Nike ने बीते रविवार को द ऑस्कर में अपना नया विज्ञापन ‘Dream Crazier’ जारी किया है. जारी होने के कुछ समय बाद ही ये विज्ञापन मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक ख़ूब वायरल हो रहा है.
इस विज्ञापन की ख़ास बात ये है कि नाइकी के इस बार इसे महिला केंद्रित बनाया है. कैसे पुरुष प्रधान समाज में महिलायें अपनी कड़ी मेहनत के दम पर हर क्षेत्र में क़ामयाबी हासिल कर रही हैं. आज महिलायें हर बाधा को पार कर करके आगे बढ़ रही हैं. यही इस विज्ञापन की थीम है.
इस विज्ञापन में आख़िर ऐसा क्या है?
विज्ञापन की शरुआत बेहद शानदार तरीके से होती है. ‘अगर हम इमोशनल होती हैं तो उसे ड्रामा कहा जाता है. अगर हम पुरुषों के ख़िलाफ़ खेलती हैं तो हमें कमज़ोर समझा जाता है. यदि हम समान अवसर की बात करते हैं तो उसे हमारा भ्रम कहा जाता है. जब हम किसी चीज़ के लिए खड़े होते हैं, तो हमें बेवकूफ़ कहा जाता है. जब हम बहुत अच्छे होते हैं, तो हमारे साथ कुछ न कुछ ग़लत होता है. अगर हमें गुस्सा आता है, तो हमें उन्मादी, तर्कहीन या फिर क्रेज़ी कहा जाता है.
‘एक महिला पुरुषों की मैराथॉन में दौड़ना चाहती है तो क्रेज़ी, एक महिला बॉक्सिंग करती है तो क्रेज़ी, एक महिला हिजाब पहनकर खेलती है तो क्रेज़ी, एक महिला एनबीए टीम की कोचिंग करती है तो क्रेज़ी, एक महिला बास्केटबॉल में डंकिंग करती है तो क्रेज़ी, एक महिला (सेरेना) 23 ग्रैंड स्लैम जीतती है तो क्रेज़ी, बच्चा होने के बाद टेनिस कोर्ट पर फिर से वापसी करती है तो क्रेज़ी. बस क्रेज़ी, क्रेज़ी, क्रेज़ी और क्रेज़ी…
इन सबके बावजूद भी अगर क्रेज़ी कहा जाता है तो इट्स फ़ाइन ! अब हम दिखाते हैं कि क्रेज़ी होता क्या है. लेकिन एक बात सच है जब तक आप कुछ हासिल नहीं कर लेते लोग आपको क्रेज़ी ही कहते रहेंगे. इसलिए Just do it.
इस विज्ञापन को एक बार देखने के बाद हर कोई दोबारा ज़रूर देखना चाहेगा. मैंने भी तीन बार देखा. सच कहूं तो इसे देखने का एहसास बेहद शानदार था. मैं उन महिलाओं के साहस और जज़्बे को सलाम करता हूं जिन्होंने अपने रास्ते ख़ुद बनाए. कई बार तो महिलाओं ने कुछ ऐसा किया जो आज से पहले किसी ने भी नहीं किया था.
Show them what crazy dreams can do. #justdoit pic.twitter.com/3fo2XMVkBT
— Nike (@Nike) February 24, 2019
इससे साफ़ होता है कि जिन महिलाओं को हम घर की चार दीवारी तक ही सीमित पाते थे, वो आज पुरुषों से कहीं आगे निकल चुकी हैं. चाहे घर संभालना हो या बच्चों की देखभाल करना या फिर परिवार की हर एक ज़रूरत को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करना. महिलाएं अपने इसी जूनून के कारण आज पुरुषों से कहीं आगे निकल चुकी हैं.