सिमर सिंह की एक कविता का वीडियो इन दिनों खूब वायरल हो रहा है. उन्होंने इस वीडियो में पितृसत्ता और मर्दों की ज़िन्दगी के बारे में बात की है. उन्होंने खूबसूरती से बताया है कि कैसे एक नन्हें लड़के को दुनिया मर्द बनने की शिक्षा देती है और वो इस सब से कैसे जूझता है.
आम तौर पर आपने महिलाओं को ही पितृसत्ता के खिलाफ़ आवाज़ उठाते देखा होगा. ऐसा लाज़मी भी है, क्योंकि ये महिलाओं के हक़ के लिए अच्छी नहीं है, ये समझना आसान है. असल में इसमें केवल महिलाओं का ही नहीं, पुरुषों का भी नुकसान है. इस व्यवस्था में स्त्री और पुरुष को समाज द्वारा दिए गए कार्यों के अनुसार चलना पड़ता है. इन्हें हम आम भाषा में जेंडर रोल्स कहते हैं. जिस तरह महिलाओं से अपेक्षा की जाती है कि वो घर संभालें, उसी तरह इस व्यवस्था में पुरुषों से भी कई अनकही अपेक्षाएं की जाती हैं.
महिला होने के नाते जिस तरह महिलाओं को हिदायतें दी जाती हैं, वैसे ही लड़कों से भी काफ़ी कुछ कहा जाता है. सिमर सिंह की ये कविता मर्दों के दर्द को बखूबी बयां करती है. बचपन से लड़कों को भावनाएं ज़ाहिर न करना सिखाया जाता है. इस तरह रहते-रहते एक समय ऐसा आ जाता है कि खुद को भावनात्मक रूप से ज़ाहिर नहीं कर पाते. जब उन्हें रोना आता है, तो वो इसी डर से उसे रोकने की कोशिश करते हैं कि लड़का हो कर रोना उन्हें शोभा नहीं देता, इस तरह लोग उन्हें कमज़ोर समझेंगे.