What is Nomophobia: दुनिया चाहें जितनी स्पीड से दौड़ लगाए, मगर एक जगह सभी थमे नज़र आते हैं. और वो है स्मार्टफ़ोन (Smartphone) की स्क्रीन. मोबाइल अब लोगों की ज़रूरत कम, आदत ज़्यादा बन गया है. लोगों की ख़ुशनुमा तस्वीरों से लेकर उनके काले राज़ तक इस छोटे से गैजेट में बंद हैं. एंटरटेनमेंट के लिए भी अब लोग मोबाइल फ़ोन पर ही निर्भर हो गए हैं. (Fear Of Being Without Your Mobile Phone)
फ़ोन देखने की लत इतनी बढ़ गई है कि एक औसत व्यक्ति दिन में क़रीब 110 बार अपना फ़ोन चेक करता है. फ़ोन से कुछ देर भी इंसान को दूर रहना पड़े तो वो एकदम तिलमिला उठता है. ऐसे में एक नया फ़ोबिया सामने आया है, जिसे ‘नोमोफ़ोबिया’ Nomophobia नाम दिया गया है.
आइए आपको पूरी डिटेल में बताते हैं Nomophobia के बारे में-
क्या है नोमोफ़ोबिया (What is Nomophobia)?
जब लोग अपने मोबाइल फ़ोन कनेक्टिविटी से डिस्कनेक्ट होने से डर अनुभव करने लगे तो इसे नोमोफ़ोबिया के रूप में जाना जाता है. नोमोफोबिया को अगर शब्दों में तोड़ा जाए तो इसका मतलब निकलेगा ‘नो-मोबाइल-फोबिया’. ये उन लोगों की चिंता या डर को दिखाता है जो अपने मोबाइल के बिना नहीं रह सकते हैं. नोमोफोबिया एक साइकोलॉजिकल कंडीशन है. नोमोफोबिया वाले लोग जब अपने स्मार्टफोन या डिजिटल डिवाइस से दूर होते हैं तो उन्हें घबराहट, चिंता और भय होने लगता है.
अगर किसी को नोमोफोबिया है तो डिजिटल डिवाइस या स्मार्टफ़ोन से दूर होने पर उन्हें कुछ शारीरिक लक्षणों का अनुभव होगा जैसे कि पसीना आना, कांपना और दिल की धड़कन तेज़ होना.
नोमोफोबिया को ऑफ़िशियली मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर (Mental Health Disorder) नहीं माना गया है. हालांकि ये किसी शख़्स की लाइफ़ पर काफ़ी निगेटिव एफ़ेक्ट डाल सकता है. ये रिश्तों, काम और सामाजिक एक्टिविटी को प्रभावित कर सकता है. इससे होने वाली चिंता या डिप्रेशन मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकती है.
नोमोफ़ोबिया क्यों होता है और इसके लक्षण क्या हैं?
अभी इसका कोई सटीक कारण सामने नहीं आया है. मगर एक्स्पर्ट्स के मुताबिक, ये फ़ोबिया स्मार्टफ़ोन द्वारा इंस्टेंट कम्युनिकेशन और इंस्टेंट ग्रेटि़फ़िकेशन की कारण विकसित हुआ है. ये बिल्कुल नशे की लत जैसा है.
फ़ोन पास ना हो तो चिंता और घबराहट महसूस होगी. शख़्स को हर वक़्त लगता है कि उससे कोई कॉल या नोटिफ़िकेशन छूट ना जाए. लत इतनी ज़्यादा हो सकती है कि कोई व्यक्ति अपने फ़ोन की जांच किए बिना किसी दूसरे काम पर नहीं जाएगा. भले ही उसे देर हो जाए. साथ ही, वो दूसरे कामों पर ध्यान भी नहीं लगा पाता.
नोमोफ़ोबिया से कैसे बचें?
अगर आप अपने स्मार्टफोन या डिजिटल डिवाइस से अलग होने पर चिंता या भय का अनुभव कर रहे हैं, तो उस फ़ोन पर या डिवाइस पर धीरे- धीरे अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश करें. नोटिफिकेशन सेटिंग बदलें और रात में फोन को दूर रखें.
एक टाइम तय करें और उस लिमिटेड टाइम में ही अपने डिवाइस का इस्तेमाल करें. तनाव और चिंता को दूर करने के लिए माइंडफुलनेस और रिलैक्सेशन तकनीकों की प्रैक्टिस करें. मसलन, जिम या कोई और फ़िटनेस एक्टिविटी, हॉबीज या दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना. साथ ही, हफ़्ते में एक दिन बिना फ़ोन के रहने की कोशिश करें.
ऐसा करना, आपको अपने डिवाइस से डिस्कनेक्ट करने और उस पर अपनी निर्भरता कम करने में मदद कर सकता है.
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