पिछले कुछ समय से भारतीय महिला क्रिकेट में काफ़ी उथल-पुथल चल रही है. हाल ही में वेस्टइंडीज़ में खेले गए महिला T-20 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम लीग मैचों में शानदार प्रदर्शन के बावजूद सेमीफ़ाइनल में बुरी तरह से हार गई थी. इस करारी हार के बाद से ही मैनेजमेंट, कोच और खिलाड़ियों के बीच आपसी मतभेद की ख़बरें भी खुलकर सामने आने लगी हैं.
दरअसल, इस विवाद का सिलसिला तब शुरू हुआ, जब इंग्लैंड के ख़िलाफ़ सेमीफ़ाइनल मुक़ाबले में टीम की सबसे अनुभवी खिलाड़ी मिताली राज को टीम से बाहर कर दिया गया. मिताली ने सेमीफ़ाइनल से पहले खेले गए अपने दोनों मुक़ाबलों में शानदार अर्धशतकीय पारी खेलकर टीम को जीत दिलायी थी. बावजूद इसके चौथे मुक़ाबले में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया. इसके बाद सेमीफ़ाइनल जैसे अहम मुक़ाबले में भी उन्हें टीम से दूर ही रखा गया.
बस फिर क्या था, मीडिया में ख़बरें आने लगी कि वनडे कप्तान मिताली और T-20 कप्तान हरमनप्रीत के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. ख़बरों में तो यहां तक कहा जाने लगा था कि हरमन सीनियर खिलाड़ी मिताली को बिलकुल पसंद नहीं करती हैं. मीडिया में तरह-तरह की ख़बरें आने के बाद मिताली और हरमन ने BCCI अधिकारियों से मुलाक़ात की.
बीते, मंगलवार को ये विवाद उस वक़्त और बढ़ गया जब वनडे कप्तान मिताली राज का बीसीसीआई को लिखा एक पत्र सामने आया. इस पत्र में मिताली ने कोच रमेश पोवार पर उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाया. साथ ही सीओए की सदस्य डायना एडुल्जी पर भी पक्षपात करने का आरोप लगाया.
इस पत्र में मिताली ने लिखा कि-
20 साल के करियर में मैं पहली बार ख़ुद को अपमानित, निराश और हताश महसूस कर रही हूं. मैं ये सोचने पर मजबूर हूं कि जो लोग अपने पद का ग़लत इस्तेमाल कर मेरा करियर तबाह करना चाहते हैं, उनके लिए देश को दी गई मेरी सेवाओं की कोई अहमियत नहीं है.
कोच पोवार पर अपमानित करने का आरोप
मिताली ने पत्र में कोच रमेश पवार को लेकर कहा कि ‘मैं जब भी उनसे बात करने की कोशिश करती, तो वो अपने फ़ोन में देखने लगते थे. मैं जहां भी बैठती, वो वहां से उठकर चले जाते थे. नेट प्रैक्टिस के दौरान जब दूसरी बल्लेबाज़ अभ्यास कर रही होती थीं, तो वो वहां मौजूद रहते थे, लेकिन जैसे ही मैं बल्लेबाज़ी के लिए जाती वो वहां से चले जाते. इन सबके बावजूद मैंने कभी भी अपना धैर्य नहीं खोया.’
हरमन से नहीं है मनमुटाव
अब तक इस पूरे विवाद की असल वजह हरमन को माना जा रहा था, लेकिन हरमन को लेकर मिताली ने कहा कि ‘मैं बिल्कुल भी हरमन के ख़िलाफ़ नहीं हूं, सिवाय इसके कि उन्होंने फ़ाइनल-11 से मुझे बाहर रखने के कोच के फ़ैसले का समर्थन किया. उनका वो फ़ैसला समझ से परे था, जिसका खामियाज़ा टीम को भुगतना पड़ा. हम देश के लिए वर्ल्ड कप जीतना चाहते थे, लेकिन कोच के उस फ़ैसले से मैं बेहद दुखी हूं क्योंकि हमने एक सुनहरा मौका गंवा दिया.’
एडुल्जी ने अपने पद का ग़लत इस्तेमाल किया
मिताली ने पत्र में लिखा कि ‘पूर्व क्रिकेटर और सीओए सदस्य के तौर पर मैंने हमेशा उनकी इज्जत की, लेकिन उन्होंने मेरे ख़िलाफ़ अपने पद का ग़लत इस्तेमाल किया. वेस्ट इंडीज़ रवाना होने से पहले भी मैंने अपने खेल को लेकर उनसे चर्चा की थी. बावजूद इसके उन्होंने इतने अहम मुक़ाबले में मुझे नहीं खिलाने के फ़ैसले का समर्थन किया.’ इस पूरे विवाद को लेकर मिताली ने डायना एडुल्जी को पक्षपाती बताया.
कहां से शुरू हुआ था विवाद
दरअसल, इस पूरे विवाद की शुरुआत T-20 वर्ल्ड कप में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ खेले गए पहले मुक़ाबले से हुई. मिताली हमेशा से ही टीम के लिए ओपनिंग करती रही हैं, लेकिन इस मुक़ाबले में उनको 5 विकेट खोने के बाद भी बल्लेबाज़ी के लिए नहीं भेजा गया.
क्रिकेट में इस तरह के विवाद पहली बार नहीं हो रहे. कोच और खिलाड़ियों के बीच मनमुटाव की ख़बरें अकसर सुनने को मिलती ही रहती हैं. इससे पहले हम गांगुली-चैपल और विराट-कुंबले विवाद देख चुके हैं. जो व्यवहार मिताली के साथ अब हो रहा है, एक समय में सौरव गांगुली के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था. गांगुली जिस समय काफ़ी अच्छी फ़ॉर्म में थे, उन्हें भी इसी तरह टीम से ड्रॉप कर दिया गया था.
मिताली सीनियर प्लेयर होने के साथ-साथ एक अच्छी Performer भी हैं. अगर ड्रेसिंग रूम में उनका व्यवहार सही नहीं था, तो इस बारे में मैनेजमेंट को उनसे बात करनी चाहिए थी. अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद उन्हें टीम से ड्रॉप करना इसका हल नहीं है, क्योंकि इसकी वजह से टीम की पफ़ॉर्मेंस पर भी असर पड़ा है.