‘वुशु’ शायद ही हम भारतीयों को इस खेल के बारे में ज़्यादा जानकारी हो, लेकिन आज भारत इस खेल का ‘वर्ल्ड चैंपियन’ है. भारत में अब से ये खेल प्रवीण कुमार के नाम से भी जाना जाएगा. 

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दरअसल, इन दिनों चीन के शंघाई शहर में ‘वर्ल्ड वुशु चैंपियनशिप’ चल रही है. इस दौरान 48 किलोग्राम वर्ग में भारत के प्रवीण कुमार ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है. 22 साल के प्रवीण कुमार पुरुष कैटेगरी में देश के पहले वुशु वर्ल्ड चैंपियन बन गए हैं. प्रवीण ने फ़ाइनल में फ़िलीपींस के रसेल डियाज़ को 2-1 से हराया. 

हरियाणा के रहने वाले ‘नेशनल चैंपियन’ प्रवीण की ये पहली ‘वर्ल्ड चैंपियनशिप’ थी. इस प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल करने वाले वो भारत के पहले खिलाड़ी बन गये हैं. प्रवीण साल 2016 में ‘एशियन वुशु चैंपियनशिप’ में सिल्वर चुके हैं. 

ओवरऑल ‘वर्ल्ड चैंपियनशिप’ में ये भारत का दूसरा गोल्ड मेडल है. साल 2017 में हरियाणा की पूजा कादियान ने रूस में आयोजित ‘वर्ल्ड चैंपियनशिप’ के दौरान देश के लिए पहला गोल्ड मेडल जीता था. 

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प्रवीण कुमार बेहद ग़रीब परिवार से संबंध रखते हैं. पिता बिजली बोर्ड में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं. प्रवीण ने पहली बार साल 2013 में एमडी यूनिवर्सिटी में हुई ‘वुशु चैंपियनशिप’ के दौरान इस खेल देखा था. तभी से उन्हें इस खेल से प्यार हो गया, लेकिन पियोन पिता के इतने पैसे भी नहीं थे कि वो प्रवीण वुशु की ट्रेनिंग दिला सकें. 

घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते प्रवीण कुमार कई बार टूर्नामेंट खेलने भी नहीं जा पाते थे. इस दौरान प्रवीण के मामा ने उनकी काफ़ी मदद की. इसके बाद साल 2017 में उन्होंने ‘एशियाई चैंपियनशिप’ में सिल्वर मेडल हासिल किया. प्रवीण अपनी इस सफ़लता का श्रेय अपने कोच कुलदीप हांडू को देते हैं.

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चीन के शंघाई में चल रही 15वीं ‘विश्व वुशु चैंपियनशिप’ के दौरान 3 बार की सिल्वर मेडलिस्ट सनाथोई देवी फ़ाइनल मुक़ाबला हार गईं हैं. सनाथोई को 52 किग्रा भर वर्ग में चीन की युआओ ली ने हराया. इसके साथ ही उन्होंने चौथी बार सिल्वर मेडल हासिल किया. जबकि 75 किलोग्राम महिला वर्ग में पूनम को रजत पदक मिला है.