एक वक़्त होता है, जब एक शख़्स के ऊपर पूरी दुनिया की निगाह होती है और एक समय ऐसा आता है कि वो ही शख़्स ख़ुद की नज़रों से भी ग़ायब हो जाता है. कल तक जिनकी चीख़ती आवाज़ पर बस उस शख़्स का नाम होता था, आज उसी शख़्स के कानों तक उन आवाज़ों की गूंज भी नहीं पहुंचती. अजीब बात है, लेकिन सच है. ख़ास तौर से सेलिब्रिटीज़ के साथ.
मसलन, पाकिस्तान क्रिकेट टीम के ऑफ़ स्पिनर अरशद ख़ान को ही ले लीजिए, जो रिटायरमेंट के बाद सिडनी में एक UBER टैक्सी चलाने को मजबूर हैं. जिसने भी इस प्लेयर की कहानी सुनी, वो सन्न रह गया. लेकिन सच तो ये है कि न सिर्फ़ अरशद ख़ान बल्कि बहुत से क्रिकेटर्स की आज यही स्थिति है.
आइए नज़र डालते हैं उन 7 क्रिकेटर्स पर, जो आज मुफ़लिसी और ग़ुमनामी की ज़िंदगी जीने को मजबूर है.
1-हेनरी ओलंगा, ज़िम्बॉब्वे- सिंगर
हेनरी ओलंगा को सचिन तेंडुलकर के साथ विवाद के लिए भी जाना जाता है. शारजाह में एक ट्राई-सीरीज के लीग मैच में ओलंगा ने सचिन को अपनी बाउंसर पर आउट किया. उसके बाद फ़ाइनल मुक़ाबले में सचिन ने ओलंगा की जमकर धुनाई की थी. ओलंगा ज़िम्बॉब्वे के पहले अश्वेत खिलाड़ी थे. 1998 से लेकर 2003 तक वो ज़िम्बॉब्वे की गेंदबाज़ी के प्रमुख हथियार बने रहे. लेकिन 2003 में एक तानाशाह सरकार से विवाद के चलते उन्हें अपने करियर को अलविदा कहना पड़ गया. उन पर राजद्रोह का मुक़दमा लगा, जिसके कारण उन्हें देश भी छोड़ना पड़ा. ओलंगा ने संगीत की दुनिया में अपनी किस्मत आज़माई और 2006 में Aurelia नाम से अपना एक एल्बम भी निकाला.
2-अरशद ख़ान, पाकिस्तान- सिडनी में कैब ड्राइवर
पूर्व पाकिस्तानी ऑफ़ ब्रेक गेंदबाज़ अरशद ख़ान ने 9 टेस्ट और 58 एक दिवसीय मैचों में कुल 164 विकेट लिए. 2001 तक वो टीम के नियमित गेंदबाज थे, लेकिन बाद में उन्हें ड्रॉप कर दिया गया. उन्होंने इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 2005 में वापसी की, लेकिन टीम में स्थायी जगह नहीं बना सके. 2006 में उन्होंने रियारमेंट की घोषणा की और अब 2015 की मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, वो ऑस्ट्रेलिया में कैब ड्राइवर के रूप में काम कर रहे हैं.
3-क्रिस लुईस, इंग्लैंड- जेल में सज़ा काट रह हैं
क्रिस लुईस ने इंग्लैंड के लिए 32 टेस्ट खेले, जिनमें 93 विकेट हासिल किए. हालांकि, बाद में वो बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सके. लुईस ने अपना आख़िरी मैच 1996 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ खेला था. बाद के सालों में उनका संबंध अपराध की दुनिया से जुड़ गया. उन्हें 2009 में उन्हें तरल कोकीन की तस्करी के आरोप में 13 साल क़ैद की सज़ा हो गई.
