‘गॉड ऑफ़ क्रिकेट’ सचिन तेंदुलकर ने वर्ल्ड कप में कमेंटेटर के तौर पर अपनी नई पारी शुरू की है. बीते रविवार को लन्दन में एक कार्यक्रम के दौरान सचिन ने अपने करियर से जुड़े कई खट्टे-मीठे पल फ़ैंस के साथ शेयर किए. इस कार्यक्रम में सचिन के साथ सर विव रिचर्ड्स भी मौज़ूद थे.
इस दौरान सचिन ने अपने संन्यास को लेकर एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि ‘साल 2007 में वो क्रिकेट को अलविदा कहने का फ़ैसला कर चुके थे लेकिन वेस्ट इंडीज़ के महान बल्लेबाज़ विवियन रिचर्ड्स के एक फ़ोन कॉल ने उनके इस फ़ैसले को बदल दिया था. सचिन ने आज तक कभी भी अपने संन्यास के फ़ैसले में दिग्गज क्रिकेटर रिचर्ड्स की भूमिका पर कोई बात नहीं की थी.
सचिन ने आगे कहा कि-
‘मेरे संन्यास के फ़ैसले पर भाई ने मुझसे कहा कि 2011 वर्ल्ड कप का फ़ाइनल मुंबई में होगा. वर्ल्ड कप ट्रॉफी को अपने हाथों में लेने का ये सबसे अच्छा मौका है. इसके बाद मैं अपने फ़ार्म हाउस चला गया. वहीं मेरे पास सर विव का कॉल आया, उनका कहना था कि मेरे अंदर अभी काफ़ी क्रिकेट बचा है. इस दौरान हमारी लगभग 45 मिनट तक बात हुई. ये वही 45 मिनट थे, जिसने मेरे लिए कई चीज़ें बदल दी. इसके बाद मेरे प्रदर्शन में भी काफ़ी सुधार हुआ.
इस दौरान सचिन ने बताया कि ‘जिस खेल ने मुझे ज़िंदगी के कई यादगार पल दिए. उसी खेल ने कई ख़राब दौर भी दिखाए. साल ‘2007 वर्ल्ड कप’ मेरे करियर का सबसे ख़राब दौर था. उस समय भारतीय क्रिकेट में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था. हमें कुछ बदलाव की ज़रूरत थी और मुझे लगता था कि अगर वो बदलाव नहीं हुए तो मैं क्रिकेट छोड़ दूंगा. मैंने 90 प्रतिशत सुनिश्चित कर लिया था कि मैं क्रिकेट को अलविदा कह दूंगा.
दरअसल, साल 2004 से लेकर 2006 तक सचिन टेनिस एल्बो से जूझ रहे थे. इस दौरान उनका प्रदर्शन कुछ ख़ास नहीं रहा. मीडिया उनके करियर को लेकर Endulkar कहने लगी थी. टेनिस एल्बो से वापस आने के बाद एक खिलाड़ी के तौर पर सचिन का करियर शानदार रहा, लेकिन इस दौरान भारतीय क्रिकेट में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था.
साल ‘2003 वर्ल्ड कप’ के फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों मिली हार को लेकर सचिन ने कहा कि ‘वो हार मेरी ज़िंदगी की सबसे ख़राब यादों में से एक है. क्योंकि उस वर्ल्ड कप में हमारा फ़ाइनल तक का सफ़र बेहद शानदार रहा था. उस पूरे टूर्नामेंट में हम सिर्फ़ ऑस्ट्रेलिया से ही हारे थे’.
कार्यक्रम में मौज़ूद सर विव रिचर्ड्स ने सचिन को लेकर कहा कि मुझे हमेशा से सचिन की क्षमता पर भरोसा था. मैं सचिन को लेकर हैरान था, दिखने में इतना छोटा सा खिलाड़ी इतना ताकतवर कैसे हो सकता है. मुझे सुनील गावस्कर के ख़िलाफ़ खेलने का मौका मिला, जो भारतीय बल्लेबाज़ी के गॉडफ़ादर हैं. इसके बाद सचिन आए और अब विराट.