कनाडा की स्मार्टफ़ोन कंपनी ब्लैकबेरी (BlackBerry) एक समय में मार्केट लीडर हुआ करती थी. एक दौर था जब ‘ब्लैकबेरी’ के फ़ोन अमीरों की पहचान हुआ करते थे. कॉर्पोरेट प्रोफ़ेशनल्स के बीच मशहूर ये फ़ोन, जिस किसी के भी हाथ में होता था उसकी एक अलग ही पहचान होती थी. ‘ब्लैकबेरी’ फ़ोन की पहचान उसकी QWERTY की-पैड और एक रेड लाइट हुआ करती थी ​जो इसे दूसरे मोबाइल फ़ोन्स से अलग बनाती थी. लेकिन आज ‘ब्लैकबेरी’ ग्राहकों के लिए एक बीता हुआ कल बन चुकी है.

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एक दौर था जब दुनिया का हर एक पावरफुल शख़्स बेहतर सिक्योरिटी की वजह से ब्लैकबेरी का फ़ोन इस्तेमाल किया करता था. पूर्व अमेरिकी प्रेसिडेंट बराक ओबामा तो साल 2017 तक ‘ब्लैकबेरी’ का स्मार्टफ़ोन ही इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है क्योंकि ब्लैकबेरी की गिरते ग्राफ़ की वजह से ओबामा ने भी इसे इस फ़ोन इस्तेमाल करना बंद कर दिया है.

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कैसे हुई ‘ब्लैकबेरी’ की शुरुआत?

साल 1990 का दौर था. दुनियाभर में मोबाइल रेवोल्यूशन हो रहे थे. इस दौरान दुनिया की अधिकतर कंपनियों ने मोबाइल फ़ोन बनाने पर ज़ोर दिया. लेकिन कनाडा की ‘ब्लैकबेरी’ कंपनी के दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था. ‘ब्लैकबेरी’ मोबाइल वर्ल्ड में एक रेवोल्यूशन लाना चाह रही थी. वो केवल कॉलिंग मोबाइल फ़ोन नहीं, बल्कि ऐसे फ़ोन बनाना चाहती थी जिनमें इंटरनेट भी चले. लेकिन उस दौर में बड़ा और मुश्किल फ़ैसला था. कुछ साल की मेहनत के बाद साल 2000 में ‘ब्लैकबेरी’ ने अपना पहला मोबाइल फ़ोन ‘रिम 957’ लांच किया.

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‘रिम 957’ फ़ोन ने मार्केट में आते ही सनसनी फ़ैली दी थी. इसकी छोटी सी स्क्रीन, QWERTY की-पैड और ईमेल फ़ंक्शन ने इसे एक ऐसा फ़ोन बना दिया जो बाकियों से अलग था. कंपनी ने इस फ़ोन को लांच करते ही इंटरनेट से जोड़ दिया. इस फ़ोन में ईमेल फ़ंक्शन होने की वजह से ग्राहकों को कंप्यूटर की ज़रूरत नहीं पड़ती थी. साल 2000 के दशक में ‘ब्लैकबेरी’ ने ‘एयरटेल’ के साथ डील करके भारतीय मोबाइल मार्किट में कदम रखा. इस दौरान ‘ब्लैकबेरी’ ने बिज़नेस क्लास को ही अपना टारगेट बनाया था.

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‘ब्लैकबेरी’ जब हुआ करती थी मार्केट लीडर

साल 2003 में ‘ब्लैकबेरी’ ने अपना आइकॉनिक ‘BlackBerry Quark 6210’ मोबाइल फ़ोन लॉन्च किया था. इसे इतिहास में लोगों को सबसे अधिक प्रभावित करने वाला गैजेट माना जाता है. ये उस दौर का स्मार्टफ़ोन हुआ करता था, क्योंकि इसमें ईमेल, वेब ब्राउजर, एसएमएस और ब्लैकबेरी मैसेंजर जैसे टॉप फ़ीचर्स थे. इन्हीं फ़ीचर्स की वजह से बिज़नेस यूजर्स इस फ़ोन के दीवाने थे. इसके बाद कंपनी ने साल 2007 में मल्टीमीडिया और मैसेजिंग फ़ीचर्स से लैस ‘BlackBerry Pearl’ फ़ोन के ज़रिए मोबाइल मार्केट में तहलका मचा दिया था. इसमें पहली बार ट्रैकबॉल दिया गया था. इसके अलावा इसमें एक बटन में दो लेटर वाला कीबोर्ड दिया गया था जिसकी वजह से स्लिम दिखता था. बाद में इसके कई वर्जन लॉन्च हुए.

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फ़्लॉप रहे ब्लैकबेरी के सभी स्मार्टफ़ोन

साल 2013 में ब्लैकबेरी ने पहली बार BB10 ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ BlackBerry Z10 स्मार्टफ़ो न लॉन्च किया था. इस दौरान कंपनी ने अपने पॉपुलर QWARTY कीबोर्ड को हटाकर फुल टच स्क्रीन फ़ोन के ज़रिए मार्किट में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश की थी, लेकिन ये फ़ोन फ़्लॉप साबित हुआ. इस दौरान कंपनी Apple और Samsung के एंड्रॉयड स्मार्टफ़ोन को टक्कर देने में पूरी तरह से फ़्लॉप साबित हुई. इसके बाद BlackBerry ने Q10, BB10, BB DTEK 50, BB Priv और BB Passport जैसे फ़ोन भी लॉन्च किये, लेकिन क़ामयाबी नहीं मिली.

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ये थी ब्लैकबेरी का साम्राज्य ख़त्म होने की असल वजह

रिसर्च फ़र्म आईडीसी के मुताबिक़, दिसंबर 2013 में ब्लैकबेरी का मार्केट शेयर घटकर 0.2 पर्सेंट पर आ गया था, जो दिसंबर 2012 में 4.3 पर्सेंट था. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण था भारत में ‘ब्लैकबेरी की प्राइसिंग स्ट्रैटिजी. इंडियन मार्किट के हिसाब से ये बेहद अधिक थी. भारत में लोग अमूमन 10 से 20 हज़ार रुपये की प्राइस वाले फ़ोन ख़रीदना पसंद करते हैं. लेकिन ब्लैकबेरी स्मार्टफ़ोन की क़ीमत काफ़ी ज़्यादा थी. साल 2013 में ‘ब्लैकबेरी’ ने कहा था कि वो सस्ती डिवाइस से दूर रहेगी. यही वजह रही कि इंडियन मार्केट में ‘ब्लैकबेरी’ सफ़ल नहीं हो पाई.

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आज ‘ब्लैकबेरी’ का मोबाइल फ़ोन कारोबार भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के अधिकतर देशों से न के बराबर है. आज मार्केट में ‘ब्लैकबेरी’ की जगह ‘एप्पल’ ने ले ली है.

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