भारत के गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने 28 अगस्त को ‘वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023’ का ख़िताब जीतकर इतिहास रच दिया था. भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा इसके साथ ही ‘वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप’ में गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय भी बन गए हैं. इस दौरान नीरज ने अपने भाले (जैवलिन) का कमाल दिखाते हुए 88.17 मीटर का थ्रो कर इतिहास रचा था. ये अब तक का उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी है.
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आज हम बात नीरज चोपड़ा के उसी भाले (जैवलिन) की करने जा रहे हैं, जिसकी बदौलत वो ‘ओलंपिक’, ‘डायमंड लीग’ और ‘वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप’ के चैंपियन बने हैं.
जैवलिन की लंबाई और वज़न
वर्ल्ड जैवलिन की बात करें तो ‘ओलंपिक’, ‘डायमंड लीग’ और ‘वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप’ समेत सभी बड़ी प्रतियोगिताओं में इस्तेमाल होने वाली जैवलिन (Javelin) ख़ास तरीके से बनाई जाती है. ये मुख्य रूप से एल्यूमिनियम एलॉय से बनी होती है. इसका वज़न 600 ग्राम से 800 ग्राम के बीच होता है. जबकि इसकी लंबाई 2.5 मीटर होती है.
कितनी होती है 1 जैवलिन की क़ीमत?
ओलंपिक (Olympics) समेत हर बड़े इवेंट में इस्तेमाल होने वाली जैवलिन के एक सेट (4 Javelin) की क़ीमत 14,464 से 19,910 रुपये के बीच होती है. इस हिसाब से 1 जैवलिन की क़ीमत 5000 रुपये के क़रीब होती है. जबकि एक साधारण जैवलिन आपको 500 रुपये से लेकर 2000 रुपये में भी मिल जाएगी.
अगर जैवलिन थ्रो (Javelin Thro) के इतिहास की बात करें तो इसकी शुरुआत 708 ईशा पूर्व यूनान में हुई थी. शुरूआती दौर में भाले (जैवलिन) का इस्तेमाल जंगली जानवरों का शिकार करने के लिए किया जाता था. बाद में इसे खेल का दर्ज़ा देने का श्रेय भी यूनानियों को ही जाता है.