इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) ने ज़िम्बाब्वे क्रिकेट को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. आईसीसी ने अपनी सालाना बैठक में ये बड़ा फ़ैसला लिया है. बैठक के दौरान ज़िम्बाब्वे क्रिकेट पर सर्वसम्मति के साथ ये फ़ैसला लिया गया.  

दरअसल, पिछले कुछ सालों से ज़िम्बाब्वे के राजनीतिक हालात ठीक नहीं है. जिसका सीधा असर ज़िम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड पर भी पड़ रहा है. बोर्ड में बढ़ती राजनीति और अनियमितताओं के चलते उनकी क्रिकेट का स्तर लगातार गिरता जा रहा है.   

jagranjosh

आईसीसी ने अपने बयान में कहा है कि ‘क्रिकेट ज़िम्बाब्वे लोकतांत्रिक तरीके से निष्‍पक्ष चुनाव कराने में नाकाम रहा. इसके अलावा बोर्ड सरकारी दखलअंदाजी को ख़त्म करने में भी असफ़ल रहा. यही कारण है कि ज़िम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड पर ये कार्रवाई की गई है.  

amarujala

आईसीसी के इस फ़ैसले के साथ ही अब ‘ज़िम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड’ को आईसीसी फंडिंग भी नहीं मिलेगी. साथ ही ज़िम्बाब्वे की कोई भी क्रिकेट टीम आईसीसी इवेंट्स में हिस्सा नहीं ले पाएगी. आईसीसी के इस फ़ैसले के अक्टूबर में पुरुषों के टी20 वर्ल्ड कप क्वालिफ़ायर में खेलना ज़िम्बाब्वे मुश्किल हो गया है.  

आईसीसी चेयरमैन शशांक मनोहर ने कहा, ‘किसी सदस्य को निलंबित करने का फ़ैसला सर्वसहमति से लिया जाता. हमें खेल को राजनीतिक हस्तक्षेप से अलग रखना चाहिए. ज़िम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड ने आईसीसी संविधान का उल्लंघन किया है. इसलिए हम चाहते हैं कि आईसीसी संविधान के दायरे में ही ज़िम्बाब्वे में क्रिकेट जारी रहे. 

एक दौर था जब ज़िम्बाब्वे की क्रिकेट टीम खेल के हर फ़ील्ड में शानदार प्रदर्शन करती थी. साल 1999 और 2003 वर्ल्ड कप तक ज़िम्बाब्वे की टीम में एलिस्टर कैंपबेल, एंडी फ़्लावर, ग्रांट फ़्लावर, हीथ स्ट्रीक, नील जॉनसन, हेनरी ओलंगा और मरे गुडविन जैसे वर्ल्ड क्लास प्लेयर्स हुआ करते थे.  

quora

आज ज़िम्बाब्वे क्रिकेट के हालात ये हो गए हैं कि फ़ैंस को उनके किसी भी खिलाड़ी का नाम याद तक नहीं है. पिछले 10 सालों से ‘ज़िम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड’ आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. खिलाड़ी सालों साल बिना सैलरी के अपने देश के लिए क्रिकेट खेलने को मज़बूर हैं.