15 अगस्त के दिन जब देश आज़ादी का जश्न मना रहा था उसी दिन शाम 7:29 बजे देश के दो धाकड़ क्रिकेटरों ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा अपने फ़ैंस को मायूस कर दिया था.

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और कई मैचों में टीम इंडिया की कप्तानी कर चुके सुरेश रैना ने एक ही दिन संन्यास की घोषणा कर अपनी दोस्ती का एक और शानदार नज़ारा पेश किया. टीम इंडिया में धोनी-रैना को जय-वीरू कहा जाता था. इन दोनों की दोस्ती से क्रिकेट जगत में हर कोई वाक़िफ़ है.

15 अगस्त की शाम को जब धोनी और रैना ने एक साथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से अचानक संन्यास की घोषणा की तो हर किसी के दिमाग़ में बस एक ही सवाल उठ रहा था कि आख़िर इन दोनों ने 15 अगस्त को ही संन्यास क्यों लिया? संन्यास के रहस्य को लेकर अब सुरेश रैना ने ख़ुद ये ख़ुलासा किया है.

दैनिक जागरण से बातचीत में सुरेश रैना ने कहा, धोनी की जर्सी का नंबर 7 है और मेरी जर्सी का नंबर 3, दोनों मिलाकर 73 होते हैं. शनिवार को भारत की स्वतंत्रता के 73 वर्ष पूरे हुए तो हमने तय किया कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से विदा लेने का इससे बेहतर दिन और कोई नहीं हो सकता.

मुझे पता था कि माही भाई चेन्नई में संन्यास की घोषणा के लिए ही आ रहे हैं तो मैंने भी ख़ुद को पूरी तरह से तैयार कर लिया था. मैं सीएसके के चार्टर्ड प्लेन से 14 अगस्त को पीयूष चावला, दीपक चाहर और कर्ण शर्मा के साथ रांची पहुंचा. वहां से माही भाई और मोनू सिंह को साथ लेकर हम चेन्नई पहुंचे थे.

15 अगस्त को हमने संन्यास की घोषणा कर दी. संन्यास के बाद हम दोनों गले मिलकर ख़ूब रोए फिर रात में जमकर पार्टी भी की. हमने अपने करियर और दोस्ती के बारे में बातें की. इस दौरान पीयूष चावला, अंबाती रायुडू, केदार जाधव और कर्ण शर्मा और मोनू सिंह भी हमारे साथ थे.

धोनी ने 23 दिसंबर 2004 को बांग्लादेश के ख़िलाफ़ चटगांव में तो मैंने 30 जुलाई 2005 को श्रीलंका के ख़िलाफ़ दांबुला में अपने करियर की शुरुआत की थी. हम दोनों का करियर 15-16 साल का रहा. टीम इंडिया के अलावा हमने चेन्नई सुपर किंग्स में भी एक साथ काफ़ी क्रिकेट खेला. इंटरनेशनल क्रिकेट तो नहीं, लेकिन आइपीएल में हम साथ खेलते रहेंगे.

33 वर्षीय सुरेश रैना ने भारत के लिए 18 टेस्ट, 226 वनडे और 78 टी-20 मैच खेले थे. रैना के पास अब भी टीम इंडिया में वापसी का मौक़ा था, लेकिन धोनी से पक्की दोस्ती के कारण उन्होंने भी संन्यास ले लिया.