90 के दशक में जब हम रेडियो पर हिंदी कमेंट्री सुना करते थे, तब ऐसा लगता था जैसे हम कोई लाइव मैच देख रहे हैं. सुशील दोशी की हिंदी कमेंट्री लाजवाब हुआ करती थी. उस दौर में मैच के दौरान सिर्फ़ और सिर्फ़ कमेंट्री हुआ करती थी. 

21वीं सदी की क्रिकेट कमेंट्री एकदम बदल चुकी है. रेडियो कमेंट्री अब आलिशान टीवी स्टूडियो तक पहुंच चुकी है. अब फ़ैंस को कमेंट्री के साथ-साथ एंटरटेनमेंट भी चाहिए होता है.  

अब ज़माना है आकाश चोपड़ा, वीरेंद्र सहवाग, वी.वी.एस लक्ष्मण, सुनील गावस्कर और आशीष नेहरा जैसे टीवी कमेंटेटर्स का. जो अपनी कमेंट्री में मुहावरों का तड़का लगाया करते हैं.  

कई बार मैच बोरिंग भी हो, तो कमेंट्री में ये एंटरटेनमेंट का तड़का अपना काम कर जाता है. 

चलिए देखते हैं मॉडर्न युग की कमेंट्री की के कुछ नमूने: