अगर कोई क्रिकेट खेलना शुरु करता है, तो उसका सपना होता है भारतीय टीम का हिस्सा बनना. फिर वो क्रिकेट के ख़ुदा सचिन हों या कई और खिलाड़ी. अपने इसी सपने के साकार होने का पूरा वाकया, भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और महान खिलाड़ी सुनील गावस्कर ने लोगों के साथ साझा किया.
साल 1971 में भारतीय टीम वेस्टइंडीज़ का दौरा करने जा रही थी. टीम का चयन होने वाला था. उस वक़्त गावस्कर दादर स्टेशन पर खड़े थे. टीम की घोषणा से पहले ट्रेन आ गई और वो घर की तरफ़ चल दिए, लेकिन वो काफ़ी डरे हुए थे. जैसे ही घर पहुंचे, रोज़ की तरह मां ने ही गेट खोला और उनके चेहरे की खुशी काफ़ी कुछ बता रही था. फ़ोन पर वीनू माकंड थे, जिन्होंने गावस्कर से फ़ोन पर कहा कि ‘तुम्हें भारतीय टीम में जगह मिल गई है. जाओ और फ्री हो कर बल्लेबाज़ी करना.’
ये पूरी बात उन्होंने एक समारोह के दौरान बताई. अपने पुराने दिनों को याद करते वक़्त गावस्कर की आवाज भारी हुई, पता चल रहा था कि वो भावुक हो रहे हैं.
पुराने दिनों की यादें हर किसी को भावुक कर देती हैं और अपने सपने को पूरा करने का किस्सा गावस्कर के लिए काफ़ी था. हो भी क्यों न, इसके बाद उन्होंने कभी पलट कर नहीं देखा और आज भी कई बल्लेबाज़ उनकी तरह बनना चाहते हैं. इसे कहते हैं महान खिलाड़ी.