स्वप्ना बर्मन के पक्ष में कुछ भी नहीं था. न शारीरिक हालात, न आर्थिक हालात. बावजूद प्रतिकूल परिस्थितियों के, उन्होंने एशियाई खेल के हेप्टाथ्लॉन (Heptathlon) में गोल्ड मेडल जीता.
स्वप्ना के पैरों में 12 ऊंगलियां हैं, इसका मतलब है उन्हें जूते पहनने में परेशानी होती है. पिता रिक्शाचालक हैं, मां चाय बागान में काम करती हैं, इसका मतलब वो सुविधा संपन्न परिवार से नहीं हैं. ऐसे हालात में एशियाई खेल में स्वर्ण पदक जीतना बहुत बड़ी बात है, ये सिर्फ़ और सिर्फ़ ईमानदारी से की गई कड़ी मेहनत और बेहिसाब हौसले से ही संभव है.
एक और बात, मैच से पहले स्वप्ना बर्मन पूरी तरह फ़िट भी नहीं थी. मैच के दौरान उन्होंने जबड़े पर बैंडेज लगा रखा था. सात स्पर्धाओं में स्वप्ना का कुल स्कोर 6026 था.
क्या होता है हेप्टाथ्लॉन ?
ये सात स्पर्धा सात अलग-अलग खेलों से मिल कर बनती है. महिलाओं और पुरुषओं के लिए अलग-अलग तरीके से डिज़ाइन किया गया है. महिलाओं की श्रेणी में 100 मीटर बाधा दौड़, ऊंची कूद, गोला फेंक, 200 मीटर दौड़, लंबी कूद, भाला फेंक और 800 मीटर दौड़ होती है. सभी स्पर्धाओं के अंक निर्धारित होते हैं, पहली चार स्पर्धाएं पहले दिन बाद की तीन स्पर्धाएं दूसरे दिन होती हैं.
जैसे ही स्वप्ना की जीत पक्की हुई, उनके शहर जलपाईगुड़ी में लहर सी दौड़ पड़ी. सब उनके घर बधाई देने के लिए पहुंचने लगे. मां ने सुबह से ही ख़ुद को मंदिर में बंद कर रखा था. उन्होंने उस एतिहासिक क्षण को देखा भी नहीं.
मीडिया से बातचीत के दौरान उनकी मां बशोना ने कहा, ‘मैंने उसका प्रदर्शन नहीं देखा, दिन के दो बजे से प्रार्थना कर रही थी, मंदिर उसने ही बनाया है’. आगे उन्होंने बेहद भावुक आवाज़ में कहा,’ये उसके लिए आसान नहीं था, हम उसकी ज़रूरतों को पूरा नहीं कर पाते थे, लेकिन उसने कभी शिकायत नहीं की.’
12 उंगलियों की वजह से स्वप्ना को हमेशा संघर्ष करना पड़ता था. ग़लत जूतों की वजह से उन्हें लैंडिंग करने में परेशानी होती है. इस वजह से उनके जूते फट भी जल्दी जाते हैं.
पिछले साल एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी वह गोल्ड मेडल के साथ लौटी थी.