बीसीसीआई ने इसी साल टीम इंडिया के खिलाड़ियों की सालाना सैलरी में भारी बढ़ोतरी की थी. इस साल खिलाड़ियों को चार ग्रेड में बांटा गया है. ग्रेडिंग सिस्टम के तहत (A+) ग्रेड वाले खिलाड़ियों को सालाना 7 करोड़ मिल रहे हैं. इसका मतलब ये हुआ कि टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली को हर साल 7 करोड़ रुपये बतौर सैलरी मिलते हैं.
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बीसीसीआई ने आज एक स्टेटमेंट जारी कर खिलाड़ियों की कुल सैलरी और इनकम की जानकरी दी है. इसके मुताबिक़ भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली को दक्षिण अफ़्रीका सीरीज़ के दौरान मैच फ़ीस के तौर पर 1.25 करोड़ रुपये दिए गए थे, जिसमें आईसीसी से मिलने वाली इनामी राशि को भी शामिल किया गया है. वहीं टीम इंडिया के हेड कोच रवि शास्त्री को तीन महीने के लिए 2 करोड़ रुपये की एडवांस फ़ीस दी गई.
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जहां एक ओर क्रिकेटरों को एक टूर के लिए 45 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपये सैलरी के तौर पर दी जा रही है. वहीं अन्य खेलों की बात करें, तो यहां खिलाड़ियों को इतना पैसा सालाना भी नहीं मिल रहा है.
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अब सवाल ये उठता है कि आख़िर क्रिकेटरों और अन्य खिलाड़ियों की सैलरी में इतना अंतर क्यों है? भारतीय क्रिकेट में इस समय जो औहदा विराट कोहली का है वही औहदा फ़ुटबाल में सुनील छेत्री का भी है. फ़ुटबॉल स्टार सुनील छेत्री को सालाना मात्र 70 लाख रुपये ही मिलते हैं, जबकि विराट कोहली को सालाना 7 करोड़ रुपये मिलते हैं. इससे साफ़ अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इन दोनों को मिलने वाली सैलरी में कितना ज़्यादा अंतर है.
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अगर देश के राष्ट्रीय खेल हॉकी की बात करें तो यहां हालात और भी ख़राब हैं. हॉकी खिलाड़ियों को सालाना मात्र 15 लाख रुपये ही मिलते हैं, जबकि ओलंपिक, कॉमनवेल्थ और एशियाड जैसी बड़ी प्रतियोगिताओं में देश के लिए गोल्ड, सिल्वर और ब्रोंज़ जीतने वाले खिलाड़ियों को करोड़ों की सैलरी तो दूर की बात है. इनमें से कई खिलाड़ी तो जीवन यापन के लिए चाय बेचने को मजबूर हैं.
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मेडल जीतकर आने वाले इन खिलाड़ियों को हर बार केंद्र और राज्य सरकारों की ग़लत नीतियों का शिकार होना पड़ता है. इनामी राशि की घोषणा के बाद भी इन खिलाड़ियों को सालों तक इसके लिए इंतज़ार करना पड़ता है, जबकि क्रिकेटरों को लग्ज़री लाइफ़ जीने को मिलती है.
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इससे आप साफ़ अंदाज़ा लगा सकते हैं कि आज भी देश में क्रिकेट को अन्य खेलों के मुक़ाबले कितनी ज़्यादा इम्पोर्टेंस दी जाती है.