4- क्रिस केर्न्स, न्यूज़ीलैंड- बस शेल्टर वॉशर
1990 के दशक में सबसे बेहतरीन ऑलराउंडरों में से एक न्यूज़ीलैंड के क्रिस केर्न्स ने अपनी बैटिंग और बॉलिंग से दुनिया को हैरान कर दिया. उन्होंने टेस्ट प्रारूप में 218 विकेट और एक दिवसीय प्रारूप में 201 विकेट हासिल किए थे. लेकिन 2006 में रिटायरमेंट के बाद उन पर मैच फ़िक्सिंग जैसे गंभीर आरोप लगे. मैच फिक्सिंग के आरोपों से जूझ रहे क्रिस की आर्थिक स्थिति बहुत कमज़ोर हो गई और उन्होंने परिवार पालने के लिए ऑकलैंड में स्थित शेल्टर में बस धोने का काम किया. सिर्फ़ यही नहीं, उन्होंने ऑकलैंड नगरपालिका के लिए ट्रक तक चलाए और साथ ही बार में भी काम करने पर मजबूर होना पड़ा.
5- ब्रेट शुल्त्स, दक्षिण अफ्रीका- इकोनॉमिस्ट
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व तेज गेंदबाज ब्रेट शुल्त्स ने अपने करियर की बेहतरीन शुरुआत की थी. उन्होंने सिर्फ़ 9 टेस्ट मैच खेले और इसमें उनके नाम 20 की औसत से 37 विकेट थे. 1993-94 के श्रीलंका दौरे पर दक्षिण अफ्रीका की पहली टेस्ट सीरीज़ में शुल्त्स एक बेहतरीन खिलाड़ी साबित हुए. यहां उन्होंने धीमी पिच पर बल्लेबाज को जमकर परेशान किया और तीन टेस्ट में 20 विकेट चटकाए. उन्होंने महज़ 27 साल की उम्र में रिटायरमेंट ले लिया, जिसके बाद वो एक बिज़नेसमैन बन गए. इस वक़्त वो इकोनॉमिस्ट नाम के दक्षिण अफ्रीकी संगठन में एक कंपनी के सहयोगी के रूप में काम कर रहे हैं.
6- क्रिस हैरिस, न्यूज़ीलैंड- फ़ार्मास्यूटिकल प्रवक्ता
न्यूज़ीलैंड के बेहतरीन ऑलराउंडर क्रिकस हैरिस ने 1990 के दशक में अपने क्रिकेट करियर का आग़ाज़ किया. इस आक्रामक और प्रतिभाशारी प्लेयर ने 23 टेस्ट और 250 एकदिवसीय मैचों में अपने देश का प्रतिनिधित्व किया और 5 हज़ार से ज़्यादा रन और 200 से ज़्यादा विकेट हासिल कर रिटायर हुए.
हालांकि, रिटायर होने के बाद उनके हालात बिगड़ गए. अपने परिवार के पालन पोषण के लिए उन्हें एक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी में आर्थोपेडिक उपकरणों की ब्रिकी का काम करना पड़ा. एक समय का महान प्लेयर आज फ़ार्मास्यूटिकल प्रवक्ता बनकर रह गया है.
7- एडो ब्रांडेस, जिम्बॉब्वे- टमाटर की ख़ेती करते हैं
ज़िम्बाब्वे के पूर्व तेज गेंदबाज एडो ब्रांडेस ने 10 टेस्ट मैच और 59 वनडे मैच खेले. ब्रांडेस का इंटरनेशनल करियर ज्यादा लंबा नहीं चला और उन्होंने 96 विकेट अपने नाम किये. लेकिन इतने कम वक़्त में भी उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बना ली.
ब्रांडेस ने अपना आख़िरी इंटरनेशनल मैच 1999 में श्रीलंका के ख़िलाफ़ खेला था. इसके बाद उन्होंने क्रिकेट के साथ-साथ जिम्बाब्वे भी छोड़ दिया और वो ऑस्ट्रेलिया में बस गए. ब्रांडेस का परिवार जिम्बॉब्वे में कभी मुर्गी फ़ार्म चलाता था और आज वो ख़ुद सनशाइन कोस्ट में टमाटर की खेती कर रहे हैं.