Story Of Indian Women Athlete Shiny Abraham: आज खेलों में भारतीय महिलाएं बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती हैं. नेशनल-इंटरनेशनल इवेंट्स में मेडल भी जीतती हैं. ये सब मुमक़िन हो सका है शाइनी अब्राहम जैसी स्पोर्ट्स वुमेन के चलते. आपने शायद इनका नाम भी सुना नहीं होगा. जबकि, शाइनी ही वो पहली भारतीय महिला खिलाड़ी थीं, जो ओलंपिक गेम्स के सेमीफ़ाइनल मुकाबले में पहुंची, ओलंपिक में भारतीय इतिहास की पहली महिला ध्वजवाहक थीं और इन्होंने एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल भी जीता.

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बचपन से ही पसंद था स्पोर्ट्स

केरल के रहने वाली शाइनी अब्राहम को स्पोर्ट्स में दिलचस्पी थी. कोट्टायम के स्पोर्ट्स डिवीज़न में पहुंच कर उन्होंने इसे काफ़ी सीरियसली लेना शुरू किया. दिलचस्प बात है कि शाइनी, पीटी उषा और एमडी वालसम्मा तीनों ने एक ही स्पोर्ट्स डिवीज़न में पढ़ाई की. फिर पलाई के अल्फोंसा कॉलेज में उन्होंने ख़ुद को बेहतर किया और नेशनल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने लगीं.

1981 में वो 800 मीटर की नेशनल चैंपियन बनी थीं और रिटायरमेंट तक उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर हर 800 मीटर स्पर्धा जीतीं.

भारतीय इतिहास की पहली महिला ध्वजवाहक

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साल 1984 में शाइनी ओलंपिक खेलों के सेमीफ़ाइनल में प्रवेश करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. 1985 में उन्होंने एशियाई चैंपियनशिप में 800 मीटर में गोल्ड मेडल भी जाता. उसी एडिशन में उन्होंने 400 मीटर में रजत पदक भी हासिल किया.

शाइनी अब्राहम की प्रेरणादायक कहानी

इसके कुछ साल बाद उन्होंने तैराक विल्सन चेरियन से शादी की. ट्रैक पर उनका सबसे अच्छा पल 1989 के एशियन ट्रैक एंड फ़ील्ड मीट में था. प्रेग्नेंट होने के बावजूद उन्होंने 800 मीटर स्पर्धा में दूसरा स्थान हासिल किया. वहीं, अपने पहले बच्चे के जन्म के बाद भी उन्होंने साल 1995 के SAF खेलों में 800 मीटर दौड़ में 1: 59.85 का नया रिकॉर्ड बनाया. साल 1992 के ओलंपिक में शाइनी भारतीय इतिहास की पहली महिला ध्वजवाहक थीं.

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उन्हें 1985 में अर्जुन पुरस्कार और 1998 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. शाइनी अब्राहम का स्पोर्ट्स करियर बेहद यादगार रहा है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में क़रीब 80 पदक जीत कर भारत का नाम रौशन किया. शाइनी ने महिलाओं को ओलंपिक तक पहुंचने का हौसला दिया. ये दुखद है कि ज़्यादा लोग उनके योगदान को नहीं जानते हैं.

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