अगर आप भी क्रिकेट लवर हैं, तो पर्थ का नाम सुनते ही समझ जायेंगे कि हम किस बारे में बात करने जा रहे हैं. पर्थ के वाका की तेज़ और उछाल भरी पिच का नाम सुनते ही दुनिया के अच्छे से अच्छे बल्लेबाज़ की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं. इस ऐतिहासिक मैदान पर हमेशा से ही गेंदबाज़ों का बोल-बाला रहा है.

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2008 में अनिल कुंबले की कप्तानी में भारत ने पॉन्टिंग की मज़बूत सेना को इसी मैदान पर पटखनी दी थी. 1991 में सचिन तेंदुलकर ने मात्र 19 साल की उम्र में पर्थ की वाका विकेट पर शानदार शतक लगाकर ये दिखा दिया था भारतीय बल्लेबाज़ दुनिया की किसी भी पिच पर बल्लेबाज़ी कर सकते हैं.

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भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सीरीज़ का दूसरा टेस्ट मैच शुक्रवार से पर्थ में ही खेला जा रहा है, लेकिन इस मैच में वाका की वो पुरानी पिच देखने को नहीं मिलेगी क्योंकि ये मैच पर्थ के नए ‘ऑप्टस स्टेडियम’ में खेला जा रहा है.

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पर्थ के इस नए स्टेडियम की सबसे ख़ास बात ये है कि यहां पिच बनाई नहीं जाती बल्कि बिछाई जाती है, जिसे ‘ड्रॉप इन पिच’ कहते हैं. वैसे ऑस्ट्रेलिया में इस तरह की पिच का चलन आम है, लेकिन इस नए मैदान पर पहली बार किसी टेस्ट मैच में इस तरह का प्रयोग किया जा रहा है. इसी साल इस मैदान पर एक एकदिवसीय और एक टी20 इंटरनेशनल खेला जा चुका है.

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इस शानदार स्टेडियम का डिज़ाइन आईसीसी के नियमों को ध्यान में रखकर बनाया गया है. ऑप्टस स्टेडियम में सिर्फ़ क्रिकेट ही नहीं बल्कि फ़ुटबॉल, रग्बी और बेसबॉल जैसे स्पोर्ट्स भी खेले जा सकेंगे. 65 हज़ार क्षमता वाले इस स्टेडियम में 16 आउटडोर प्रैक्टिस विकेट भी हैं.

वेस्टर्न ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट असोसिएशन (वाका) की इस पिच में भी पहली वाली पिच की तरह ही घास देखने को मिलेगी. गेंदबाज़ों का जो कहर पहले देखने को मिलता था, वही अब भी देखने को मिलेगा. पिच क्यूरेटर भी कह चुके हैं कि उन्हें तेज़ और उछाल भरा विकेट बनाने को कहा गया है.

भारतीय तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण है मज़बूत

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चाहे पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरे की बात करें या फिर साउथ अफ़्रीका दौरे की, भारतीय तेज़ गेंदबाज़ बीस-बीस विकेट ले चुके हैं. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि भवनेश्वर कुमार, जसप्रीत बुमराह, इशांत शर्मा, उमेश यादव और मोहम्मद शमी जैसे तेज़ गेंदबाज़ कंगारू टीम को क्या जवाब देते हैं.