भारतीय खिलाड़ियों ने हाल ही में हुए एशियन गेम्स 2018 में 69 पदक जीते थे. ये एशियाई खेलों में भारत का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन था. इन सभी खिलाड़ियों को इंडियन ओलंपिक संघ द्वारा सम्मानित किया गया मगर सिस्टम यहां भी फ़ेल होता दिखाई दिया. संघ के अधिकारियों ने नकद पुरस्कार राशि वाले चेक पर कई खिलाड़ियों के ग़लत नाम लिख दिए. मगर हद तो तब हो गई जब वो सम्मान पाने वालों की लिस्ट में कांस्य पदक जीतने वाली पहलवान दिव्या काकरान का नाम शामिल करना ही भूल गए.
दिल्ली में हुए इस सम्मान समारोह में IOA ने टीम स्पर्धाओं में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक विजेताओं को क्रमश: 3 लाख, 2 लाख और 1 लाख रुपये के पुरस्कार दिए. व्यक्तिगत पदक विजेताओं को 5 लाख, 3 लाख और 2 लाख रुपये के पुरस्कार दिए गए.
इसमें करीब 15 पदक विजेता शामिल थे, जिसमें कंपाउंड तीरंदाज़ ज्योति सुरेखा वेन्नाम और अभिषेक वर्मा को सिर्फ़ फूलों का गुलदस्ता ही दिया गया. कारण उनके नाम चेक पर ग़लत लिखे हुए थे.
आइओए अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने कहा, ‘मैं अपनी ग़लती के लिए पहले ही माफ़ी मांगना चाहूंगा. करीब 14-15 खिलाडि़यों के नाम ग़लत प्रिंट हो गए हैं, इसलिए हम उन्हें केवल फूलों का गुलदस्ता ही देंगे. लेकिन, चिंता मत कीजिए, आपको नकद पुरस्कार मिलेगा. मैं उन्हें वो चेक नहीं देना चाहता, जिस पर ग़लत नाम लिखे हैं.’
IOA ने एक और ग़लती कर दी. आयोजकों ने कांस्य पदक जीतने वाली पहलवान दिव्या काकरान का ज़िक्र ही नहीं किया. जब काकरान के माता-पिता ने समारोह के बाद बत्रा से इस बारे में पूछा तो अध्यक्ष ने खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर को दिव्या के पुरस्कार की घोषणा करने के लिए पुकारा.
मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी, क्योंकि वो कार्यक्रम से जा चुके थे. इस पूरे प्रकरण पर काकरान की मां ने कहा-‘वे कह रहे हैं कि उसका नाम सूची में ही नहीं है, लेकिन हमने उसका नाम दिया था. मैं नहीं जानती कि क्या हो रहा है.’
साल 2018-19 के बजट में सरकार ने युवा मामले और खेल मंत्रालय को कुल 2196.35 करोड़ रुपये अावंटित किए. इसमें से मात्र 520 करोड़ रुपये खेलों के प्रचार के लिए रखे गए थे. वहीं दूसरी तरफ़ सरकार अपनी योजनाओं के प्रचार के लिए विज्ञापन पर 2014 -2017 तक 4343 करोड़ रुपये ख़र्च कर चुकी है.
आप इसी से ही अंदाजा लगा सकते हैं कि हमारा सिस्टम खेल और खिलाड़ियों को लेकर कितना संजीदा है.