कप्तान कोहली और पू्र्व कोच कुंबले के बीच तनातनी की खबरें पिछले कुछ समय से मीडिया में छाई हुई हैं और अब एक और खुलासे ने इस हाई प्रोफ़ाइल मामले को हवा दे दी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीसीसीआई के टॉप अधिकारियों को कुंबले और कोहली के बीच खटपट का तो अंदाज़ा था, लेकिन उन्हें ये उम्मीद नहीं थी कि ये दोनों ही लोग पिछले छह महीनों से एक-दूसरे से बात नहीं कर रहे हैं.

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एक और महत्वपूर्ण बात जो सामने आई है, वो ये है कि चीफ Advisory कमिटी के सदस्यों: सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण ने भी कुंबले के कार्यकाल को बढ़ाने से पहले एक शर्त रखी थी. बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी इस पूरे मामले के दौरान लंदन में मौजूद थे. उन्होंने कहा कि ‘सीएसी का कहना था कि कुंबले का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है बशर्ते वे अपने पुराने सभी विवाद सुलझा लें.’ जाहिर है, सीएसी का साफ़ इशारा, कोहली और कुंबले के बीच चल रहे विवाद को लेकर था.

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गौरतलब है कि आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफ़ी फ़ाइनल के बाद भारतीय टीम के होटल में तीन अलग-अलग मीटिंग्स हुई थी. पहली मीटिंग में कुंबले ने बीसीसीआई के टॉप अधिकारियों और सीएसी के सदस्यों से मुलाकात की थी. वही दूसरी मीटिंग में कुंबले की जगह कोहली मौजूद थे.

तीसरी और आखिरी मीटिंग में कुंबले और कोहली आमने-सामने थे. छह महीनों से चला आ रहा चुप्पी का दौर इस मीटिंग में भी कायम रहा और दोनों के बीच मतभेद सुलझाने की कोशिशें सफ़ल नहीं हो पाईं. गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में इंग्लैंड के साथ सीरीज़ ख़त्म होने के बाद से ही कोहली और कुंबले के बीच बातचीत बंद है.

एक सूत्र के मुताबिक, जब अनिल कुंबले से अलग से पूछा गया कि उनके बीच आखिर समस्या क्या है तो कुंबले ने कहा था कि उन्हें विराट से किसी तरह की कोई समस्या नहीं है. कुंबले को जब कहा गया कि कोहली को कुछ क्षेत्रों में आपकी दखलअंदाज़ी से परेशानी है, तो उनका कहना था कि मेरे लिए ये कोई मसला नहीं है.

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बीसीसीआई अधिकारी ने कहा कि देखिए अगर किसी एक को समस्या महसूस होती है और दूसरा शख़्स उस मुद्दे को गंभीरता से न लेते हुए उसे कोई मसला नहीं बता रहा है तो ऐसे मामले में दोनों ही इसे सुलझा सकते हैं लेकिन मीटिंग के बाद भी दोनों अपने मतभेद सुलझाने में नाकामयाब रहे.

कुंबले के बारबाडोस के लिए टिकेट्स बुक हो चुके थे. उनकी पत्नी भी वेस्टइंडीज़ दौरे के लिए उन्हें जॉइन करने वाली थी, लेकिन वे जानते थे कि सब कुछ ख़त्म हो चुका है.

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इस अधिकारी का कहना था कि ‘आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि विराट को महसूस होता था कि अनिल एक ऐसे क्षेत्र में दखलअंदाज़ी की कोशिश कर रहे हैं, जो एक कप्तान का क्षेत्र होना चाहिए.अनिल कुंबले अपने ज़माने के महान खिलाड़ी रहे हैं, उनके तौर-तरीके और खेल को समझने का नज़रिया कोहली से अलग था लेकिन आखिरी कॉल तो हमेशा कप्तान का ही होता है’.

गौरतलब है कि कुंबले के इस्तीफ़ा देने के साथ ही कई क्रिकेट फ़ैंस ने कोहली को अहंकारी बताकर उनकी जमकर आलोचना की थी लेकिन जैसे-जैसे इस मामले की परतें खुल रही हैं, उससे कम से कम विराट को इस पूरे विवाद का विलेन कहकर तो बचना ही चाहिए.