What is Bazball Model in Cricket: वर्ल्ड क्रिकेट में समय-समय पर कई बदलाव हुए हैं. टेस्ट और वनडे के बाद अब टी-20 क्रिकेट ने वर्ल्ड क्रिकेट को नई ऊंचाईयों पर पहुंचा दिया है. आज क्रिकेट बेहद फ़ास्ट हो चुकी है. क्रिकेट की शुरुआत करने वाले अंग्रेज़ों ने एक बार फिर से क्रिकेट को एक नई पहचान देने की ऐतिहासिक कोशिश की है. दरअसल, इंग्लिश टीम ने हाल ही में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ टेस्ट मैच के पहले ही दिन 500 से अधिक रन बनाकर इतिहास रच दिया था. टेस्ट क्रिकेट में ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी टीम ने टेस्ट मैच के पहले ही दिन केवल 75 ओवरों में ही 506 रन बना डाले. 

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इंग्लिश क्रिकेट टीम की इसी उपलब्धि को दुनिया के कई महान क्रिकेटरों और क्रिकेट एक्सपर्ट्स ने Bazball Model नाम दिया है. क्रिकेट फ़ैंस के लिए ये एकदम नया टर्म है. फ़ैंस जानना चाहते हैं कि आख़िर ये Bazball Model है क्या जिसकी वजह से ब्रिटिश टीम को इतनी बड़ी क़ामयाबी मिली है. 

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What is Bazball in Cricket?

ब्रिटिश क्रिकेट हमेशा से ही क्रिकेट में बदलाव के लिए जानी जाती है. फिर चाहे वो रोटेशन पॉलिसी हो या फिर क्रिकेट को अलग-अलग फ़ॉर्मेट बांटना. इयोन मॉर्गन से लेकर ट्रेविस बेलिस और अब इंग्लिश क्रिकेट टीम के कोच ब्रेंडन मैकुलम बोरिंग होते जा रहे टेस्ट क्रिकेट को पूरी तरह से आक्रामक बनाने पर ज़ोर दे रहे हैं. Bazball Model टेस्ट क्रिकेट की इसी आक्रामकता का हिस्सा है. टेस्ट क्रिकेट को अलग-अलग तरीकों से फ़ास्ट, अग्रेसिव, इंटरेस्टिंग बनाने और मैच में 100 फ़ीसदी नतीजे लाने की प्रक्रिया को ही Bazball Model कहा जाता है.

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चलिए जानते हैं क्या है बैज़बॉल मॉडल (Bazball Model) जिसकी वजह से टेस्ट क्रिकेट को स्पेशल बनाया जा रहा है- 

1. केवल आक्रामक क्रिकेट

पिछले 1 दशक में क्रिकेट की असल पहचान ‘टेस्ट क्रिकेट’ की लोकप्रियता बेहद घट गयी है. टी20 क्रिकेट के इस दौर में स्टेडियम में मौजूद फ़ैंस को केवल चौके-छक्कों की बरसात देखनी होती है. ऐसे में टेस्ट क्रिकेट को भी अब आक्रामक और फ़ास्ट बनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है. इंग्लैंड के कोच ब्रेंडन मैकुलम और कप्तान बेन स्टोक्स ने इसकी शुरुआत कर दी है. कहा जा रहा है कि दुनिया की अन्य टीमें भी अब इसी फ़ॉर्मूले के साथ मैदान में उतरेंगी. अगले कुछ सालों में टेस्ट क्रिकेट अपने एक अलग मुक़ाम पर होगी. 

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2- ऑलराउंडर्स को तवज्जो

बैज़बॉल मॉडल (Bazball Model) का दूसरा अहम पहलू है टीम बैलेंस. मतलब ये कि किसी टेस्ट मैच के लिए इस तरह की टीम सेलेक्ट की जाय जो बैटिंग, फ़ील्डिंग और बॉलिंग में 100 फ़ीसदी परफ़ेक्ट हो. इस दौरान टीम में ज़्यादा से ज़्यादा ऑलराउंडर्स को तवज्जो देना है. क्योंकि ऑलराउंडर्स कभी भी मैच का पासा पलट सकते हैं. टेस्ट क्रिकेट में गेंदबाज़ को लंबे स्पेल करने होते हैं. ऐसे में उनके थकने के बाद ऑलराउंडर्स टीम की गेंदबाज़ी को नया जीवन देने की कोशिश करते हैं और इसका असर मैच के नतीजे पर भी पड़ता है. 

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3- निर्भीक फ़ैसले लेना 

टेस्ट क्रिकेट धैर्य का खेल है. रिज़ल्ट हासिल करने के लिए इसमें थोड़ा रिस्क लेना पड़ता है. इंग्लिश टीम ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ ये बात साबित करके दिखाई भी है. इंग्लिश टीम ने दूसरी पारी के दौरान अपनी इनिंग जल्दी घोषित करके बड़ा रिस्क लिया था. एक समय तो ऐसा भी था जब पाकिस्तान की टीम जीत के बेहद क़रीब थी. लेकिन इंग्लैंड के कप्तान और कोच की अचूक रणनीति के चलते पाकिस्तान मैच जीत नहीं सका. टेस्ट क्रिकेट में 100 फ़ीसदी नतीजे लाने के लिए ऐसे फ़ैसले लेने ही पड़ेंगे. 

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4- खिलाड़ियों में असफलता का डर नहीं

टी20 क्रिकेट के इस दौर में कई क्रिकेटरों ने टेस्ट क्रिकेट से रिटायमेंट तक ले लिया है. ऐसे में बोर्ड ने कई क्रिकेटरों को सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से भी बाहर कर दिया है. लेकिन जो क्रिकेटर टेस्ट क्रिकेट खेल रहे हैं उन्होंने आक्रामक क्रिकेट खेलने का डर अपने मन से निकाल लिया है. आक्रामक क्रिकेट खेलने के चलते रन भी अधिक तेज़ी से बनते हैं. इंग्लिश टीम का ‘बैज़बॉल मॉडल’ भी एग्रेसिव क्रिकेट खेलने पर ही आधारित है. इंग्लिश खिलाड़ियों को कोच मैक्कुलम की ओर से साफ़ निर्देश रहता है कि वो बिना किसी डर के अटैकिंग बैटिंग करें.

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क्या टेस्ट क्रिकेट की वास्तविकता को बरकरार रखने के लिए Bazball Model बेहतर साबित हो सकता है?