बॉलीवुड में हमेशा से ही Comedy फ़िल्मों का बोलबाला रहा है. आज बॉलीवुड सिनेमा का पैटर्न बहुत बदल गया है. घिसे-पिटे Jokes और बेतुकी हरकतों से हंसाने की कोशिश आज की लगभग हर कॉमेडी फ़िल्म में तो आपने देखी ही होगी. मगर क्या आप जानते हैं कि एक दौर ऐसा भी था, जब फ़िल्मों में कहानी और संगीत के साथ-साथ बेहतरीन कॉमेडी भी हुआ करती थी? ये वो दौर था जब हास्य कलाकार फ़िल्मों के हीरो से भी ज़्यादा पॉपुलर होते थे.

ये हैं उस दौर के कुछ महशूर हास्य कलाकार जिनकी फ़िल्में आज भी आपको गुदगुदाएंगी

जॉनी वॉकर

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जॉनी वॉकर, इनका असली नाम नहीं था. ये नाम उन्हें गुरुदत्त ने दिया, जबकि इनका असली नाम बहरुद्दीन जमालुद्दीन काज़ी था. जॉनी पहले बस कंडक्टर थे और अपने अनोखे अंदाज़ में यात्रियों का मनोरंजन करते थे. वहीं से बलराज साहनी की नज़र इन पर पड़ी और फिर जॉनी ने कभी मुड़कर नहीं देखा.

महमूद

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‘एक चतुर नार बड़ी होशियार’, ‘हम काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं’ जैसे मशहूर गानों में आपने इन्हें ज़रूर देखा होगा. महमूद ने तीन दशक के लम्बे करियर में लगभग 300 फ़िल्मों में काम किया. महमूद को लोग ‘King of Comedy’ भी कहते हैं. ये पहले ऐसे हास्य कलाकार थे, जिनकी तस्वीर फ़िल्मी पोस्टरों पर हीरो के साथ होती थी. आजकल के मशहूर गायक लकी अली, महमूद के बेटे हैं.

उत्पल दत्त

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फ़िल्म ‘गोलमाल’ में ‘भवानी शंकर’ के किरदार ने इन्हें मशहूर बना दिया. आज भी कई हास्य कलाकार इनकी नकल करते हैं. उत्पल दत्त का बॉलीवुड से ज़्यादा बांग्ला नाटकों और फ़िल्मों से नाता रहा है. शेक्सपियर से इन्हें बहुत लगाव था. 1965 में इन्हें एक नाटक के कारण जेल भी जाना पड़ा.

टुनटुन

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टुनटुन, हिंदी फ़िल्मों की पहली हास्य अभिनेत्री थीं. इनका असली नाम उमा देवी खत्री था. मगर ये टुनटुन के नाम से ही मशहूर हुईं. ये एक बेहतरीन गायिका भी थीं. ‘अफ़साना लिख रही हूं दिल-ए-बेक़रार का’ इनका मशहूर गाना है. इन्होंने लगभग 200 फ़िल्मों में किया और महिलाओं के लिए हास्य कलाकार के रूप में एक प्रेरणा बनीं.

असरानी

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शोले के ‘अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर’ वाले असरानी का पूरा नाम गोवर्धन असरानी है. घर से भागकर बॉलीवुड में क़िस्मत आज़माने पहुंचे असरानी को शुरू में निराश होना पड़ा. उन्होंने FTII पुणे से पढ़कर वहीं पढ़ाना शुरू कर दिया. वहीं  निर्देशकों से पहचान हुई, तो बॉलीवुड का रास्ता खुला. इन्होंने 300 से ज़्यादा फ़िल्मों में काम किया.

ओम प्रकाश

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शराबी फ़िल्म का ‘मुंशीलाल’, हो या ‘नमक हलाल’ का ‘दद्दू’, ओम प्रकाश का नाम आते ही इनकी हंसमुख छवि सामने आ जाती है. इनका पूरा नाम ओम प्रकाश बक्शी था. इन्होंने 350 से ज़्यादा फिल्मों में काम किया.

केश्टो मुखर्जी

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इनका नाम लेते ही हिचकी लेता कोई शराबी याद आता है. बिना पिए ही इनकी शक्ल पियक्कड़ जैसी लगती थी. इसीलिए इन्होंने सबसे ज़्यादा शराबी वाले किरदार किये. मज़े की बात ये है कि इन्होंने असल ज़िन्दगी में कभी शराब नहीं पी.

देवेन वर्मा

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फ़िल्म ‘चोरी मेरा काम’, ‘खट्टा-मीठा’ और ‘अंगूर’ में अपने शानदार हास्य अभिनय के लिए मशहूर कलाकार, देवेन वर्मा को 3 बार फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला. इनका विवाह अशोक कुमार की बेटी रूपा गांगुली से हुआ था, इसलिए इन्हें बॉलीवुड में पांव जमाने में ज़्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ा.

राजेंद्र नाथ

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ढीली हाफ़ पैंट, सिर पर हैट और ‘बौड़म’ जैसे हाव भाव वाले ‘पोपट लाल’ यानि राजेंद्र नाथ ने एक ज़माने में लोगों को ख़ूब हंसाया. फ़िल्म ‘जब जब फूल खिले’ में पोपट लाल के किरदार में इन्हें लोगों ने बहुत पसंद किया. ये किरदार इतना मशहूर हुआ कि इन्होंने पोपटलाल के नाम से Stage Shows भी किये.

जगदीप

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सूरमा भोपाली याद है न? ‘शोले’ में जगदीप के इस किरदार ने उन्हें मशहूर बना दिया. इनका असली नाम सैयद इश्तियाक़ अहमद जाफ़री है. इन्होंने फ़िल्मी करियर की शुरुआत Child Artist के रूप में बी.आर.चोपड़ा की फ़िल्म ‘अफ़साना’ से की थी. जगदीप, मशहूर कॉमेडियन जावेद जाफ़री के पिता हैं.

इनके अलावा भी बहुत से हास्य कलाकार अपनी कला के माध्यम से आपका मनोरंजन करते रहे हैं. आप अपने पसंदीदा कलाकार का नाम Comment Box में लिखिए, हम अगली बार उनके बारे में भी कुछ मज़ेदार ले आएंगे.