विश्वकप 2019 में भारत की गिरती पारी को संभालने वाले, एक से एक ज़बरदस्त कैच लेने वाले, अपनी गेंदबाज़ी से ‘कमेंटेटर्स’ का मुंह बंद करने वाले महान खिलाड़ी हैं, रवींद्रसिंह अनिरुद्धसिंह जडेजा उर्फ़ सर रवींद्र जडेजा.
कौन हैं रवींद्र जडेजा?
6 दिंसबर 1988 को रवींद्र का जन्म गुजरात के एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था. उनके पिता वॉचमैन की नौकरी करते थे. उनके पिता चाहते थे कि वे सेना में शामिल हों पर रवींद्र को क्रिकेट में रुचि थी.
बचपन में किया जाता था Bully
रवींद्र काफ़ी छोटी उम्र से क्रिकेट खेलते थे. उम्र में बड़े लड़के उन्हें अक़्सर परेशान करते थे. हर रात वो रोते-रोते सोया करते. महेंद्रसिंह चौहान, जो पेशे से पुलिसकर्मी थे और ‘क्रिकेट बंगलो’ नामक संस्था में क्रिकेट कोचिंग भी दिया करते और उन्होंने ही रवींद्र की ज़िन्दगी बदली.
थप्पड़ खाकर लिए थे 5 विकेट
रवींद्र ने कोचिंग में बतौर तेज़ गेंदबाज़ शुरुआत की और बाद में चौहान के कहने पर स्पिन करने लगे. जडेजा को नींद में चलने की बीमारी थी. कोच चौहान ने थप्पड़ मार-मार कर उनकी आदत सुधार दी.
2005 में बनाई अंडर-19 टीम में जगह
16 की उम्र में रवींद्र ने भारत की अंडर-19 क्रिकेट टीम में जगह बनाई. 1 साल बाद, श्रीलंका में खेले गए अंडर-19 विश्वकप में भी उनका सेलेक्शन हो गया. 2008 में अंडर-19 की विश्वकप की टीम के वे उपकप्तान थे और 6 मैचों में 10 विकेट चटकाए.
अंतर्राष्ट्रीय करियर
2008-09 में रणजी सीज़न में उन्होंने 739 रन बनाए और 42 विकट लिए. सेलेक्टर्स की नज़र उन पर पड़ी और उन्हें श्रीलंका दौरे के लिए चुन लिया गया. 8 फरवरी 2009 को उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू किया और 77 बॉल पर 60 रन बनाए.
रवींद्र जडेजा कैसे बने ‘सर रवींद्र जडेजा’
2009 T20 विश्वकप के दौरान रवींद्र का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक था. इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ उनका प्रदर्शन इतना ख़राब था कि उन्हें ट्रोल करने के लिए उनके नाम के आगे ‘सर’ लगा दिया गया.