Achinta Shuli Who Won Gold Medal in Commonwealth: इंग्लैंड के शहर बर्मिंघम (Birmingham) में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स (Commonwealth Games 2022) में भारत अब तक 9 पदक अपने नाम कर चुका है, जिसमें 3 गोल्ड और 3 सिल्वर और 3 कांस्य पदक है. 9 में से 7 पदक सिर्फ़ वेटलिफ़्टिंग में जीते गए हैं, जबकि दो मेडल जूडो में. वहीं, मिराबाई चानु और जेरेमी लालरिनुंगा के बाद भारतीय वेटलिफ़्टर अचिंता शेउली ने देश को तीसरा गोल्ड मेडल दिलाया है.

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भारत को तीसरा स्वर्ण पदल दिलाने के बाद से ही अचिंता शेउली चर्चा व खबरों में बने हुए हैं. ऐसे में इस खास लेख में हम अचिंता शेउली की लाइफ़ से जुड़ी बातें बताने जा रहे हैं, ताकि आप उनके बारे में काफ़ी कुछ जान सकें.

आइये, अब विस्तार से पढ़ते हैं आर्टिकल.   

भारत को दिलाया तीसरा गोल्ड मेडल   

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Achinta Shuli Who Won Gold Medal in Commonwealth: बर्मिंघम (Birmingham) में चल रहे Commonwealth Games 2022 में अचिंता शेउली (Achinta Sheuli) ने भारत को तीसरा गोल्ड मेडल दिलाकर देश का मान बढ़ाया है. उन्होंने उन्होंने 73 किलो भार वर्ग में ये मेडल जीता है और उन्होंने कुल 313 किलो वजन उठाया था, जिसमें स्चैच राउंड में 143, जबकि जर्क में 170 किलो वजन उठाया था.   

“मैं बहुत खुश हूं. कई संघर्षों को पार करने के बाद मैंने ये पदक जीता है. मैं ये पदक अपने भाई और अपने कोच को समर्पित करता हूं. मैं अगली बार ओलंपिक की तैयारी करूंगा.”   

-अचिंता शेउली

पहली बार हिस्सा ले रहे हैं Commonwealth Games में  

अचिंता शेउली 20 वर्ष के हैं और वो पहली बार Commonwealth Games में हिस्सा ले रहे हैं. उनका जन्म 24 नवंबर 2001 को पश्चिम बंगाल के देउलपुर (हावड़ा ज़िला) में हुआ था. उनके पिता (प्रतीक शेउली) एक मज़दूर थे, जिनका देहांत साल 2013 में हो गया था.   

भाई भी थे वेटलिफ़्टर     

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Achinta Shuli Who Won Gold Medal in Commonwealth: अचिंता शेउली के भाई भी वेटलिफ़्टर थे, जो टीवी में एक बार बॉडी-बिल्डिंग प्रतियोगिता देखकर आक्रषित हो गए थे, लेकिन 2013 में पिता की मृत्यु के बाद घर को संभालने के लिए उन्हें वेटलिफ़्टिंग छोड़नी पड़ी. वहीं, अचिंता को वेटलिफ़्टिंग से इंट्रोड्यूस उनके भाई आलोक ने ही कराया था.  


कोच ने फ़्री में कराई ट्रेनिंग  

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जानकारी के अनुसार, अचिंता की मां पुर्णिमा उन्हें साल 2010 में एक एक GYM में लेकर गईं, जिसे कोच अस्तम दास चलाते थे. कोच अस्तम दास ने अचिंता को मुफ़्त में ट्रेनिंग कराई और साथ ही उन्हें पौष्टिक भोजन भी दिया करते थे.   

जब पहली बार लिया नेशनल इवेंट में हिस्सा   

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Achinta Shuli Who Won Gold Medal in Commonwealth: अंचिता की ज़िंदगी में टर्निंग प्वाइंट तब आता है, जब उन्होंने साल 2013 में गुवाहाटी (असम) में आयोजित हुए Junior National Championship में हिस्सा लिया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस प्रतियोगिता में अंचिता चौथे रैंक पर आए थे. वहीं, इस दौरान Army Sports Institute की नज़र उनपर पड़ी. वहीं, साल 2014 में उन्हें Institute द्वारा ट्रॉयल के लिए बुलाया गया था. 


वहीं, चयन होने के बाद उन्होंने देउलपुर हाई स्कूल को कक्षा 6 में छोड़ दिया और Army Sports Institute में अपनी पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने हरियाणा में युवा राष्ट्रीय खेलों में भाग लिया और इसमें वो तीसरे स्थान पर रहे. इसके बाद वो सेना में शामिल हो गए. वहीं, पुणे में आयोजित Youth Commonwealth Games में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता था.  

मैं और मेरा भाई खेतों में काम करते थे  

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एक मीडिया संगठन से हुई बातचीत में अचिंता के भाई ओलोक ने बताया था कि पिता के अंतिम संस्कार के लिए हमारे पास पैसे भी नहीं थे. घर को चलाने के लिए अचिंता की मां ने सिलाई का काम शुरू कर दिया था. बाद में बच्चे भी इसमें शामिल हो गये थे. वहीं, उन्हें बाद में कढ़ाई का काम मिलना शुरू हो गया था. सिर्फ़ कढ़ाई ही नहीं, उन्हें जो भी काम मिलता वो दो भाई करते. 


अचिंता के भाई कहते हैं कि, “अचिंता और मैं खेतों में काम करते थे. हम ने फसल काटी और भार को अपने सिर पर ढोया. वहीं, आलोक कहते हैं कि हम ये काम सिर्फ़ पैसों के लिये भी नहीं करते थे. हमने एक सप्ताह के लिए एक खेत में काम किया, क्योंकि हमें एक दिन में एक अंडा और उसके अंत में एक किलो चिकन दिया जाता था.”

पिता की मृत्यु के बाद आलोक परिवार में कमाने वाले बने. उन्होंने अपने भाई का समर्थन करने के लिए अपना वेटलिफ़्टिंग का सपना छोड़ दिया. 

भगवान के आशिर्वाद से अचिंता अपनी सेना की नौकरी से परिवार का भरण-पोषण अच्छे से कर रहे हैं. अब उनकी मां को सिलाई का काम करने की ज़रूरत नहीं. इस बीच, उनके भाई अब अपने करियर पर ध्यान दे रहे हैं. बता दें कि उन्होंने उन्होंने 2019 में कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में गोल्ड और 2021 में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर जीता था.