आज भले ही भारत में फ़ुटबॉल का स्तर हाशिए पर हो, लेकिन एक वक्त हुआ करता था जब भारत में फ़ुटबॉल का खेल अपने चरम पर था. लेकिन आज भी भारत में क्रिकेट के मुक़ाबले फ़ुटबॉल का भविष्य उतना उज्जवल नहीं है. इसका मतलब ये नहीं कि हमने फ़ुटबॉल से प्यार करना छोड़ दिया है. 

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भारतीय सरज़मीं पर भी कई महान फ़ुटबॉलर हुए हैं. लेकिन हम भारतीयों को सिर्फ़ आई.एम. विजयन, बाईचुंग भूटिया और सुनील छेत्री के नाम ही याद हैं. लेकिन आज हम भारत के एक ऐसे महान फ़ुटबॉलर का ज़िक्र करने जा रहे हैं जिसने आज से 70 साल पहले विदेश में भारत का परचम लहराया था. 

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हम बात कर रहे हैं मोहम्मद सलीम की. सलीम ही वो पहले भारतीय फ़ुटबॉलर थे जिन्होंने पहली बार किसी यूरोपीय क्लब के लिए फ़ुटबाल खेला था. मोहम्मद सलीम उन फ़ुटबॉलरों में से थे जिन्होंने अपने बेहतरीन खेल के दम पर भारतीय फ़ुटबॉल को पहचान दी. आज हम आपको मोहम्मद सलीम से जुड़ी कुछ ऐसी रोचक बातें बताने जा रहे हैं जो शायद आपने पहले कभी नहीं सुनी होंगी. 

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मोहम्मद सलीम का जन्म साल 1904 में कोलकाता शहर के मेटियाबुरूज गांव में एक ग़रीब परिवार में हुआ था. सलीम ने एक छोटे से गांव से निकल कर स्कॉटलैंड तक का सफ़र तय किया. दुनिया आज उन्हें यूरोपीय क्लब के लिए खेलने वाले पहले भारतीय फ़ुटबॉलर के तौर पर जानती है. 

साल 1920-30 का दशक था. भारत में स्वाधीनता आंदोलन चल रहा था उस दौरान बंगाल के कुछ इलाकों में अंग्रेजों से दो-दो हाथ करने के लिए लोगों ने फ़ुटबॉल को हथियार के तौर अपनाया. भारतीय फ़ुटबॉलर नंगे पैर खेलते थे और बूट पहनकर खेलने वाले अंग्रेजों को हराकर उन्हें ये एहसास दिलाते थे कि भारतीय हर मामले में उनसे अव्वल हैं. 

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मोहम्मद सलीम भी उसी दौर में भारत के सबसे बेहतरीन युवा फ़ुटबॉलर के तौर पर उभरे. उनके खेल को देखते हुए बाऊबाजार के मशहूर ‘चितरंजन क्लब’ ने उन्हें अपने साथ जोड़ लिया. ‘चितरंजन क्लब’ के लिए शानदार खेल दिखाने के बाद उन्होंने ‘मोहम्मडन क्लब’ की बी टीम ने अपने साथ जोड़ लिया. 

इसके बाद सलीम ने ‘स्पोर्टिंग यूनियन’, ‘ईस्ट बंगाल’ और ‘आर्यन्स क्लब’ का रूख किया. साल 1934 में वो ‘मोहम्मडन क्लब’ की सीनियर टीम के साथ जुड़ गए. सलीम ‘मोहम्मडन स्पोर्टिंग क्लब’ के लिए फ़ॉरवर्ड और मिडफ़ील्ड दोनों ही पोजीशन पर खेलने लगे. इस दौरान सलीम के दमदार प्रदर्शन पर ‘मोहम्डन स्पोर्टिंग क्लब’ ने 1934 से लेकर 1938 तक लगातार 5 बार ‘कलकत्ता फ़ुटबॉल लीग’ का ख़िताब अपने नाम किया. 

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इसके बाद सलीम को भारत में आयोजित पहले इंटरनेशनल फ़ुटबॉल मैच में खेलने के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया. इस दौरान भारत की दो टीमों को चीन की ओलिंपिक टीम के साथ दो मैच खेलने थे. पहले मैच में सलीम के दमदार प्रदर्शन को देख सभी उनके मुरीद हो गए. चीनी अधिकारियों ने भी उनकी जमकर तारीफ़ की. 

कुछ समय बाद पता चला कि सलीम इंग्लैंड में रहने वाले अपने एक रिश्तेदार हशीम के साथ लंदन चले गये हैं. यहां दिन बिताने के बाद उन्होंने हशीम के कहने पर स्कॉटलैंड के सबसे मशहूर क्लब ‘सेल्टिक’ के लिए ऑडिशन देने का फ़ैसला किया और वो सेलेक्ट भी हो गये. सलीम के डेब्यू मैच में ‘सेल्टिक’ 5-1 से जीत दर्ज की. इसके बाद सलीम के शानदार खेल की बदौलत ‘सेल्टिक’ ने 28 अगस्त, 1936 को ‘गालस्टोन’ के ख़िलाफ़ 7-1 की शानदार जीत दर्ज की. 

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बेहद कम समय में बाद सलीम ‘सेल्टिक’ के स्टार फ़ुटबॉलर बन गए. इस दौरान सलीम को जर्मनी में खेलने का मौका भी मिला. लेकिन कुछ ही साल बाद सलीम ने ‘सेल्टिक’ को भी छोड़ने का फ़ैसला कर लिया. इस दौरान क्लब ने ने उन्हें रोकने की पूरी कोशिश की, लेकिन भारत वापस लौटना चाहते थे. 

इस दौरान ‘सेल्टिक’ क्लब ने सलीम को शानदार ऑफ़र देते हुए कहा कि वो एक सीजन के लिए रूक जाएं. क्योंकि एक चैरीटी मैच का आयोजन किया जाएगा जिसके प्रोफ़िट का 5 फ़ीसदी हिस्सा उन्हें दिया जाएगा, लेकिन सलीम ने इस ऑफ़र को ठुकरा दिया और कहा कि मुझे दी जाने वाली राशि मैच देखने आ रहे अनाथ बच्चों को दे दी जाए. 

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मोहम्मद सलीम साल 1937 में भारत वापस लौट आए. साल 1937 में ‘कोलकाता फ़ुटबॉल लीग’ से पहले उन्होंने फ़िर से ‘मोहम्मडन स्पोर्टिंग क्लब’ ज्वाइन कर लिया. इस दौरान वो कई साल तक ‘मोहम्मडन क्लब’ के लिए खेलते रहे. इसके बाद वो युवा खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने लगे. 

इसके बाद सलीम के जीवन में एक वक्त ऐसा भी आया जब बिमारियों ने उन्हें जकर लिया और वे ज़िंदगी के आख़िरी पड़ाव में थे. इस दौरान उनके बेटे ने ‘सेल्टिक’ को खत लिखकर पिता के लिए मदद मांगी. दरअसल उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वो देखना चाहते थे, पिता ‘सेल्टिक’ के जेहन में ज़िंदा हैं या नहीं? लेकिन ‘सेल्टिक’ ने अपने स्टार सलीम के बेटे के खत का जवाब देते हुए 100 डॉलर सहायता राशी भेजी. बेटे ने इस पैसे को कैश भी नहीं कराया, क्योंकि वो इस संजोकर रखना चाहते थे. 

आख़िरकार साल 1980 में महान फ़ुटबॉलर सलीम ने दम तोड़ दिया.