ये 70 के दशक के मध्य बात है, मुंबई में अंडर 19 क्रिकेट खिलाड़ियों का कैंप लगा था. प्रैक्टिस के बाद खिलाड़ी खाने के लिए बैठे तो एक खिलाड़ी थाली में मिले दो रोटियों, थोड़ी सी दाल और सब्ज़ी मिली तो उसने नाराज़गी जताई. उसने कैंप के मैनेजर से शिकायत की और कहा कि मुझे और खाना चाहिए मैं फ़ास्ट बॉलर हूं, इतने से मेरा क्या होगा. इस बात पर कैंप मैनेजर ने उस युवा खिलाड़ी से कहा कि इंडिया में फ़ास्ट बॉलर होते ही नहीं है. 

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तब कैंप मैनेजर को भी कहां अंदाज़ा था कि ये बात उसने हरियाणा के किसी खिलाड़ी से नहीं, आगे चल कर विश्व क्रिकेट के महान ऑलराउंडर बनने वाले कपिल देव से की थी. 

कैंप मैनेजर ने कपिल देव को जब ये बात कही कि भारत में फ़ास्ट बॉलर नहीं होते तब उसका मतलब ये नहीं था कि भारत में तेज़ गेंदबाज़ थे नहीं, कहने का तात्पर्य ये थी कि भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों में इतनी गति नहीं थी कि उन्हें तेज़ गेंदबाज़ कहा जा सके. 

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कपिल देव ने अपने करियर में कुल 687 अंतरराष्ट्रीय विकेट लिए हैं. ये संख्या इस मायने में भी ख़ास है क्योंकि भारतीय पीच फ़ास्ट बॉलर को मदद नहीं पहुंचाती और आमतौर पर फ़ास्ट बॉलर जोड़े में चलते हैं. कपिल देव को न पिच मिला न साथी गेंदबाज़. 

जब उन्होंने क्रिकेट से अलविदा कहा था तब वो टेस्ट मैच में सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ थे, वनडे मैचों के भी वो पहले गेंदबाज़ थे, जिसने 200 विकेट चटकाए थे. 

गेंदबाज़ी के अलावा कपिल देव ने बल्लेबाज़ी में कई कारनामे दिखाए हैं, उन्हें आज भी दुनिया का सबसे महान ऑलराउंडर माना जाता है. वो अकेले क्रिकेट खिलाड़ी हैं जिसने टेस्ट मैच में 400 से ज़्यादा विकेट लिए हैं और 5000 से ज़्यादा रन बनाए हैं. 

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क्रिकेट में उनका करियर लगभग 16 साल लंबा चला. इस दौरान उन्होंने एक भी मैच चोट या इंजरी के कारण नहीं छोड़ा. उन्होंने अपने फ़िटनेस पर बहुत ध्यान दिया था. पूर्व खिलाड़ी सुब्रतो बैनर्जी बोलते हैं कि कपिल देव अगर तेज़ गेंदबाज़ नहीं होते तो वो फर्राटा धावक होते. कपिल देव अपने करियर में कभी रन आउट भी नहीं हुए, ये भी एक अनोखी उपलब्धी है. 

वर्ल्ड कप 

1983 के वर्ल्ड कप के बिना न भारतीय क्रिकेट की बात पूरी हो सकती है और न ही कपिल देव की. एक अंडर डॉग टीम का एक युवा कप्तान. न जिसमें न नामी गेंदबाज़ थे और न ही उसकी पहचान उसके बल्लेबाज़ थे, बावजूद इसके कप्तान कपिल देव ने एक टीम खड़ी की जो एक खिलाड़ी के बदौलत नहीं बनी थी, वो एक टीम थी. 

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कपिल देव ने आगे बढ़ कर उस टीम को प्रोत्साहित किया और ख़ुद ऐसी पारी खेली जिसे वनडे का क्रिकेट की बेस्ट इनिंग भी कही जाती है. जिंबाब्वे के ख़िलाफ़ क्वार्टर फ़ाइनल में भारत मात्र 17 रनों पर अपने 5 विकेट गंवा चुका था, वहां से शुरू होती है कपिल देव की 175 रनों की विध्वंसक पारी, जिसके बदौलत भारत सेमी-फ़ाइनल में गया और फ़ाइनल में वर्ल्ड कप भी उठाया.