Khelo India Youth Games 2022: ‘खेलो इंडिया यूथ गेम्स’ (KIYG) में खिलाड़ियों ने जमकर अपनी प्रतिभा प्रदर्शन किया. इनमें से कई युवा खिलाड़ी ग़रीब तबके से काफ़ी संघर्ष करने के बाद मेडल जीतने में कामयाब हुए हैं. इन्हीं में से एक युवा खिलाड़ी की कहानी हम आपको बताएंगे, जिन्होंने अपने पिता की मौत के बाद मेडल जीता और वो उनके सपने को साकार करने के लिए लगातार कोशिश कर रही हैं.

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KIYG में 400 मीटर स्प्रिंट स्पर्धा में जीता कांस्य पदक

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इस युवा महिला खिलाड़ी का नाम है मुगदा सिरीशा (Mugada Sireesha). ये आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम ज़िले के एक सुदूर गांव कोविलम की रहने वाली हैं. इन्होंने हरियाणा के पंचकुला में हुए KIYG में 400 मीटर स्प्रिंट स्पर्धा में कांस्य पदक जीता है. 19 वर्षीय इस खिलाड़ी के पिता ने इनकी प्रतिभा को देखते हुए इन्हें धावक बनने की सलाह दी थी.

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मुगदा सिरीशा (Mugada Sireesha) के पिता करते थे किसानी 

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इनके पिता मुगदा कृष्णम नायडू एक किसान थे, वो एक धावक बनने के लिए शुरुआती ट्रेनिंग सिरीशा ने अपने पिता से ही हासिल की. वो उन्हें हमेशा खेलों में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करते थे. जब सिरीशा दौड़ में अव्वल आने लगीं तो उन्हें आंध्र प्रदेश में होने वाली विभिन्न दौड़ प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के ले जाने लगे. सिरीशा ने भी अपने पिता को निराश नहीं किया वो स्टेट लेवल पर दौड़ में कई मेडल और टूर्नामेंट जीते.

स्टेट लेवल पर जीते 30 मेडल

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इन्होंने स्टेट लेवल पर 30 मेडल जीते थे जिसमें से 26 गोल्ड थे. इसके बाद उनका सेलेक्शन Sports Authority Of India के हैदराबाद ट्रेनिंग सेंटर के लिए हुआ. यहां भी उन्होंने नेशनल लेवल पर ख़ुद को साबित करने के लिए काफ़ी मेहनत की. उनके पिता का सपना था कि वो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए बतौर धावक खेलें.

इसकी तैयारी चल ही रही थी कि साल 2019 में सिरीशा के पिता की एक एक्सीडेंट में मौत हो गई. उन्होंने अपना आत्मविश्वास बनाए रखा और मां के संबल के भरोसे अपनी ट्रेनिंग जारी रखी. उनकी मां अब मज़दूरी कर सिरीशा और बाकी परिवार का ख़र्च उठा रही हैं.

पिता के जाने के बाद मां मज़दूरी कर इनकी ट्रेनिंग करवा रही हैं

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सिरीशा बताती हैं कि जब उनके पिता उन्हें खेलों में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करते थे तो उनके पड़ोसी इस पर आपत्ति जताते. वो कहते कि लड़कियों को खेल-वेल में नहीं डालना चाहिए. मगर उनके पिता ने उनकी फिक्र नहीं की और बेटी को खेलने लिए प्रोत्साहित करते रहे. सिरीशा को पिता के जाने का दुख तो है लेकिन साथ ही वो इसकी शुक्रगुजार भी हैं कि उनके पिता ने सिरीशा को जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतते हुए देखा. वो कहती हैं कि पिता के अचानक चले जाने से घर पर बहुत बड़ी मुसीबत आन पड़ी. उस समय दो वक़्त की रोटी मिल जाना भी हम गनीमत समझते थे. 

ये है अगला लक्ष्य 

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मुगदा सिरीशा (Mugada Sireesha) का सपना है कि वो 400 मीटर दौड़ में धावक हिमा दास के 50.79 सेकेंड के राष्ट्रीय रिकॉर्ड को तोड़ नया रिकॉर्ड बनाएं. वो हैदराबाद में द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता कोच नागपुरी रमेश के मार्गदर्शन में इसके लिए तैयारियां कर रही हैं.