आईपीएल की नीलामी के बाद एक दौर ऐसा आता है, जब कुछ ऐसे खिलाड़ियों की कहानियां सामने आती हैं, जिन्होंने कठिन परिस्थियों से लड़ते हुए ख़ुद को इस काबिल बनाया कि अपने सपनों को पूरा कर सकें. ऐसी ही एक कहानी इस साल रिंकू सिंह के रूप में देखने को मिली है.

आईपीएल की नीलामी के दौरान Kolkata Knight Riders ने 80 लाख रुपये की बोली लगा कर रिंकू को खरीदा है. इस बारे में भावुक होते रिंकू का कहते हैं कि ‘मेरे खानदान में इतना पैसा किसी ने भी नहीं देखा है.’ इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए इंटरव्यू में रिंकू ने कहा था कि ‘मुझे लगा था कि शायद मेरी बोली 20 लाख से ऊपर न जाए.’

रिंकू के लिए ये सब किसी सपने के सच होने जैसा था क्योंकि उनकी ज़िंदगी में एक वक़्त ऐसा भी आया था, जब उनके भाई उन्हें स्वीपर का काम कराने के लिए ले गए थे. घर लौट कर रिंकू ने अपनी मां से कहा कि ‘मैं वहां दोबारा नहीं जाना चाहता. मुझे बस एक मौका दो, आखिरी बार मुझे क्रिकेट खेलने दो.’

रिंकू के परिवार में 7 सदस्य हैं, जबकि रिंकू के पिता LPG सिलेंडर पहुंचाने का काम करते हैं, जिससे उन्हें 12 हज़ार रुपये मिलते हैं. रिंकू के बड़े भाई ख़ुद ऑटो चलाने का काम का करते हैं.
जिस उम्र में बच्चे घर की ज़िम्मेदारियों से दूर रहते हैं, उस उम्र में रिंकू के सिर पर कर्ज़ उतारने का भार आ गया था. उत्तर प्रदेश की तरफ़ से अंडर 19 में खेलते वक़्त भी रिंकू वहां से मिलने वाले पैसों को घर पर दे दिया करते थे, जिससे कि कर्ज़े को उतारा जा सके.

क्रिकेट के प्रति रिंकू के ज़ज्बे का इसी बात से अंदाज़ा हो जाता है कि खेल की वजह से वो 9वीं में फेल हो गए थे, जिसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ कर सारा ध्यान खेल पर ही दे दिया.

रिंकू की कहानी को देख कर एक बात, तो फिर साफ़ हो जाती है कि ऊपर वाला भी उनकी ही मदद करता है, जो अपनी मदद ख़ुद करते हैं.