हिन्दुस्तानी खाना अचार के बिना अधूरा है, ये कहना ग़लत नहीं होगा. 

Yummy Nepali Kitchen

यकीन नहीं आता तो अपने किचन में जा कर अचार की वैरायटी देख लें. और अगर किचन में न हो, तो भी टेंशन की बात नहीं. अचार का सीज़न आ चुका है, जल्द ही आपके घर में भी दादी-नानी फल और सब्ज़ियां काट कर, सुखा कर, नमक और तेल में मिला कर, अचार डालना शुरू कर देंगी.

हर फल और सब्ज़ी का अचार बन सकता है

One Green Planet

अचार की एक ख़ास बात है, इस देश में ऐसा कोई फल या सब्ज़ी नहीं, जिसका अचार न बनता हो…फल सब्ज़ी छोड़ो, चिकन, मछली, प्रॉन्स का भी अचार बन जाता है. हालांकि, नींबू, मिर्च और आम का अचार पूरे देश में सबसे ज़्यादा लोकप्रिय है.

अचार एक परंपरा

Kunal Kapur – Blogspot

खै़र, वो भी एक दौर था जब घर में दादी-नानी लोग बड़ी-बड़ी बर्नियों में, बड़ी शिद्दत से अचार डाला करती थी. याद होगा आपको कि कितनी डांट पड़ती थी अगर गंदे हाथ लेकर बरनी के आस-पास भी चले जाते थे. वो होते थे बढ़िया अचार…तीखा, मीठा, नमकीन, खट्टा, आप बस नाम लीजिये और अचार हाज़िर. सब्ज़ी न भी बने तो चलता था. रोटी, चावल, परांठे के साथ खाने के लिए अचार तो है ही. खाना कितना ही साधारण क्यों न हो, अचार उसे ख़ास बना ही देता है!

आजकल वैसे अचार डालने की प्रथा कहीं गुम-सी होती जा रही है. बाज़ार में आसानी से उपलब्ध बोतल वाले अचार, धीरे-धीरे अचार की बर्नियों का स्थान ले रहे हैं. मगर उन बोतलों में बर्नियों वाला स्वाद कहां! सालों साल तक चलते थे बरनी वाले अचार, बोतल वाले साल भर भी चल जाएं तो बड़ी बात है.

बचपन का एहम हिस्सा है अचार!

Archana’s Kitchen

बचपन का वो वक़्त याद है हमें, जब मम्मी टिफ़िन में परांठे के साथ कभी आम का, तो कभी मिर्च का तो कभी नींबू का अचार दे दिया करती थीं. कैसे चट कर जाया करते थे अचार को, मसाले के आखरी कण तक. ऑफिस भी अचार ले जाते हैं, पर वो स्कूल जैसा मज़ा नहीं आता ऑफ़िस वाले अचार में.

हो सके तो कभी वक़्त निकाल कर बनाइएगा घर पर बरनी वाला अचार, मेहनत ज़रूर लगेगी, मगर स्वाद भी तो आएगा. बचपन भी जी लेंगे. अपने घर की एक परंपरा को वापस जीवित भी कर लोगे.

Source: The Second Sin – WordPress.com

खै़र, अचार बनाते वक़्त इन बातों का ज़रूर ध्यान रखियेगा. 

Feature Image: Whisk Affair