अफ़वाह एक ऐसी बीमारी है जिसे फ़ैलने से रोकने की मर्ज़ किसी डॉक्टर के पास भी नहीं होती. अफ़वाहों से इंसानों का बेहद पुराना नाता रहा है. कहा जाता है कि अफ़वाह के हाथ पैर नहीं होते, लेकिन ये फिर भी फ़ैलती बड़ी तेज़ी से है. मनोविज्ञानी इसे (मास हिस्टीरिया (Mass Hysteria) कहते हैं. इसमें लोगों का ध्यान किसी अफ़वाह पर इस क़दर केंद्रित हो जाता है कि पूरा समाज उसे सच मान बैठता है. देश के अलग-अलग राज्यों में समय-समय पर इस तरह की अफ़वाहें सामने आती रहती हैं, जिनका लोगों पर बड़े स्तर पर प्रभाव पड़ता है. सोशल मीडिया के दौर में अब ऐसी ख़बरें कम हो गई हैं, क्योंकि लोग अधिक जागरूक हो गए हैं. लेकिन 1 दशक पहले तक ऐसी घटनाएं आम बात थीं.

चलिए आज हम आपको कुछ ऐसी ही अफ़वाहों से रूबरू करा देते हैं, जिन्होंने ख़ूब हाहाकार मचाया था-

1- मंकी मैन

साल 2001 की शुरुआत में देश की राजधानी दिल्ली में ‘मंकी मैन’ ने दहशत फ़ैला दी थी. लोगों ने इसे ‘काला बंदर’ और ‘मुंहनोचवा’ नाम भी दिए थे. बंदर की तरह दिखने वाला ये प्राणी रात के समय लोगों पर हमला करता था. तब चश्मदीदों ने इसे लेकर अलग-अलग तरह के बयान दिए थे, कोई इसे 4 फ़ीट लंबा, तो कोई 8 फ़ीट लंबा बताता. दिल्ली में तब इनकी संख्या 350 से अधिक बताई गयी थी. लेकिन असल में पुरानी दिल्ली में एक बार रात के समय एक साधारण से बंदर ने किसी महिला पर हमला कर दिया था. इसके बाद इस बंदर ने रात के समय अन्य लोगों पर भी हमला किया था. लेकिन जानकारों ने ‘मंकी मैन’ या ‘काला बंदर’ के हमले को ख़ारिज़ करते हुए इसे लोगों का भ्रम बताया था.

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2- चुटिया काटने वाला

कुछ साल पहले देश के कई राज्यों में बाल काटने वाले रहस्यमई शख्स की अफ़वाह फ़ैली थी, जो बंद घर में न जाने कैसे दाख़िल हो जाता है और महिलाओं के बाल काटकार गायब हो जाता है. इस अफ़वाह की शुरुआत भी दिल्ली से ही हुई थी. पहली वारदात बाहरी दिल्ली के छावला इलाक़े के कांगनहेड़ी गांव में हुई थी. बताया जाता है एक दिन रात के समय गांव की 3 महिलाओं को एक रहस्यमयी साए ने अपना शिकार बनाया और घर में घुस कर उनकी चोटी काट दी. इसके बाद ऐसी ही घटनाएं हरियाणा, यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब समेत अन्य राज्यों से भी आने लगीं. लेकिन एक्सपर्ट ने इसे भी लोगों का भ्रम या किसी पहचान वाले की कारस्तानी बताया था.

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3- प्याज़-रोटी दे दो

साल 2005 में दिल्ली में एक और अनोखी अफ़वाह ने लोगों का जीना हराम कर दिया था. इस दौरान अफ़वाह फ़ैली थी कि एक महिला ‘प्याज़-रोटी दे दो’ कहने के बाद घरों से लोगों के छोटे बच्चों को चुरा लेती है. इस दौरान दिल्ली में लोगों के बीच इस रहस्यमई महिला का ख़ौफ़ इस क़दर बढ़ गया था कि लोग अपने घरों के बाहर तरह-तरह के टोटके तक करने लगे थे. कोई मेहंदी वाले हाथों की छाप तो कोई अंडे की छिलके दहलीज़ पर रख रहे थे. लेकिन ये अफ़वाह भी अन्य अफ़वाहों की फ़र्ज़ी निकली.

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4- मिर्ज़ापुर का ‘मुंहनोचवा’

साल 2002 की गर्मियों में उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर में स्थानीय लोगों ने ‘मुंहनोचवा’ नाम विचित्र प्राणी के दिखने की बात कही थी. इस दौरान स्थानीय लोगों ने ‘मुहनोचवा’ की पहचान एक उड़ने वाले प्राणी के रूप में की थी, जो लाल या हरे रंग की रोशनी की किरणों का उत्सर्जन करता है और संपर्क में आने वाले पर ‘शॉक वेव्स’ से वार करता है. जबकि कुछ लोगों ने इसे बाज या गुड़िया जैसी वस्तु के रूप में वर्णित किया था. इससे कई लोग घायल भी हुए थे. लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना था कि ये कोई रिमोट-नियंत्रित उपकरण था जिसे असामाजिक तत्वों द्वारा एक शरारत के रूप में संचालित किया जा रहा था.

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5- केरल का ‘Black Man’

साल 2015 की शुरुआत में केरल में एक अजीबो-ग़रीब प्राणी के देखे जाने की बात सामने आई थी, जिसे ‘ब्लैक मैन’ नाम दिया गया था. इसके बारे में कहा गया था कि वो महिलाओं और बच्चों पर हमला कर रहा है. कथित तौर पर इसने ‘काला मुखौटा’ और एक काली पोशाक पहनी थी. कुछ लोगों कहना था कि ‘ब्लैक मैन’ ने ऊंची छलांग लगाने में मदद के लिए अपने जूतों में स्प्रिंग लगा रखी थी. ये ख़बर सोशल मीडिया के माध्यम से तेज़ी से फ़ैली, जिससे लोगों में ‘ब्लैक मैन’ के नाम की दहशत फैल गई थी. इसके हमले के कुछ मामले भी सामने आए थे. लेकिन बाद में पता चला कि कुछ शरारती तत्वों ने ‘काला मुखौटा’ पहनकर एक-दूसरे पर हमला करना शुरू कर दिया था. ये ख़बर भी पूरी तरह अफ़वाह साबित हुई थी.

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6- तमिलनाडु की खून चूसने वाला ‘वैम्पायर’

साल 2016 में तमिलनाडु के एक गांव में एक ‘पिशाच’ के उन्माद ने लोगों को घरों क़ैद रहने के लिए मजबूर कर दिया था. एशियन एज की रिपोर्ट के मुताबिक़, तमिलनाडु के गुंदलपट्टी, मोट्टंगुरिची के ग्रामीण अपने मवेशियों के रहस्यमय ढंग से मरने से दुखी थे. ग्रामीणों का मानना ​​था कि एक खून चूसने वाला ‘वैम्पायर’ इन घटनाओं को अंजाम दे रहा है. इस दौरान गांव वालों को डराने के लिए कई घरों अलग-अलग तरह के निशान भी बनाये गये थे. लेकिन प्रशासन और एक्सपर्ट्स का मानना था कि ये Bootleggers का काम था जो चाहते थे कि लोग अपने घरों में क़ैद रहे ताकि वो अपनी नापाक गतिविधियों को अंजाम दे सके.

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