भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने इस साल ‘रणजी ट्रॉफ़ी’ का आयोजन नहीं कराने का फ़ैसला लिया है. 87 साल में ऐसा पहली बार होगा जब भारतीय क्रिकेट की बुनियाद इस प्रथम श्रेणी घरेलू टूर्नामेंट का आयोजन नहीं किया जाएगा. इस सीजन ‘रणजी ट्रॉफ़ी’ की जगह ‘विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी’ खेली जाएगी.

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बोर्ड के मुताबिक़, इस साल अप्रैल में आईपीएल के 14वें सीजन का आयोजन होना है, ऐसे में बीसीसीआई के पास किसी भी घरेलू टूर्नामेंट के आयोजन के लिए सिर्फ़ 2 महीने का ही समय होगा. जबकि ‘रणजी ट्रॉफ़ी’ के आयोजन के लिए 2 महीने से अधिक का समय चाहिए होता है.

बताया जा रहा है कि ‘रणजी ट्रॉफ़ी’ का आयोजन नहीं कराने के पीछे की सबसे बड़ी वजह ‘कोरोना महामारी’ है, क्योंकि बीसीसीआई और राज्यों के लिए 2 महीने से अधिक समय के लिए ‘बायो बबल’ बनाना संभव नहीं हो पा रहा था.  

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बीसीसीआई ने समय की कमी के चलते सभी संघों से ‘विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी’ और ‘रणजी ट्रॉफ़ी’ में से किसी एक के आयोजन पर राय मांगी थी. सुझाव पर विभिन्न राज्य क्रिकेट संघों ने अपनी राय दे दी है. इस दौरान आंध्र प्रदेश को छोड़कर अधिकतर राज्य संघ ‘विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी’ के पक्ष में हैं. अधिकतर ने छोटे फ़ॉर्मेट के टूर्नामेंट पर सहमति जताई. 

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इस सीजन ‘विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी’ के अलावा ‘सीनियर महिला एकदिवसीय’ और ‘अंडर-19 वीनू मांकड़ ट्रॉफ़ी’ का ही आयोजन होगा. अभी किसी भी टूर्नामेंट की तारीखों का एलान नहीं हुआ है, लेकिन अनुमान के मुताबिक़ फ़रवरी के दूसरे या तीसरे हफ़्ते से ‘विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी’ की शुरुआत हो सकती है.

बोर्ड सचिव जय शाह ने सभी प्रदेश इकाइयों को लिखे पत्र में जानकारी देते हुए कहा, बीसीसीआई पहली बार अंडर-19 राष्ट्रीय वनडे टूर्नामेंट ‘वीनू मांकड़ ट्रॉफ़ी’ और ‘महिला राष्ट्रीय वनडे टूर्नामेंट’ का भी आयोजन करने जा रहा है.

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, बीसीसीआई अध्यक्ष सौरभ गांगुली और सचिव शाह ‘रणजी ट्रॉफ़ी’ का आयोजन चाहते थे क्योंकि इसमें खिलाड़ियों को अधिकतम मैच फ़ीस (प्रति मैच क़रीब डेढ़ लाख रुपये) मिलती है, लेकिन कोरोना महामारी के बीच दो चरण में इसके आयोजन के लिए 2 महीने का ‘बायो बबल’ बनाना संभव नहीं था. 

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क्या है ‘रणजी ट्रॉफ़ी’ का इतिहास? 

देश के इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट का नाम सन 1934 में भारतीय राजकुमार और क्रिकेटर के.एस. रणजीत सिंह जी के नाम पर रखा गया था. रणजीत सिंह वही क्रिकेटर थे जिन्होंने 1896 से 1902 के बीच इंग्लैंड के लिए 15 टेस्ट मैच खेले. क्रिकेट में ‘लेट कट’ और ‘लेग ग्लांस’ जैसे शॉट का आविष्कार रणजीत सिंह ने ही किया था. रणजी ट्रॉफ़ी की सबसे सफ़ल टीम मुंबई है, जिसने रिकॉर्ड 41 बार फ़ाइनल जीता. मुंबई के ही वसीम जाफ़र इस टूर्नामेंट के सबसे सफ़ल बल्लेबाज रहे, जिनके नाम 10,738 रन हैं.