भारत के कोच अनिल कुंबले और कप्तान विराट कोहली के बीच मतभेद की उड़ती-उड़ती ख़बरें आती रही हैं. कुछ दिनों पहले सैंकड़ों पत्रकारों के सामने विराट ने इसे महज़ अफ़वाह बताया था. तब ऐसा लगा कि भारतीय टीम में चीज़ें शायद पटरी पर वापस लौट रही हैं, लेकिन कुंबले के एक ट्वीट ने सारी सच्चाई सामने ला दी हैं. ICC Champions पाकिस्तान से हार के बाद भारत को एक और झटका लग चुका है. वे भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच से इस्तीफ़ा दे चुके हैं.

पिछले एक साल में चैंपियंस ट्रॉफ़ी पहला ऐसा टूर्नामेंट है जिसे भारतीय टीम जीतने में नाकाम रही और इसके ठीक बाद ही कुंबले ने अपना इस्तीफ़ा दे दिया. 

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ऑस्ट्रेलिया के घातक गेंदबाज़ ब्रेट ली ने एक बार राहुल द्रविड़ के लिए कहा था अगर आप द्रविड़ जैसे लोगों के साथ भी सहज नहीं हो पाते हैं तो यकीनन आप ज़िंदगी में संघर्ष कर रहे हैं. ली ने द्रविड़ के विनम्र और शानदार प्रोफ़ेशनलिज़्म के चलते ये बातें कही थीं और कुछ हद तक यही बात उन्हीं के शहर से आने वाले अनिल कुंबले के लिए भी कही जा सकती है. जंबो भारत के सबसे बड़े मैच विनर थे, सचिन तेंदुलकर से भी बड़े. अपने करियर में उन्होंने कई यादगार प्रदर्शन किए. पाकिस्तान के खिलाफ़ 10 विकेट हो या टूटे जबड़े के साथ भी वेस्टइंडीज़ के खिलाफ़ गेंदबाजी करना. एक ऐसा खिलाड़ी जिसे ऑस्ट्रेलिया दौरे पर शामिल करने के लिए पूर्व कप्तान गांगुली ने सेलेक्टर्स के साथ आधी रात तक माथापच्ची की थी. लेकिन क्या कारण है कि एक चैंपियन कोच और एक चैंपियन बल्लेबाज़ के बीच तमाम अच्छे प्रदर्शनों के बावजूद तनातनी बनी हुई है?

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इतिहास गवाह है कि टीम इंडिया में कोच और कप्तान के बीच मतभेद की खबरें सामने आने पर कोच को ही बाहर का रास्ता देखना पड़ा है. ग्रेग चैपल इस मामले में सबसे बड़े उदाहरण कहे जा सकते हैं. खास बात ये है कि क्रिकेट फ़ैंस से लेकर बीसीसीआई प्रशासन इस मामले में अक्सर टीम के साथ दिखाई दिए, लेकिन ये पहली बार है जब क्रिकेट प्रशंसक कोच का समर्थन कर रहे हैं और इसकी अपनी वजहें भी हैं.

एक ऐसे खेल में जहां मेरिट को सबसे ज़्यादा अहमियत दी जाती हो, वहां कुंबले का पिछले एक साल में कोच के तौर पर प्रदर्शन सराहनीय रहा है और कायदे से उनका कार्यकाल बढ़ाया जाना चाहिए था, लेकिन कई मैचों में शानदार प्रदर्शन भी कोहली और कुंबले के बीच की खाई को पाटने में नाकाम रहा है. क्या कुंबले का कोच पद से इस्तीफ़ा भारतीय टीम में ‘सुपरस्टार कल्चर’ का नमूना नहीं है? हेड कोच को हटाने के लिए कुछ खिलाड़ियों के पास मौजूद वीटो पावर क्या रामचंद्रन गुहा की चेतावनियों को सच साबित नहीं करता है?

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खबरें ये भी है कि कोहली कोच के तौर पर रवि शास्त्री को पसंद करते हैं और टीम के ज़्यादातर खिलाड़ी कोच कुंबले से खार खाए बैठे थे. हो सकता है कि कोहली अपनी टीम के लिए बेहतर से बेहतर विकल्प चाहते हों और वे वाकई कुंबले के साथ असहज हों. एम एस धोनी सालों पहले एक विवादित फ़ैसले में सीनियर खिलाड़ियों के ऊपर युवा खिलाड़ियों को तरजीह देकर ऐसा कर चुके हैं. लेकिन कुंबले का इस तरह बेरुखी से जाना कई सवाल खड़े करता है.

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मीडिया में इस मामले में छिछालेदर होने के बाद ज़ाहिर है कप्तान कोहली पर अब दबाव काफ़ी बढ़ गया होगा. तमाम अफ़वाहें खिलाड़ियों का ध्यान भटका सकती हैं, ऐसे में ये समय कोहली की लीडरशिप स्किल्स की भी परीक्षा होगी. कोच और कप्तान के बीच हुई तनातनी को रोकने में बीसीसीआई भी असफ़ल रहा है. वहीं सीएसी कमिटी में शामिल सचिन, गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण जिन्होंने खुद एक साल पहले कुंबले की पैरवी की थी, अब कोच के चयन को लेकर फूंक-फूंक कर कदम रखना चाहेंगे.