जाधव के बेटे रंजीत जाधव ब्रोंज़ मेडल दिखाते हुये.
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13- महाराष्ट्र के गौरव के.डी. जाधव से जुड़ा ये वीडियो देख लीजिये.
भारत के इंटरनेशनल रेसलर संग्राम सिंह जल्द ही के.डी. जाधव के जीवन पर एक फ़िल्म बनाने जा रहे हैं. संग्राम ने के.डी. जाधव के बेटे रंजीत जाधव से इसके राइट्स भी ख़रीद लिए हैं. इस फ़िल्म की कहानी रेसलर के.डी. जाधव के जीवन के सबसे अहम पड़ाव 1952 के ‘ओलंपिक’ में पदक जीतने पर आधारित होगी. के.डी. जाधव बचपन से ही संग्राम सिंह के आदर्श रहे हैं. ऐसे में संग्राम उनकी ज़िंदगी पर फ़िल्म बनाकर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देना चाहते हैं.