इन जूतों को देख रहे हो न, क्या इन्हें पहनकर फ़ुटबॉल खेला जा सकता है?
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इन जूतों के साथ फ़ुटबॉल खेलना तो दूर की बात चलना भी मुश्किल है, लेकिन इन्हीं जूतों को पहनकर एक खिलाड़ी ने फ़ुटबॉल खेली और ऐसी फ़ुटबॉल खेली कि लोग उन्हें आज Sadio Mane के नाम से जानते हैं.
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27 साल के ‘सैदियो माने’ फ़ुटबॉल प्रेमियों के लिए क्रिकेट के विराट कोहली की तरह हैं. लीवरपूल के डिफ़ेंडर और सेनेगल की नेशनल टीम के कप्तान ने यहां तक पहुंचने के लिए कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना किया है.
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एक इंटरव्यू के दौरान ‘सैदियो माने’ ने अपने संघर्ष की ख़ुद बयां की है-
इस दौरान उन्होंने कहा कि मुझे बचपन से ही फ़ुटबॉल से प्यार था. मैं हर हाल में एक बड़ा फ़ुटबॉलर बनना चाहता था. 15 साल की उम्र में मैं अपने पहले परीक्षण के लिए पहली बार घर से 500 मील दूर गया. इस दौरान मेरे पास ट्रायल के जूते भी नहीं थे. जो थे उनसे फ़ुटबॉल खेलना तो दूर चलना भी मुश्किल
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ये ‘सैदियो माने’ के संघर्ष की पहली कहानी थी. इस दौरान उन्हें फ़ुटबॉल खेलने के लिए काफ़ी संघर्ष करना पड़ा. कहीं मौके मिले तो कहीं से निराशा हाथ लगी. इसके बाद सैदियो माने को साल्ज़बर्ग और साउथेम्प्टन जैसे क्लबों के लिए खेलने का मौका मिला. ये वो बड़े मौके थे जब लोगों ने उनके शानदार खेल को देखा. ये तो सिर्फ़ शुरुआत थी पिक्चर तो अब भी बाकी थी.
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इन 7-8 सालों में लोग सैदियो माने को उनके खेल के कारण जानने लगे थे. आख़िरकार साल 2016 में एक बड़ी डील के साथ ‘सैदियो माने’ को लिवरपूल ने अपने साथ जोड़ लिया. ये उनकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा मौका था जब उन्हें दुनिया के बड़े खिलाड़ियों रोनाल्डो, मैसी, नेमार और सुआरेज़ के साथ खेलने का मौका मिला.
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15 साल की उम्र में एक जोड़ी फटे जूतों के साथ फ़ुटबॉल खेलने वाला वो बच्चा 2019 में ख़ुद के कस्टम-मेड जूतों का मालिक है. लेकिन फ़ुटबॉल के अलावा ‘सैदियो माने’ अपने नेक कार्यों के लिए भी जाने जाते हैं.
‘सैदियो माने’ की कहानी ग़रीब से अमीर बनने की नहीं है, बल्कि एक ऐसे इंसान की है जो आज भी अपनी जड़ों से जुड़ा हुआ है. सैदियो को अच्छे से मालूम है कि जिस ग़रीबी से निकलकर वो आज दुनिया के बड़े फ़ुटबॉलरों में सुमार होते हैं उस ग़रीबी का अहसास किसी और बच्चे को न हो. इसलिए वो ग़रीबों की मदद के लिए हर वक़्त तैयार रहते हैं.
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‘सैदियो माने’ सेनेगल के एक छोटे से गांव बंबाली से आते हैं. कद बढ़ जाने के बावजूद वो आज भी अपने गांव से जुड़े हुए हैं. अपने गांव वालों के प्रति आज भी उतने ही विनम्र हैं जितने पहले थे.
Sadio Mane could be anywhere in the world on holiday after a long season…
— talkSPORT (@talkSPORT) July 28, 2019
He’s currently in his village in Senegal to check on a €270k school he’s financing.
He’s already paid for a hospital, and he regularly gives out money to families. pic.twitter.com/NOkTWka51G
पिछले कुछ सालों में वो अपने गांव में स्कूल, हॉस्पिटल, बिजली, सड़क और पानी जैसी आधारभूत सुविधाओं के लिए 270k डॉलर दान कर चुके हैं. जो बच्चे फ़ुटबॉल खेलना चाहते हैं उन्हें फ़्री किट बांटने का नेक काम भी करते हैं. सिर्फ़ इतना ही नहीं वो अपने गांव के हर एक शख़्स को हर महीने 70 डॉलर भी देते हैं.
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‘सैदियो माने’ के बारे में सबसे ख़ास बात ये है कि प्रति सप्ताह 150,000 डॉलर कमाने के बावजूद वो अब भी टूटा हुआ iPhone 7 इस्तेमाल करते हैं.
सैदियो माने कहते हैं–
मुझे 10 फ़रारी, 20 हीरे की घड़ियां या फ़िर 2 विमान क्यों चाहिए? ये महंगी वस्तुएं मेरे और दुनिया के लिए क्या करेंगी? मैंने स्कूल, स्टेडियम, ग़रीबों के लिए कपड़े, जूते, भोजन प्रदान कराने की कोशिश की है. मेरे शिक्षा हासिल नहीं कर पाया और मेरे पास कई अन्य चीजें भी नहीं थीं, लेकिन आज मैं फ़ुटबॉल की बदौलत जो कमा रहा हूं, उससे मैं अपने लोगों की मदद कर सकता हूं.
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साल 2019 में गोल करने और डिफ़ेंडर के तौर पर वो प्रीमियर लीग के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी साबित हुए. सैदियो के रहते लीवरपूल ने 20 साल में पहली बार प्रीमियर लीग ख़िताब में जीत हासिल की है.
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साल 2019 में सेनेगल के लिए ‘अफ़्रीकी कप ऑफ नेशंस’ में शानदार प्रदर्शन के कारण उन्हें ‘द अफ़्रीकन प्लेयर ऑफ़ द ईयर’ अवार्ड से सम्मानित किया गया था.
‘सैदियो माने’ के बारे में उनके गांव के लोग क्या कहते हैं वो भी जान लीजिये